20140910

सेवा का निस्वार्थ भाव


विवेक ओबरॉय इन दिनों ब्लड डोनेशन कैंप में गंभीरता से हिस्सा ले रहे हैं. वे देश भर में ब्लड डोनेशन कैंप लगवा रहे हैं और युवाओं को इस काम के लिए जागरूक कर रहे हैं. हाल ही में उनसे इस कैंप के सिलसिले में बातचीत करने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा उनकी मां से मिली है. उनकी मां विवेक के जन्म से पहले से समाज सेवा में जुड़ी रही हैं. वे जूहू में उन बच्चों के लालन पालन का काम करती हैं, जो बेसहारा हैं. पिछले कई सालों से वह हर शुक्रवार स्वयं जाती हैं उस स्कूल में जाती हैं, और खाना पका कर बच्चों को खिलाती हैं. उनकी देखा देखी अब जूहू इलाके में और भी महिलाएं उनका साथ दे रही हैं. विवेक जब  स्टार बने तो उन्होंने अपनी मां से पूछा कि आपको तोहफे में क्या चाहिए. उसी दिन उनकी मां ने विवेक से एक प्रण लिया कि वे अपनी कमाई का एक चौथाई हिस्सा बिना किसी मकसद के उन्हें दान करेंगे, जो जरूरतमंद है और विवेक का खिंचाव समाज सेवा की तरह बढ़ा.दरअसल, हकीकत भी यही है कि सेवा का भाव निस्वार्थ हो तभी वह फलता फूलता है. चूंकि इस बात का ढिंढोरा नहीं पिटा जाना चाहिए. यह फिल्मों का प्रोमोशन नहीं है. विवेक ओबरॉय की मां ने शायद इसी भाव से यह सिलसिला जारी रखा है. आज भी वह जूहू के उन तमाम बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं, जो धन की कमी के कारण पढ़ नहीं पाते. लेकिन उनकी मां के बारे में यह खबरें मीडिया में कम ही आयी हैं. जाहिर है यह निर्णय उनका स्वयं का ही होगा. इससे स्पष्ट होता है कि वे इसी बात में विश्वास रखती हैं. विवेक कैंसर मरीजों के लिए भी कई वर्षों से काम कर रहे हैं. यह कदम सराहनीय है और जरूरी है कि सेलिब्रिटिज जिस तरह ब्रांड एंडॉरस्मेंट में आगे आते हैं. वे इस तरह के कामों में भी अपनी दिलचस्पी बढ़ाएं

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