20160624

मेरी सोच से बिल्कुल ऊपर का सनकी है टॉमी : शाहिद कपूर


शाहिद कपूर हैदर के बाद एक बार फिर से अलग किरदार में हैं. फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर काफी विवाद हुए. लेकिन अंतत: फिल्म आज रिलीज हो रही है.  शाहिद कपूर इस फिल्म को खास मानते हैं. पेश है अनुप्रिया अनंत और उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के मुख्य अंश

हैदर के बाद एक बार फिर से एक सनकी किस्म का किरदार निभा रहे हैं.ऐसे किरदारों को निभाने में मजा आता है?
डर लगता है.लेकिन मजा भी आता है. टॉमी लेकिन बिल्कुल नेक्स्ट लेवल का सनकी है. मैंने इसका आधा भी अब तक प्ले नहीं किया है.अभिषेक ने हैदर देखने के बाद कहा था कि वह सीन जहां तुम उस आदमी को शूट करना चाहते हो. लेकिन शूट नहीं करते. वहां से टॉमी का किरदार शुरू होता है. तो आप समझ सकते हैं कि उसे इस फिल्म के किस तरह के सनकी किरदार की जरूरत थी. बहुत चैलेंजिंग किरदार है. मेरे लिए कठिन किरदार है. लोगों ने इससे पहले मुझे इस तरह के किरदार में नहीं देखा है.
इस तरह के किरदार निभाना आपके लिए मानसिक रूप से भी एक चुनौती रहती है?
हां, बिल्कुल रहती है. क्योंकि मैं तो ऐसा हूं ही नहीं बिल्कुल भी निजी जिंदगी में. एक तो वह रॉकस्टार है. तो उसका पर्सोना है. फिर वह कोकिन हाइ है तो इससे भी उसका पर्सोना अलग रहता है. उसका इमोशनल पार्ट हमेशा लाउड रहता है. टॉमी बहुत हाइपर है. हमेशा उत्तेजित रहता है. लेकिन फिर भी टॉमी सिंह से आपको प्यार हो जायेगा. टॉमी सिंह सुपरस्टार है तो उसे वह पर्सनैलिटी भी बरकरार रखनी थी. वही दूसरी तरफ वह कोकिन एडिक्ट है तो वो लोग अधिक खाते नहीं थे. मुझे दोनों तरह से खुद को तैयार रखना पड़ता था. मुझे फिट भी रहना था और हाइपर भी रहना था. खाना भी था और अंडर इटिंग पर भी रहना था. मुझे बहुत कॉफी पीनी पड़ती थी. यह किरदार निभाते हुए मुझे बहुत थकान हुई है, क्योंकि मुझे हर सीन में हाइपर रहना पड़ा है. ज्यादातर सीन रात में शूट हुए हैं. तो मैं सोता भी सुबह में था. 
फिल्म को लेकर काफी विवाद हुए. इस पर आपको क्या कहना है?
मैं तो सबसे पहले यह कहूंगा कि हम सेंसर बोर्ड कहना बंद करें. बेहतर है कि जो नाम है बोर्ड का वह हम सही से लें. सीबीएफसी. हमारी किसी से भी दुश्मनी नहीं है. व्यक्तिगत तौर पर. हमारी लड़ाई अपनी फिल्म को लेकर थी. और हमारे प्रोडयूर्स ने वह लड़ी और जीत हासिल हुई है. इस बात की हमें खुशी है. फिल्म अपनी रिलीज तारीख पर रिलीज हो रही है. 
फिल्मों को हमेशा इन बातों के लिए टारगेट किया जाता रहता है कि वे युवाओं को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाती है. साथ ही फिल्म स्टार्स फर भी यह आरोप लगते रहते हैं. इस बारे में आपकी क्या राय है?
