20151126

सेलिब्रिटी व क्रांति


राष्टÑीय पुरस्कार व सम्मान की लगातार कलाकार व निर्देशक वापसी कर रहे हैं. हाल ही में दिबाकर बनर्जी व उनकी फिल्म खोंसला का घोंसला की निर्माता में बहस हुई. निर्माता को इस बात से परेशानी थी कि दिबाकर को राष्टÑीय सम्मान बेस्ट फिल्म के लिए मिली थी. न कि बेस्ट निर्देशक के लिए, ऐसे में उन्हें कोई हक नहीं है कि वे फिल्म के पुरस्कार की वापसी के बारे में सोच पायें.यह सरासर गलत है. दिबाकर ने इस पर माफी भी मांगी. अभी कई कलाकारों व फिल्ममेकर ने भी तय किया है कि वे पुरस्कार की वापसी करेंगे. लेकिन हकीकत यह है कि पुरस्कार वापसी से कितना फर्क पड़ेगा. विद्या बालन ने इस बारे में स्पष्ट होकर अपनी राय रख दी है कि उन्हें यह सम्मान राष्टÑ के लोगों से मिला है. किसी सरकार से नहीं और इस वजह से वे पुरस्कार नहीं लौटायेंगी. यह हकीकत भी है कि विद्या बालन ने अब तक अपनी एक अलग छवि कायम की है. विद्या बालन ने काफी अच्छे तरीके से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है. पिछले लंबे समय से एफटीआउआइ को लेकर भी मुद्दे चल रहे हैं. यह अच्छी बात है कि पिछले कई अरसे से कलाकारों व फिल्मेकर ने बातचीत करनी या अपनी प्रतिक्रिया देनी बंद कर दी थी. लेकिन अब कई चेहरे सामने आ रहे हैं और वे अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं. वे दर्शा रहे हैं कि सिर्फ फिल्में बनाना या बॉक्स आॅफिस पर कमाई करना ही किसी फिल्ममेकर का उद्देश्य नहीं होता. लिहाजा इससे स्पष्ट हो रहा है कि अब फिल्मी दुनिया के लोगों को इन बातों से फर्क पड़ रहा है. और सभी ने अपनी सोच बदली है. आगे भी इस तरह के कदम उठाये जाने चाहिए ताकि लोगों को भी यह एहसास हो कि कलाकार व फिल्ममेकर सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं हैं. उनकी भी अपनी सोच है और वे भी पूरी तरह से किसी क्रांति के लिए स्वतंत्र हैं.

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