20150630

जब तक प्यार की बात सुना पा रहा हूं क्या बुरा है : आनंद


 तनु वेड्स मनु और रांझणा के बाद इस बार आनंद एल राय फिल्म तनु वेड्स मनु रिटर्न्स लेकर आये हैं. वे इन फिल्मों को अपने बेहद करीब मानते हैं. 

तनु वेड्स मनु के सीक्वल में एक बात नजर आ रही है कि तनु की जगह दत्तो को अधिक महत्व दिया जा रहा है. इससे आपकी पहली फिल्म की मुख्य किरदार कहीं न कहीं कम महत्वपूर्ण हो जा रही हैं?
यह सवाल ठीक ऐसे ही जैसे जब आपके परिवार में कोई नया मेहमान आ जाये तो पहले वाले का महत्व कम हो जाता है क्या. ऐसा तो नहीं होता, तो फिर मेरे साथ ऐसा कैसे हो सकता है. आप कहानी देखेंगे तो समझ पायेंगे कि तनु वेड्स मनु की कहानी को  ही आगे कहती है तनु वेड्स मनु रिटर्न्स. नया किरदार दत्तो भी तनु वेड्स मनु का हिस्सा ही है. लेकिन साथ ही यह कहना चाहूंगा कि कहानी सुनते वक्त मैंने यह बात ध्यान में रखी थी कि जरूरी नहीं है कि तनु वेड्स मनु में जो भी है. वह सबकुछ देखना है.हां, मगर इतना जरूर है कि आपने फिल्म का पहला भाग नहीं देखा है, तब आप दूसरी वाली को देख कर पहली वाली देखना चाहेंगे. यह अपने आप में पूरी कहानी है. सबका अपना अपना हिस्सा है. सब भरपूर नजर आयेंगे.
हमेशा से दिमाग में यह बात थी कि फिल्म का सीक्वल भी बनाना है?
नहीं बिल्कुल नहीं. फिल्म बन गयी. निकल गयी. तब मुझे लगा कि इस फिल्म के किरदार बहुत दिलचस्प हैं. और मुझे लगा कि इसकी कहानी और अच्छे से कही जा सकती है. इसे और दिलचस्प बनाया जा सकता है. लेकिन जिस वक्त ये बात दिमाग में आयी उस वक्त लगा कि ये कहानी मुझे लोगों को दिखानी है. लेकिन अभी नहीं दिखानी है. सो, मैं रांझणा बनाने लगा. फिर मुझे ये सही वक्त लगा इन किरदारों पर दोबारा लौटने की. कई लोगों के दिमाग में ये बातें चलती हैं कि सीक्वल फिल्में इसलिए बनती हैं क्योंकि वह ब्रांड बन जाती हैं. लेकिन मेरे दिमाग में यह बात बिल्कुल नहीं थी. मुझे कहानी सुनानी थी. इसलिए सुना रहा हूं. हां, मगर यह सच है कि तनु वेड्स मनु को लोगों ने बहुत प्यार दिया और उम्मीद कर रहा हूं कि इस फिल्म को भी दर्शक मिलेंगे.
आपकी फिल्में ज्यादातर उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर  होती है. इसकी कोई खास वजह?
जी हां, मैं खुद दिल्ली से हूं. नॉर्थ को समझ पाता हूं. मेरी जिंदगी के 20-25 साल वही बीते हैं.नॉर्थ के रहन-सहन और वहां की कहानियों को समझ पाता हूं. मेरे लेखक( हिमांशू) भी उत्तर प्रदेश से ही हैं. तो हमें वहां की जमीन पता है तो हम आसानी से वहां की कहानी कह पाते हैं. लेकिन मैं जो कहानी कहता हूं वह यूनिवर्सल होती है. मैं यह नहीं मानता कि मैं सिर्फ वहां की कहानी सुनाना चाह रहा.  मैं मानता हूं कि  मेरे किरदार अगर साउथ में भी जाकर भी यही किरदार प्ले करें तो भी यह फिल्म सार्थक ही होगी. साथ ही मेरे दिमाग में यह कहीं से भी नहीं है कि अगर मुझे बस नॉर्थ की कहानी कहनी है. मुझे साउथ में भी कोई फिल्म मिलेगी तो मैं करूंगा, क्योंकि इमोशनली तो हमलोग एक ही हैं.
आप रोमांटिक फिल्में अधिक बनाते हैं. कोई खास वजह?
ये हो रहा है मेरे साथ. मुझे लोग रोमांस का स्टैंप दे रहे हैं. मुझे लगा था लोग रिलेशनशिप पर फिल्में बनाने वाला निर्देशक मानेंगे.जब तक प्यार की बात कर पायें, क्या बुरा है. मुझे प्यार से प्यार है.  मेरे अंदर से लव स्टोरी निकल पा रही हैं. शायद यही वजह है कि मैं प्यार में विश्वास करता हूं. प्यार से खुद को करीब पाता हूं. और मुझे लगता है कि हमारी फिल्मों में प्यार की कमी नहीं होनी चाहिए. प्यार झलकते रहना जरूरी है और वह आप कहानियों के माध्यम से कर पाते हैं. मेरे पास फिल्म एक जरिया है तो मैं उसी के माध्यम से प्यार बांटने की कोशिश कर रहा हूं.
आपकी फिल्मों के किरदार रांझणा का कुंदन या तनु वेड्स मनु के किरदार अब भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं. एक निर्देशक के रूप में क्या आप फिल्में बना लेने के बाद उन किरदारों को आप साथ लेकर चलते हैं. या फिर उनसे अलग हो जाते हैं.
मेरे साथ एक अलग तरह की दिक्कत है. मैं किरदारों के साथ साथ एक्टर्स से भी प्यार करने लगते हैं. फिर चाहे रांझणा बनाते वक्त तनु वेड्स मनु के एक्टर्स हो या फिर तनु वेड्स मनु रिटर्न्स करते वक्त रांझणा के एक्टर्स हों. मेरा उनसे प्रोफेशनल नहीं पर्सनल रिश्ता बनता है. जो इन दिनों नहीं होता इस इंडस्ट्री में कि हम फिल्म रिलेटेड हो गये हैं. लेकिन होना चाहिए, आपसी रिश्ते तो बनने ही चाहिए. मैं डायरेक्टर के रूप में इस बात से खुश हूं कि मेरे सभी किरदार मुझे याद रखते हैं, क्योंकि ये सभी मेरे अपने हैं. आपको किरदार की तरह देखते हों. लेकिन मेरे लिए तो वह मेरे अपने हैं. मेरे दोस्त हैं. और सभी मुझे प्यार करते हैं. 

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