मैं नहीं मानता. मैं बिल्कुल नहीं मानता. फिल्म का यह जो कांसेप्ट है. आप फिल्म देखेंगे तो खुद समझेंगे कि फिल्म ड्रग या किसी चीज को प्रोमोट नहीं कर रही न ही कोई मेसेज लेकर आ रही. हां, मगर एक इश्यू पर बात कर रही है. और वह जरूरी है.कर्मशियल फिल्म है चूंकि यह तो इसे लोग अलग नजरिये से देखते हैं और खासतौर जब स्टार्स इसमें शामिल हो तो. मेरा मानना है कि कुछ फिल्में देखने के बाद उसका इंपैक्ट रह जाता है. उड़ता पंजाब उनमें से एक होगी. मैं चाहता हूं कि लोग इसे बोरिंग फिल्म की तरह देखने न जायें. इसका काम एंटरटेनमेंट है. टॉमी ऐसा किरदार है, जिसको यूथ देखना पसंद करेंगे.
टॉमी जैसे रियल किरदार इमोशनल होते हैं?
टॉमी बहुत इमोशनल है.टॉमी इगोस्टिक है, बदतमीज है. लेकिन फिर भी आप उससे प्यार करने लगेंगे, क्योंकि आप उसे देख कर महसूस करने लगेंगे कि वह दिल का बुरा नहीं है  और इसलिए उसका नाम टॉमी है. वह बच्चे की तरह है. उसे पता नहीं है कि उसे क्या करना है. कोकिन एडिक्ट के साथ भी ऐसा होता है, जब वे नशे में होते हैं वे ओवर कांफीडेंट होते हैं और जब वह लो होते हैं तो वे डिप्रेशन में होते हैं. 
यह एक अलग मिजाज की फिल्म लग रही है. चूंकि फिल्म में चार बड़े स्टार्स हैं, लेकिन आपस में उनका कनेक् शन नहीं है?
इस फिल्म में अलग तरह के कैरेक्टर हैं. सभी की अपनी जर्नी है फिल्म में. डायमेटिकली अलग बैकड्रॉप हैं. 
आप कितने  वाकिफ थे इस विषय के बारे में फिल्म से जुड़ने से पहले?
मैं कहूंगा कि यहां बैकड्रॉप पंजाब है, लेकिन समस्या सिर्फ पंजाब की नहीं है. इस जेनरेशन की है. इस देश की है. युवा बहुत जल्दी आते हैं ड्रग के चपेट में. सभी कूल बनने की चक्कर में यह सब करने लगते हैं. आने वाले समय में यह एक महत्वपूर्ण इश्यू बनेगा.
आप जब 17-18 साल के थे. तो आप किस तरह की जीवनशैली में रहना पसंद करते थे?
मैं तो बहुत सामान्य सी जिंदगी जीता था. पार्टी कभी कभार कर लिया तो कर लिया. क्लासेज बंक करता था. लेकिन डांस क्लासेज करने के लिए शामक डाबर के पास क्लासेज लेता था. कूल दिखने के लिए मैं डांस करता था. डांस को लेकर मैं बचपन से दिलचस्पी लेता था. चूंकि मेरी मां क्लासिकल डांसर रही हैं तो वही से प्रेम चढ़ा था डांस करने का. मैं बेली डांस करना पसंद करता था.
आपने शुरुआत वीडियो एलबम से की थी.उस दौर में कई टैलेंट को वीडियो एलबम की वजह से मौके मिले. लगता है कि वीडियो एलबम का वह दौर कभी वापस आयेगा?
उस दौर में वीडियो एलबम में मौके नहीं मिलते थे. अब तो फिल्मों में आसानी से मौके मिल जाते हैं. उस वक्त मैंने आर्यन का एक वीडियो किया था. उस वक्त कुत्ते को ज्यादा अहमियत दी गयी थी मुझसे. तो मैं उससे बहुत ईर्ष्या कर रहा था. अपने दोस्तों के बीच लोग खुश हो जाता था. लेकिन सच कहूं तो उस वक्त मैं बहुत डरा हुआ था कि चांस मिलेगा भी नहीं काम करने का. क्या मुझे यह लाइन छोड़ देनी चाहिए. आज आसान है दिखना. उस वक्त दिखना बहुत कठिन था. आज तो सोशल मीडिया से बहुत कुछ चीजें आसान हो गयी हैं. उस वक्त लोग नये लोगों को मौका देने से डरते थे. 

