20150420

पीढ़ी दर पीढ़ी बदलती परिभाषाएं


मल्लिकाएतरन्नुम नूरजहां की नगमें कौन भूल सकता है भला. नूरजहां दिलीप कुमार की चुनिंदा व खास दोस्तों में से एक रहीं. उन्होंने शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी. नूरजहां ही पाकिस्तान की पहली निर्देशिका बनीं, जिन्होंने छनवे नामक फिल्म का निर्माण किया. उनका लगाव फिल्मों से कभी कम नहीं हुआ. आज भी दर्शक यूटयूब पर दिलीप कुमार और नूरजहां की एक बेहतरीन बातचीत देख सकते हैं, जहां नूरजहां ने दिलीप साहब से अपनी जिंदगी के कई रोचक पहलुओं पर बातचीत की है. उनका शायद फिल्मों से लगाव ही रहा, जो उनकी अगली पीढ़ी के नब्ज में जा पहुंची है. उनके नाती सिकंदर रिजवी जल्द ही फिल्मी दुनिया में कदम रख रहे हैं और हाल ही में उन्होंने इसकी घोषणा की है. सिकंदर ने नूरजहां के साथ बिताये अपने पलों को  सांझा करते हुए बताया कि किस तरह नूरजहां अपने परिवार के लिए हमेशा अच्छे अच्छे पकवान बनाया करती थी. हर रात डिनर के बाद के किस तरह वे अपना तबला लेकर बैठ जातीं और फिर महफिल जमती. सिकंदर जानते हैं कि चूंकि वह एक महान शख्सियत वाले खानदार से संबंध रखते हैं. निश्चित तौर पर लोग कई मायनों में तुलना करेंगे. वे जो फिल्म करने जा रहे है. वह रोमकोम है. शायद नूरजहां इस दौर में होतीं तो ऐसी फिल्में करने में दिलचस्पी लेतीं. चूंकि वे काफी खुशमिजाज और बेफिक्र रहनेवाली शख्सियत में से एक थी. दरअसल, यह हकीकत है कि बदलते दौर के साथ सिनेमा भी अपनी सोच बदलती है. यह मुमकिन है कि उस दौर में जो फिल्में बनती थीं. उनमें से कुछ फिल्में रोमकोम की श्रेणी में जरूर फिट बैठती होंगी. लेकिन उस दौर में उन्हें उन श्रेणियों में बांटा नहीं जाता था. पीढ़ी दर पीढ़ी परिभाषाएं भी अपना आकार और वेष बदलती है. सो, यह देखना दिलचस्प होगा कि महान शख्सियत अगली पीढ़ी क्या कमाल दिखाती है

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