20141203

टेलीविजन की कुरीतियां

कलर्स चैनल के शो ससुराल सिमर का में इन दिनों कहानी का जो ट्रैक चल रहा, उसमें सिमर एक बुरी आत्मा की चपेट में आ गयी है और उसकी बहन रोली और बहनोई सिमर को उससे छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी तरफ जीटीवी के शो और प्यार हो गया में कुंडलियों के मेल न होने से शादी में बाधा आने की बात हो रही है. लड़की की मां को अपशगुनी का खिताब दिया जाता है और उसे एक गांव से इसलिए निकाल दिया जाता है, क्योंकि वह एक पाप है. पवित्र रिश्ता में इन दिनों अर्चना डबल रोल निभा रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल धारावाहिक प्यार का दर्द है में भी है. वहां पंखूरी वापस आ गयी हैं और आयशा उनकी हमशक्ल हैं. कुबूल  है में भी डबल रोल खेले जा रहे हैं. स्पष्ट है कि हिंदी टेलीविजन में अब भी नया करने की गुंजाईश है. लेकिन वह अपनी इन पुरानी कहानियों की कुरीति से बाहर ही नहीं निकल पा रहा. जी हां, ये सारी चीजें भले ही समाज से दूर होने की कगार पर हों. लेकिन धारावाहिक इसे मेलोड्रेमेटिक करके बार बार प्रस्तुत कर रहे हैं. हालांकि नीली छतरी वाले जैसे धारावाहिक टीवी को थोड़ा जीवंत बना रहे और हर दिन एक नयी कहानी कहने की कोशिश कर रहे. हां, यह जरूरी नहीं कि इतिहास का गुणगान गाते रहें लेकिन यह तब होगा जब आज के धारावाहिक स्तरीय होंगे. सोनी टीवी पर इन दिनों हमसफर्स की शुरुआत हुई है. उम्मीद है कि वह जिंदगी चैनल के किसी शो की नकल न कर अपनी वास्तविक कहानी कहने की कोशिश करें. दरअसल, हमारी परेशानी यह है कि हम उन चीजों के पीछे भागने लगते हैं जो हिट है. लेकिन उसके हिट होने की जड़ तक नहीं पहुंच पाते. जिंदगी चैनल अपने मकसद में कामयाब है, क्योंकि वह अच्छी कहानी व कंटेट के साथ लोगों के सामने हैं. और अच्छी बात है कि वह हर दिन शब्दकोश के माध्यम से दर्शकों को शिक्षित भी कर रहा.

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