फादर्स डे डियर डैड


 हिंदी सिनेमा की ऐसी कई हस्तियां हैं, जिन्होंने अपने पिता से विरासत में कई गुण लिये हैं और वे मानते हैं कि अगर उनके पिता न होते तो वे अपनी जिंदगी में इन चीजों को कभी दुरुस्त नहीं कर पाते. ऐसा कई बार हुआ, जो पिता के किसी शब्द और किसी नसीहत या उस लम्हे की वजह से उनके लिये वे सबक बन गये.फादर्स डे के बहाने अनुप्रिया अनंत के साथ कुछ ऐसी ही यादों को सांझा कर रहे हैं स्टार्स

पापा ने कहा था फेल हुआ तो अच्छा हुआ : अनुपम खेर
मुझे अच्छी तरह याद है, जब मैं दसवीं में फेल हुआ था तो मेरे पिताजी मुझे लेकर रेस्टोरेंट गये थे. मैंने पूछा पिताजी हम यहां क्यों आये हैं तो उन्होंने कि हम यहां सेलिब्रेशन के लिए आये हैं. और मैं आश्चर्य में पड़ गया था कि भला कोई असफलता का भी जश्न मनाता है. लेकिन पिताजी ने उस दिन मुझे कहा था कि असफलता का सेलिब्रेशन मनाना सीखोगे,तभी जिंदगी में नया नजरिया दे पाओगे और असफलता से भी घबराओगे नहीं. उसका डट कर सामना करोगे, जैसे कि वह भी जिंदगी का हिस्सा ही हो. और वाकई फिर मैं कभी नहीं घबराया.


