20140218

ेश की बेटियां

 इन दिनों सोनी टीवी टीवी पर प्रसारित  हो रहे धारावाहिक देश की बेटी नंदिनी में नंदिनी अब घर से बाहर निकल कर राजनीति में अपने कदम बढ़ा रही है।  इस शो के शुरूआत  में ही शो के निमार्ता का कहना था कि ये एक आम लड़की की खास कहानी होगी, जिसे लोग देख कर यह कामना करेंगे कि उनकी बेटी भी ऐसी ही हो।  नंदिनी एक बहू के साथ साथ बाहर के कामकाज भी निभा रही है।  वाकई देश में नंदिनी की तरह कई लड़कियां हैं जो अपने घर के साथ साथ देश को भी सँभालने की कोशिश में जुटी हुई हैं।  इस शो में वाकई कई वास्तविकताएं दिखाने की कोशिश की जा रही है. यह सच है कि न चाहते हुए भी टीआरपी की मार झेलने की वजह से हर शो अपनी दिशा से भटक जाते हैं।  देश की बेटी नंदिनी भी उससे अपवाद नहीं है।  लेकिन इसके बावजूद इस शो में जिस तरह के कदम नंदिनी उठा रही हैं।  वह एक आम लड़की का ही प्रतिनिधित्व् कर रही है। चूँकि भारत के हर कोने में ऐसी कहानियां हैं , जहाँ हर लड़की एक बड़े रईस घर में जाने के बावजूद अपने करियर से मुंह नहीं मोड़ती या किसी भी तरह के समझौते नहीं कर रही।  हाल ही में टेलीविजन पर एक नए विज्ञापन का प्रसारण हो रहा है , जिसमें एक कामकाजी महिला का पति अपनी पत्नी की तरफदारी करते हुए कहता है कि वह कमा इसीलिए नहीं रही क्यूंकि उसे कोई जिम्मेदारी पूरी करनी है , बल्कि इसलिए वह काम करना चाहती है क्यूंकि उसे काम करना अच्छा लगता है। इस विज्ञापन में आज के पुरुषों की मानसिकता को दशार्ने की कोशिश की गई है।  ऐसे विज्ञापन एक नयी सोच और नजरिये में बदलाव के सूचक हैं। जिस शख्स ने भी इस विज्ञापन की परिकल्पना की होगी।  निशित्तौर पर वह महिलाओं के विकास की बातें सोचता होगा।  चूँकि ऐसी सोच एक विकासशील सोच रखने वाले व्यक्ति के जेहेन से ही निकल सकती है।  मीडिया और फिल्मों के माधयम से जरुरत बस यही है कि इस तरह के विज्ञापन और धारावाहिकों से महिलाओं के विकास की बातें दिखाई जाएं और उनका प्रोत्साहन बढ़ाया जाये

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