20140802

हाथ टूटने की वजह से बना एक्टर : अली फैजल


अली फैजल ने कम समय में ही बॉलीवुड में खुद को स्थापित कर लिया है. आॅल्वेज कभी कभी, फुकरे के बाद वे फिल्म बॉबी जासूस में विद्या बालन के साथ अहम भूमिका निभा रहे हैं. 

फिल्म बॉबी जासूस में सिर्फ विद्या ही विद्या नजर आ रही हैं. तो ऐसे में आपने फिल्म को हां क्यों कहा?
क्योंकि मुझे इसमें विद्या बालन के साथ काम करने का मौका मिल रहा था. लोगों को ऐसा लग रहा है कि फिल्म में मेरा कोई किरदार ही नहीं, लेकिन आप फिल्म देखें तो आपको ये बात समझ आयेगी कि मेरा फिल्म में कितना अहम किरदार है.  दरअसल, मैंने पहले फिल्म को न ही कह दिया था. लेकिन बाद में जब मैंने पूरी स्क्रिप्ट लिखी. मैं कहानी का फैन हो गया. फिल्म में बॉबी को प्रेरित करने में मेरे किरदार का अहम रोल है. मैं फिल्म में  तव्वसुर सेन का किरदार निभा रहा हूं, जो उसी मोहल्ले का रहनेवाला है. और उसकी अपनी सपनों की दुनिया है. इसी बीच वह बॉबी से टकराता है और वह बॉबी को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.

विद्या के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा और क्या क्या सीखा विद्या से?
विद्या उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं, जिन्हें लोगों को प्यार देना आता है. तो व्यक्तिगत तौर पर मैंने उनसे लोगों को प्यार देना सीखा. काम की बात करें तो मैं और विद्या दोनों में एक खूबी है कि हम दोनों ही अच्छे आॅर्ब्जबर हैं. और अभिनय में इसकी बहुत जरूरत होती है. फिल्म में एक सीन था, जिसमें विद्या को मुझे मारना था. विद्या वह सीन करने में काफी तनाव में थीं. चूंकि उन्हें बार बार ऐसा लगता था कि कहीं मुझे जोर से लग न जाये. फिर गाने वाले सारे सीन, जिसमें संवाद नहीं कहने थे. आंखों से अभिनय करना था. वह काफी कठिन था. लेकिन हम दोनों इसके लिए काफी मेहनत करते थे. खासबात यह थी कि फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद हमने गानों की शूटिंग की थी. तो हमारे पास काफी वक्त था कि हम सिर्फ गाने पर फोकस करें.और इशांअल्लाह गाना क्या खूब निकल कर आया है.

अली, शुरू से ही सोच रखा था फिल्मों में ही आना है?
नहीं, दरअसल, मैं यूं ही अचानक से हीरो बन गया. मैं शुरू से बोर्डिंग स्कूल में था और बोर्डिंग स्कूल में कुछ न कुछ एक्टिविटीज होती ही रहती थी. मुझे बास्केट बॉल में काफी दिलचस्पी थी और मैं खूब खेला भी करता था. लेकिन एक दिन खेलते खेलते मेरे हाथ टूट गये. उसके बाद सबने कहा कि चलो बास्केट बॉल नहीं तो थियेटर करो. तुम अच्छे दिखते भी हो और एक्टिंग भी ठीक ठाक कर लेते हो. तो, बस वही से थियेटर शुरू किया और अभिनय की शुरुआत हुई.

खाली वक्त में क्या करना पसंद है?
मुझे फिल्में देखने का बेहद शौक है. और मैं स्पोर्ट्स काफी खेलता और देखता हूं. फिल्मों में तो मैं हिंदी और अंगरेजी हर तरह की फिल्म देख सकता हूं.

आपकी फिल्म फास्ट एंड फ्यूरियस के बारे में बताएं? साथ ही यह भी बताएं कि कैसा रहा इस फिल्म में काम करने का अनुभव 
यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी कि मुझे कैमियो ही सही लेकिन इस फिल्म से जुड़ने का मौका मिला. फिल्म में छोटा लेकिन अहम है मेरा किरदार. मुझे हॉलीवुड और बॉलीवुड में एक ही अंतर महसूस हुआ कि वे लोग प्लानिंग पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं. उनकी फिल्मों में प्री प्रोडक् शन और पोस्ट प्रोडक् शन पर सबसे ज्यादा मेहनत होती है. वे शूटिंग पर उतना वक्त नहीं देते. शायद यही वजह है कि उनकी तकनीक से हम अब तक तालमेल नहीं बिठा पाये हैं. वैसे हर फिल्म इंडस्ट्री का काम करने का अपना अपना तरीका होता है. वहां के एक्टर्स टेक्नीकल एक्टर्स होते हैं. उन्हें तकनीक के अनुसार अभिनय करना होता है. ताकि बाद में उसे आप
आपको लगातार बड़े बैनर की फिल्में मिली हैं. क्या आपको लगता है कि बैनर महत्व रखता है?
हां, एक न्यू कमर के लिए बैनर तो महत्व रखता है. लेकिन एंड आॅफ द डे आप कामयाब तभी हो सकते हैं, जब आपमें हुनर है. यह परफॉरमेंस वर्ल्ड है.

आपकी आनेवाली फिल्में?
जल्द ही खामोशियां में नजर आऊंगा. खामोशियां विशेष फिल्म्स की फिल्म है. और वाकई इसमें अब तक निभाये गये सारे किरदारों से अलग अंदाज में नजर आऊंगा. फिल्म में एक् शन, इमोशन ड्रामा सबकुछ है.

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