 पिताजी ने कहा जाओ और काम करो : अमिताभ बच्चन
उस दिन मैं घर की बालकनी में खड़ा बहुत परेशान था. वह दौर कठिन था. फिल्में नहीं थीं मेरे पास. मैं अभिनय छोड़ कर अन्य कामों में लीन था. पिताजी आये. पूछा क्या हुआ है तुम्हें. कहा पता नहीं, समझ नहीं आ रहा कि कहां चूक हो रही. लेकिन असफल हो रहा हूं. पिताजी ने कहा कि तुम जो सबसे अच्छा कर सकते हो. उस पर ध्यान नहीं दे रहे. तुम अभिनेता हो. कलाकार हो. काम करो. और कुछ मत सोचो. फिर मैंने कहा लेकिन अभी कोई काम नहीं है पास में. उन्होंने कहा कि संकोच मत करो, सामने से काम मांगो. लोग देंगे. क्योंकि तुम खुद को साबित कर चुके हो. मैंने उसी पल यश चोपड़ा को फोन लगाया कहा कि फीस नहीं काम चाहिए. और यूं मैं फिर से उस काम से जुड़ गया, जहां मैं खुद का सर्वश्रेष्ठ दे सकता था. 
 पापा ने कहा, खुद से पहचान बनाओगे तो लंबे टिकोगे : शाहिद कपूर
कुछ दिनों पहले किसी अखबार में पढ़ रहा था पापा का इंटरव्यू. पापा ने उसमें कहा कि मैंने कभी शाहिद के करियर में उसकी मदद नहीं की. मैंने किसी प्रोडयूसर को फोन नहीं किया. और इस बात से खुशी है कि शाहिद ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनायी. मैंने जब यह पढ़ा तो मेरी आंखों में आंसू थे. चूंकि यह बात सच है कि मैंने कभी पापा का नाम इस्तेमाल नहीं किया. पापा ने हमेशा यही राय दी थी कि खुद से पहचान बनाओगे तो लंबी पारी खेलोगे. वरना, वैसाखी की बने रहोगे. मैंने शुरुआत बैक डांसर से की थी. फिर एक वीडियो एल्बम में काम करने का मौका मिला.फिर वहां से हैदर के लिए फिल्मफेयर मिला तो यह एहसास हुआ कि पापा सही कहते थे. उनकी यही सीख मेरी जिंदगी की अहम सीख बन गयी.
ँपापा ने ही बढ़ाया हौसला : विद्या बालन
वह दौर था, जब मैंने तय किया कि मैं एक्ट्रेस बनूंगी और मैंने फिल्म भी साइन कर दी. लेकिन वह फिल्म डिब्बा बंद हुई और उसके बाद मैंने जितनी भी फिल्में साइन की. सारी फिल्में डिब्बा बंद हो गयी. उस दौर में मैं बहुत निराश हुई थी और पूरी तरह से डिप्रेशन में चली गयी थी. मैंने मान लिया था कि यह क्षेत्र मेरे लिए नहीं है. उस हताशा में मेरा साथ मेरे पापा ने सबसे ज्यादा दिया था. उन्हें विश्वास था कि मेरी टैलेंट को रोशनी जरूरी मिलेगी. उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और जब मैं सफल हुई तो उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें इस बात का डर बहुत सताता था कि कहीं निराशा में मैं कोई गलत कदम न उठा लूं. इसलिए वे हरदम मेरे साथ रहते थे और यही वजह है कि आज भी मैं असफलता से कभी नहीं घबराती. मेरी पापा से आज भी घंटों बातचीत होती है. 
लेकिन वे मेरे लिए तो बेस्ट पापा हैं : श्रद्धा कपूर
मैं जब स्कूल में पढ़ती थी. वह दौर मेरे पापा का था. उस वक्त उनकी काफी फिल्में रिलीज होती थीं और वे नेगेटिव किरदार निभाते थे. स्कूल में मुझे सभी बहुत चिढ़ाते थे इन बातों से कि मेरे पिताजी नेगेटिव किरदार निभाते हैं और वह विलेन हैं. लेकिन मेरे पापा की यह खासियत थी कि मैं जब भी घर आती तो वह मुझे हमेशा प्यार से समझा देते थे. आज मेरी कामयाबी को देख कर वह कहते हैं कि मैंने उनकी भी जिंदगी जी ली है और वे हमेशा कहते हैं कि सफलता को सिर पर मत चढ़ाना. जल्दी ही उतर जाता है. चूंकि उन्होंने सफलता और असफलता का वह दौर देखा है.मैंने अपने पापा को जब अपनी कमाई से कार गिफ्ट की थी तो वे बेहद खुश हुए थे और मैं उनके लिए कोई भी तोहफा ले जाऊं. तो वह बहुत खुश होते हैं. 

सबसे बड़ा मेडल मिला तो पापा नहीं थे : रेमो डिसूजा


रेमो डिसूजा को हाल ही में राष्टÑीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वे अब स्टार प्लस के नये शो डांस प्लस की तैयारियों में जुटे हैं. उनका मानना है कि इस बार भी शो में दर्शकों को काफी नयी प्रतिभाओं को देखने का मौका मिलेगा. 

