20151126

मां नहीं चाहती थीं कि फिल्मों में आऊं : सनाह कपूर

सनाह कपूर फिल्म शानदार से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने जा रही हैं और अपनी शुरुआत को लेकर वह बहुत ज्यादा उत्साहित हैं.
शानदार आपकी पहली फिल्म है. तो इस फिल्म से जुड़ने का मौका कैसे मिला?
दरअसल मुझे एक दिन इस फिल्म के कास्टिंग निर्देशक के आॅफिस से फोन आया. और उन्होंने कहा कि हम एक फिल्म का आॅडिशन कर रहे हैं, क्या आप आकर आॅडिशन देंगी.पर उस वक्त मेरी कोई प्लानिंग नहीं थी कि मैं अभी इंडस्ट्री में आऊं. मैं चाहती थी कि मैं पहले खुद को एक साल तक ग्रूम करूंगी और उसके बाद इस बारे में सोचूंगी.लेकिन मुझे लगा कि आॅडिशन करने में क्या परेशानी है. इसलिए मैं चली गयी आॅडिशन देने. और मुझे लगा भी नहीं था कि मेरा होगा क्योंकि मैंने यों ही आॅडिशन दिया था.फिर मुझे कॉलबैक आया कि आप सेलेक्ट हो गये हो और फिर मैं जाकर निर्देशक विकास बहल से मिली. और तब उन्हें पता चला कि मैं किसकी बेटी हूं और किसकी बहन हूं. और मैं अपनी पहचान भी अपने मम्मी पापा या भईया की वजह से नहीं बनाना चाहती हूं.
मुकेश ने आपको कहीं देखा था?
दरअसल, मुकेश के ही एक कॉलिग हैं जो मेरी मम्मी के साथ फिल्म बॉबी जासूस में काम कर चुके थे. उस वक्त मां ने मेरे बारे में चर्चा की थी कि मैं फिल्मों में आने के बारे में सोच रही हूं तो उन्होंने मुकेश सर को मेरे बारे में बोला था. तो मैं उनसे कैजुअली मिलने गयी थी.
एक्टिंग को लेकर किस तरह की ट्रेनिंग ली है आपने?
मैं न्यूयॉर्क गयी थी. वहां के एक स्कूल से मैंने एक्टिंग की पढ़ाई की.फिर मैंने काफी सारे वर्कशॉप किये हैं. नीरज काबी( तलवार, ब्योमकेश बक् शी में अहम किरदार) के साथ मैंने काफी वर्कशॉप किये थे. डैड के साथ काफी वर्कशॉप किये थे. न्यूयॉर्क में छह महीनों तक रही थी. काफी अच्छा अनुभव था वह भी. मैं काफी पढ़ती भी हूं. एक्टिंग के बारे में काफी किताबें पढ़ी हैं और लिटरेचर काफी पढ़ा है. फिल्में देखी हैं. अच्छे अच्छे फिल्मकारों की फिल्में देखी हैं.उनसे देखते हैं. सीखते हैं. उसी तरीके से मैंने सीखा. मैंने सिंगिंग सीखी है. कथक सीखी है.
जिंदगी का वह कौन सा लम्हा था, जब आपने तय किया कि आप एक्टिंग ही करेंगी.
लम्हा मुझे पूरी तरह तो याद नहीं है. हां मगर मैं यह जरूर कहूंगी कि मुझसे हमेशा जब भी पूछा जाता था कि आप बड़े होकर क्या बनोगी तो मैं हमेशा एक्ट्रेस बनने की ही बातें करती थीं.बड़ी होते हुए जब मैं पिक्चरें देखती थीं तो मुझे लगता था कि काश मैं ये कर रही होती.तो उस तरीके से मुझे एहसास हुआ कि एक्टिंग एक सीरियस चीज है, जिसे मैं अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहती  हूं.
आपने जब इस बारे में अपने पापा मम्मी से बातचीत की तो क्या वह फौरन तैयार हुए?
मेरी मॉम नहीं चाहती थीं कि  मैं एक्टर बनूं, क्योंकि मां को लगता है कि यह इंडस्ट्री बहुत क्रेजी इंडस्ट्री है.बहुत ऊपर नीचे है. बहुत इनसेक्योरिटी है.एक स्टेबिलिटी नहीं है. 9 टू फाइव जॉब की तरह.और मुझे लगता है कि कोई भी मां नहीं चाहेगी कि उनके बच्चे उस कष्ट को देखें. तो वह मुझे प्रोटेक्ट करना चाह रही थी. चूंकि उन्होंने इंडस्ट्री के अप्स एंड डाउन देखे हैं.लेकिन पापा हमेशा से सर्पोटिव थे.लेकिन वह कहते थे कि जो भी करोगी. 100 प्रतिशत देकर करना. बिना मन के या आधे मन से किया काम पूरा नहीं होता है. यह बात उन्होंने अपने पिता से सीखी थी और वही उन्होंने मुझे भी सिखाया.
