20151130

दिल के करीब है लाजो : अंकिता


जीटीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक लाजवंती को दर्शकों का बेहद प्यार मिला है. उपन्यास पर आधारित किसी धारावाहिक को अरसे बाद इस तरह की प्रतिक्रिया मिली है. शो में लाजवंती का लीड किरदार निभा रहीं अंकिता का यह पहला शो है और वे अपनी पहली शानदार शुरुआत से काफी खुश हैं.
अंकिता, यह आपका पहला शो है. पहला मौका कैसे मिला?
मैं चंडीगढ़ से हूं और इस बात के बारे में जानती थी कि इस तरह के किसी शो का आॅडिशन होने वाला है. चूंकि मेरी भाषा को लेकर मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं थी. इस शो की यह डिमांड थी तो मैंने तय किया कि मैं आॅडिशन दूंगी. मैंने आॅडिशन दिया और उसके बाद भूल भी गयी थी. लेकिन बाद में मुझे प्रोडक् शन हाउस से फोन आया कि मेरा सेलेक् शन हो गया है और वह भी मुझे शो में लीड किरदार निभाने का मौका मिला है.
इस शो के किस तरह तैयारी की थी आपने?
मुझे बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हुई थी. क्योंकि मेरी भाषा पर अच्छी पकड़ है. और खास बात यह रही कि कास्टिंग होने के 20 दिनों के बाद हमने शूटिंग शुरू की थी. तो उन 20 दिनों में हमारा अच्छा वर्कशॉप हो गया था. सो, मेरे और मेरे को स्टार के बीच की केमेस्ट्री को अच्छा बनाने के लिए हम दोनों को एक दूसरे के साथ वक्त बिताने का मौका मिला. फिर इस शो से जुड़ी तो यह उपन्यास पढ़ी. यह एक बेहतर प्रेम कहानी के साथ साथ विभाजन के दौरान की स्थिति को खूबसूरती से दर्शाया गया है.
हमने सुना आपने अभिनय के लिए इंजीनियरिंग  छोड़ दी?
हां, क्योंकि मैं शुरू से एक्टिंग ही करना चाहती थी. और कुछ नहीं करना चाहती थी. तो मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है. मैंने एक शो भी जीता था एनडीटीवी का टिकट टू बॉलीवुड. उस वक्त से मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया था. हां, लेकिन मेरे पापा ने कहा कि तुम्हे जो करना है करो. लेकिन पहले पढ़ाई पूरी करो, क्योंकि मेरे घर में सभी बहुत पढ़े लिखे हैं. सो, इसलिए मैंने पहले पढ़ाई पूरी की. मेरे परिवार में सभी डॉक्टर हैं.
आपने कहा कि आपको एक्टिंग में हमेशा से दिलचस्पी रही तो आपने इसके लिए क्या तैयारियां बचपन से कर रखी थीं?
मैंने अपने शरीर का ख्याल रखा है. लुक का ख्याल रखा है. साथ ही मैंने क्लासिकल डांसिंग भी सीख रखा है. नेशनल लेवल पर भी मैंने काफी अवार्ड हासिल किये हैं. मैंने एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई थी जो टोरंटो फिल्म फेस्ट में सेलेक्ट भी हुई थी. सो, मुझे पता था कि मैं अभिनय भी कर सकती हूं.
इस शो के लेखन से राजिंदर सिंह बेदी की पोती भी जुड़ी हुई हैं तो उनका सहयोग कितना मिलता है?
काफी मिलता है, वह हमें सारी बारीकियों से वाकिफ कराती है. इस शो की सबसे बड़ी चुनौती थी कि वह दौर क्रियेट किया जाये. लेकिन हमें बहुत सपोर्ट मिला जीटीवी का भी उन्होंने कोई बंदिशें नहीं रखी हैं. सो, सेट काफी अच्छा बना है. पीरियोडिक चीजें रचना तो कठिन होता ही है. लेकिन इला बेदी दत्ता के होने से हम विषय के साथ न्याय कर पा रहे हैं. इस बात को लेकर हम बिल्कुल स्पष्ट थे. मैं खुशनसीब हूं कि मुझे पहला मौका ही इस तरह के शो से मिला है. चूंकि मैं हमेशा से इसी तरह के किरदारों को निभाना चाहती थीं.
लाजो से अंकिता कितना मेल खाती हैं?
हां, मैं लाजो जैसी ही हूं. आत्मविश्वास मेरा भी ऐसा ही रहा है. जैसा लाजो का रहा है. साथ ही मैं बातूनी भी काफी हूं.
इस इंडस्ट्री को जब नजदीक से जानने का मौका मिलेगा तो कैसा अनुभव महसूस कर रही हैं?
मुझे लगता है कि इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने के बाद ही आपको पता चलता है कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है एक्टर्स को. लोग दूर से देख कर इसे सिर्फ ग्लैमर की दुनिया माने. लेकिन नजदीक जाकर ही जब अब काम कर रही तो पता चलता है कि काफी मेहनत करते हैं स्टार्स.

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