 रेमो, सबसे पहले आपको बधाई राष्टÑीय पुरस्कार के लिए, क्या अनुभूति थी यह पुरस्कार थामते हुए?
मेरे लिए यह पुरस्कार बेहद खास है. मुझे जब पता चला था तो मैं खुद इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि मुझे यह सम्मान मिला है. लेकिन मैं बेहद खुश हूं और संतुष्ट हूं. लोगों का प्यार यूं ही बरकरार रहे. यही चाहता हूं. सबसे पहले तो मुझे मेरे  डैड की याद आयी. चूंकि डैडी एयर फोर्स में थे. वह हमेशा कहते थे कि तुम  एयरफोर्स में भर्ती हो जाओ. मेरा ड्रीम है कि तुम मेडल लेगा कभी,  तो मैं डांसिंग में आ गया. डैडी की नहीं मानी. पहले वह खुश नहीं थे. लेकिन मेरे लोकप्रिय होने पर सबसे ज्यादा खुशी उनको मिली. लेकिन जब मुझे वाकई सबसे बड़ा मेडल मिला, उससे पहले वह चल बसे. मेरे पिताजी की वजह से मैं आया. कामयाब  हुआ. उनको मिस करता हूं.
डांस प्लस में इस बार क्या नया है?
बहुत कुछ नया होगा. पहले तो इस बार की हमारी टीम ही मेरी ड्रीम टीम है. पुनीत भी इस बार टीम में है. धर्मेश हैं. शक्ति है. और हमारा प्यारा जोकर राघव है. वह कुछ न कुछ नया जोड़ेगा, फिर अलग तरह के टैलेंट आये हैं. उन्हें भी आपको देखने का मौका मिलेगा. पुनीत पहले सीजन से ही हमारे साथ होता. लेकिन जब तक हमने निर्णय लिया. तब तक उसने डीआइडी साइन कर दिया था. तो उस वक्त हमने फिर हमने तय किया था  कि इस बार किसी और को लेते हैं. अगली बार पुनीत होगा ही होगा. तो इस बार हमने उसे शामिल कर ही लिया.
रेमो, अपने पूरे सफर को कैसे देखते हैं?
मैं वह सफर तय कर चुका हूं. मैं जानता हूं कि मेरी जड़ें कहां हैं, कहां से आया हूं मैं. सब कहते हैं कि मैं सेलिब्रिटी हूं. स्टार हूं. लेकिन मैं कभी स्टार नहीं मानता हूं. मैं खुद को सामान्य मानता हूं. सफर मेरा दिलचस्प रहा. सपना जैसा रहा. कभी उस जगह पर थे कि कुछ सोच भी नहीं सकते थे. अभी तो  बस शुरुआत है. मैं वर्ल्ड लेवल पर डांसिंग को लेकर जाना चाहता हूं. हमारी जो फिल्म इंडस्ट्री हैं, मैं चाहता हूं कि शो ऐसे बनाऊं. फिल्में ऐसी बनाऊं कि लोग यहां की प्रतिभाओं को लेकर जायें. फिल्में यहां से लेकर जायें. न कि हम वहां से कुछ लें.
डांस को लेकर और क्या सोचते हैं. किस तरह हर बार इसमें प्रयोग कर सकते हैं?
मेरा तो मानना है कि हर दिन इस विधा में नया हो सकता है. हमने जब शुरू किया तो उस वक्त लगा था कि ब्रेकडांस सीख लिया. हम ही बेस्ट डांसर हैं. लेकिन फिर दूसरा फॉर्म आया. लॉकिंग पॉपिंग आया.पॉपिंग के बाद जंपिंग आया. डांस प्लस 2 में और भी ऐसे फॉर्म है, जो हमने भी नहीं सुना है. वह भी आ गया है. मेरे ख्याल से डांस में हर साल एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं. 
आपके लिए सबसे कठिन डांस फॉर्म कौन सा है?
मेरे लिए इंडियन क्लासिकल सबसे कठिन डांस फॉर्म है. फिर चाहे वह कथक हो या कोई भी भारतीय. इसलिए क्योंकि इसकी अलग दुनिया होती है. अलग तरीके से इसे सीखना होता है और परफॉर्म करना होता है.
आपने कई बॉलीवुड स्टार्स को नचाया है. सबसे बेहतरीन आपके लिए कौन हैं?
सभी स्टार्स मेहनत करते हैं.वरुण धवन ने तो फिल्म की है. श्रद्धा ने कमाल का काम किया है. टाइगर ने कमाल का काम किया है. मैंने तो संजय दत्त को भी नचाया है. 
डांस को लेकर और क्या सोच है?
मैं डांस के लिए एक ऐसा स्कूल बने, जो सर्टिफाइ करे. जैसे आपको डिग्री मिलती है. वैसी डांस के लिए डिग्री मिले उस स्कूल से.
आपने प्रभुदेवा का नाम हमेशा लिया है. इनके अलावा कोई और हैं, िजन्हें देख कर आपने सीखा है?
अहमद खान और सरोज खान जी से मैंने काफी सीखा  है. सरोज खान को देख कर तो लगता है कि इस उम्र में भी वह क्या मेहनत करती हैं. खासतौर से डांस के भारतीय फॉर्म में तो उनसा कोई नहीं है. मंै मानता हूं ऐसा.
जब आपने शुरुआत की थी, और जब अब बच्चे आते हैं तो कितना अलग वक्त हो गया है. उनका अप्रोच कितना बदला नजर आता है आपको?
मेरा मानना है कि अब मौके ज्यादा है. इंटरनेट है. वह तैयार होकर आते हैं. लगातार शोज में मौके मिलते रहते हैं. हमारे समय तो दिखना मुश्किल था. मेरा मानना है कि रियलिटी शोज आपको स्टार बना देता है. 

