20160118

अमिताभ व वक्त की पाबंदी

हाल ही में अमिताभ बच्चन फिल्म वजीर के प्रोमोशन के दौरान अपने घर से जब कुछ ही दूरी स्थित एक सात सितारा होटल की तरफ निकले, तो सड़क पर ट्रैफिक जाम को देख कर वे दंग रह गये. उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि वक्त पर पहुंच पाना मुमकिन नहीं होगा. अगर ट्रैफिक में फंसे तो. तो उन्होंने निर्णय लिया वे कार से उतरे और पैदल ही पंचसितारा होटल पहुंच गये. वे मीडिया से रूबरू होने वाले थे और वे बिल्कुल वक्त पर पहुंचे. उन्हें देखने हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी थी. अमिताभ बच्चन ने यह रास्ता इसलिए इख्तियार किया क्योंकि वे हमेशा वक्त के पाबंद रहे हैं. वे मीडिया को इंतजार कराना पसंद नहीं करते. यही वजह है कि मुंबई की मीडिया भी जब अमिताभ बच्चन के इंटरव्यू के लिए आमंत्रित की जाती है. वे वक्त से पहले पहुंचती है. वरना, शेष सभी कलाकार अपनी मनमर्जी से आते हैं और घंटो इंतजार के बाद उनके चंद मिनट मिलते हैं. दरअसल, हकीकत यही है कि अमिताभ आज भी इस बात को अहमियत देते हैं कि वक्त सबसे महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव देखे हैं और वे जानते हैं कि वक्त सबसे बलवान होता है. यही वजह है कि सदी के महानायक को वक्त की इज्जत करना पसंद है फिर चाहे वह इसके लिए अपनी शानदार कार से निकल कर सड़क पर ही क्यों न आ जायें. सड़क पर आ जाना...इस मुहावरे का भावार्थ यही है कि दिवालिया निकल जाना. किसी दौर में अमिताभ उस परिस्थिति से गुजर चुके हैं. लेकिन उस सड़क को पार करने के बाद उनके लिए वाकई सड़क पर आने की परिभाषा बदली होगी . यही वजह है कि वे कई बार जब उन्हें यह महसूस होता है कि उन्हें वक्त पर पहुंचने के लिए पैदल ही निकल जाना चाहिए तो वह फौरन तैयार हो जाते हैं. अमिताभ बच्चन की ये बातें प्रेरणादायी हैं.

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