20151126

आम दर्शक का कनेक् शन

विकास बहल की फिल्म शानदार दर्शकों को खास पसंद नहीं आयी. फिल्म का प्रोमोशन जबरदस्त तरीके से किया गया था. लेकिन फिल्म को खास कामयाबी नहीं मिली. जबकि फिल्म के गीत भी दर्शकों को बेहद अच्छे लगे थे. फिल्म में नयी जोड़ी भी थी और ट्रेलर से यह जोड़ी काफी विश्वास भी जगा रही थी. लेकिन इसके बावजूद फिल्म को कामयाबी नहीं मिली. इस फिल्म की नाकामयाबी के साथ ही एक बड़े प्रोडक् शन कॉरपोरेट हाउस की एक और फिल्म निराधार ही साबित हुई. पिछले कई महीनों से इस हाउस की फिल्में असफल हो रही हैं. जबकि फिल्म का प्रोमोशन खास तरीके से किया जा रहा है. इससे एक बात यह भी स्पष्ट हो रही है कि इस प्रोडक् शन हाउस ने जहां पहले अपनी फिल्मों में कंटेंट को हीरो माना था. अब वहां कंटेंट को दरकिनार किया जा रहा है. पहले यहां कंटेंट ही सबसे अहम चीज थी और उस पर काफी काम किया जाता था. लेकिन शायद अब फिल्मी दुनिया की बाकी सारे तेवर इस प्रोडक् शन हाउस ने अपना लिये हैं और धीरे धीरे वे अपनी यूएसपी भूलते जा रहे हैं. यही वजह है कि एक के बाद एक फिल्में निराधार साबित हो रही हैं. यह एक तरह से यह भी दर्शाती है कि किस तरह अन्य छोटे निर्देशकों ने उनकी यूएसपी को अपनी खासियत बना ली है और वे धारा प्रवाह में खुद को डुबोये जा रहे हैं. इस साल जितनी भी फिल्में कामयाब हुई हैं. सारी फिल्में स्टारों से भरी नहीं हैं. लेकिन इसके बावजूद वे फिल्में कामयाब रही हैं. इसकी बड़ी वजह निर्देशक की सोच ही है. निस्संदेह कंटेंट को तवज्जो देने वाले फिल्म मेकर में इन्हीं प्रोडक् शन हाउस का नाम सबसे अव्वल में आता था. लेकिन अगर वे अपनी किसी फिल्म से दर्शकों को कनेक्ट नहीं कर पा रहे. इसका यह स्पष्ट मतलब है कि आॅडियंस खुद को उन फिल्मों में तलाश नहीं पा रही. एक कर्मशियल फिल्म के लिए दर्शकों का होना जरूरी है

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