फिल्मों में जाने की कोई इच्छा नहीं : नकुल मेहता


नकुल मेहता टेलीविजन के लोकप्रिय सितारों में से एक हैं. इन दिनों वे स्टार प्लस के शो इश्कबाज में नजर आयेंगे. वे खुद हैं कि उन्हें दोबारा इस तरह के शो में काम करने का मौका मिला है. 

 नकुल एक बार फिर से स्टार प्लस का साथ मिला है आपको?
हां, मैं बेहद खुश हूं कि मुझे स्टार प्लस का साथ मिला है. क्योंकि यह मेरा पसंदीदा चैनल है. और इस चैनल की खासियत है कि वह हर तरह के शोज को साथ लेकर चलता है. 
आदित्य से इस बार इश्कबाज के किरदार में कितना अंतर है?
बहुत अंतर है. पूरी तरह ही अलग है. वैसे ही कलाकार जब तक अलग तरह के किरदार न निभाये तो फिर काम करने में मजा नहीं आता है. इसलिए मैं फिर से नया किरदार निभाने की ठानी. मैं चाहता हूं कि इस पर पुराने शो के किरदार की छवि हावी न हो. मेरे दर्शकों को भी आखिर कुछ नया देखने का मौका मिलना चाहिए.
आपकी पहली नौकरी क्या थी नकुल?
आप विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन मेरी पहली नौकरी सेल्समैन की थी. वह दौर भी अलग था. मैं जब जाता था, तो कोई दरवाजा नहीं खोलता था. काफी कठिनाईयों से भरा होता था वह लम्हा. लेकिन बाद में मुझे लगा कि मैं इसके लिए नहीं बना हूं. फिर मैंने खुद पर काम करना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे मुझे रास्ता मिलता गया. 
नकुल आप टेलीविजन की पहुंच को किस तरह देखते हैं?
मैं मानता हूं कि टेलीविजन की पहुंच बहुत दूर तक है. हम शूटिंग करके घर चले जायें तो इस बात को महसूस नहीं करते. लेकिन जब आप भीड़ में शामिल होते हैं तो आपको ये बातें समझ आती है कि आप कितने लोगों के बीच पॉपुलर हो. लोग आपसे कितनी उम्मीदें कर रहे हैं. लोग आपको किस तरह एडमायर करते हैं. इन चीजों से आप प्रभावित होते हैं कि दरअसल, आप कितने लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. इस लिहाज से टेलीविजन की पहुंच बहुत है. मैं जब पहली बार अपने पुराने शो के बाद अपने होम टाउन गया था. वहां जिस तरह से मुझे लोकप्रियता मिली थी. वह मैं नहीं भूल सकता. तो, मेरे लिए टेलीविजन के दर्शक बहुत मायने रखते हैं. मैं बिल्कुल उन कलाकारों में से नहीं हैं, जिसकी इच्छा है कि वह बड़े परदे पर काम करे. मैं तो छोटे परदे से ही खुश हूं.
इतना लंबा ब्रेक क्यों लिया?