क्या यह खबर सही है कि इस किरदार के लिए आपने काफी वजन बढ़ाया है. एक एक्ट्रेस के लिए वजन बढ़ाना कितना कठिन होता है. फिर फिल्म खत्म होने के बाद उसे कम करना?
जी काफी कठिन होता है. वेट पुटआॅन करना मुश्किल नहीं होती. मैंने भी काफी खाना खाया है. मेरी बॉडीटाइप है कि मैं पुट आॅन करना आसान है. तीन महीने में 15 किलो वजन बढ़ाया है. इस फिल्म में एक ओवर वेट लड़की की ही कहानी है. लेकिन अब मैंने वजन कम करना शुरू कर दिया है और मैं वेट लॉस कर भी रही हूं. मुझे ऐसा लगता है कि एक एक्टर होने के लिए फिट रहना जरूरी है न कि आपका स्लिम रहना. तो मैं इसी बात पर यकीन करती हूं. और मैं कभी भी किरदार के लिए वजन बढ़ाना हो तो बढ़ाऊंगी. घटाना हुआ तो जरूर घटाऊंगी. मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं है.
अपने भाई शाहिद से किसी तरह की टिप्स लेती हैं?
नहीं यह मेरी अपनी पर्सनल जर्नी है, क्योंकि वह पुरुष हैं तो उनकी बॉडी अलग है. मेरी अलग है.
फिल्म में आपका फर्स्ट शॉर्ट क्या था?आप कितनी नर्वस थीं?
मेरा पहला शॉर्ट मेरा और इस फिल्म में जिससे मेरी शादी हो रही हैं. उसके साथ था. जिसके लिए मैं विकास सर को काफी थैंक्यू बोलना चाहूंगी. उन्होंने मेरे पहले शॉर्ट में यह ध्यान रखा कि मेरा पहला सीन मेरे फैमिली मेंबर में से किसी के साथ न हो.क्योंकि आपको पहली बार ही कैमरे के सामने आपके डैड या भाई के साथ काम करना पड़े , जो इतने अच्छे एक्टर हैं तो आपको इससे टेंशन होती है. तो मैंने सबको कह दिया था कि कोई भी मेरे शॉट के वक्त वहां न हो. पापा मम्मी तो मान गये थे. ेलकिन भईया ने चुपके चुपके जाकर देख लिया था. हालांकि मुझे पता नहीं था तो मैंने ठीक से परफॉर्म कर लिया था.
पापा से क्या क्या सीखा है?
पापा हमेशा कहते हंै कि किताबें जरूर पढ़नी चाहिए. इससे आपको दुनिया का एक्सपोजर मिलता है. आप दुनिया को बिना देखे भी समझ पाते हो. आपको नजरिया मिलता है तो इस वजह से मेरा ध्यान पढ़ने पर हमेशा से रहा. पापा कहते थे कि अगर एक्टर ही बनना है तो वैसी चीजें पढ़ो, जो तुम्हें एक्टर बनने में हेल्प करे.
बचपन में कभी पापा की फिल्मों के सेट पर जाती थीं?
नहीं पापा के फिल्मों के सेट पर नहीं जाती थी. क्योंकि पापा जब सेट पर होते हैं तो काफी इन कैरेक्टर होते हैं और उन्हें पसंद नहीं फैमिली मेंबर को साथ में रखना. हम कभी उनको डिस्टर्ब नहीं करते थे.लेकिन जब मैं बहुत छोटी थी तो मेरे पेरेंटस मिल कर एक सीरियल बनाते थे.तो वहां मैं जाया करती थी.
अपनी नानी दीना पाठक से कितनी करीब थीं?
मैं बहुत ज्यादा करीब थी. मेरे लिए मेरी नानी सबकुछ थी. मैं जब बहुत छोटी थी तो उनका देहांत हो गया था. लेकिन मुझे याद है. वह मुझसे हमेशा कहती थीं कि मुझे पता है तुम बड़ी होकर एक्ट्रेस ही बनोगी. तेरे में वह सारी बातें हैं जो एक एक्ट्रेस में होनी चाहिए. और देखना मैं तुझे पहला मौका दूंगी. मुझे लगता है कि अगर वह होतीं तो मुझे देख कर काफी खुश होतीं. 

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