नहीं मैंने लंबा ब्रेक नहीं लिया था. दरअसल, प्यार का दर्द...का खत्म होने के बाद ही इस शो का आॅफर मेरे पास आ गया था. फिर उस वक्त से रिसर्च में, बाकी सारे कामों में व्यस्त रहती है टीम. सीरियल भी फिल्म की तरह ही होता है. एक साल पहले से तैयारियां होती हैं. तो मैं बस इसी वक्त का इंतजार कर रहा था. 
जब एक्टिंग नहीं कर रहे होते हैं तो क्या करना पसंद है?
मुझे ट्रैवलिंग करना बहुत पसंद है अपनी पत् नी के साथ. मैं ट्रैवलिंग बहुत करता हूं.
टेलीविजन पर इन दिनों जिस तरह से कंटेंट आ रहे और टीआरपी मिल रही. आपकी क्या सोच है?
मैं साफतौर पर कहूं तो मुझे ये बातें समझ नहीं आती हैं. मैं अपनी राय दूं तो मैं मक्खी मच्छर वाले किरदार नहीं निभा सकता. जो कर रहे. कमाल कर रहे होंगे. उन्हें इसके लिए हैट्स आॅफ़ . काफी मेहनत लग रही होगी उनकी भी. लेकिन मेरे लिए मैं जिस तरह के प्रोजेक्ट्स चुनता हूं. वही मेरे लिए मेरी दुनिया है. मैं उसी तरह से काम कर सकता हूं.
आपकी पत् नी की कभी इच्छा नहीं हुई कि वह भी एक्टिंग में आयें?
ंनहीं वह मेरी सबसे बड़ी क्रिटिक है और मेरी दर्शक है. जब उसे मेरा काम पसंद आता है तो मुझे दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी मिलती है. वही मेरे लिए खास बात है. वह खुद नहीं चाहती कि मैं अधिक काम करूं और अच्छे नहीं. वह चाहती है कि साल में एक शो ही करूं. लेकिन अच्छे शोज करूं. 
आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि रॉयल रही है. लेकिन आपने कभी उनका नाम इस्तेमाल नहीं किया?
जी हां, यह हकीकत है कि मेरे दादाजी और मेरे परिवार के कई लोग महान लोगों में से एक हैं. मेरे पिताजी इंडो पाकिस्तान वॉर से जुड़े रहे.  मेरे ग्रेट ग्रैंडफादर लक्ष्मी लाल मेहता जी  मिलिट्री चीफ रह चुके हैं. तो मैंने अपने परिवार में खुद देखा है कि किस तरह सभी ने खुद अपनी पहचान बनायी है और मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे विरासत में मिली है शोहरत ...जैसी बातों से संबोधित करें.
आप इतने आत्मीय भी हैं. इस इंडस्ट्री में रहते हुए इतने आत्मीय रह पाना कितना मुश्किल है?
मैं एक बात मानता हूं कि मैं अपनी जड़ को नहीं भूला. मेरे परिवार में, मेरी ऐसी परवरिश की गयी है कि मैं सबसे पहले तो एक अच्छा इंसान बनूं. और इसके लिए मेरा हुमन होना सबसे पहले जरूरी है. ये मेरे पारिवारिक मूल्य हैं, जिन्हें मैं संजो कर रखना चाहता हूं कि लोग पहले यह बोलें कि नकुल अच्छा बंदा है. बाद में मुझे एक्टर के रूप में देखें.