20130930

सहज कलाकार


 फिल्म शुद्ध देसी रोमांस देखने के बाद जो सबसे पहली बात जेहन में आती है वह यही है कि फिल्म के सारे किरदार अपने किरदारों में बहुत सहज हैं. उन्हें देख कर लगता नहीं कि उनकी यह पहली या दूसरी फिल्म है. दूसरी खास बात यह भी है कि हिंदी फिल्मों ने एक नयी शुरुआत की है. फिल्मों के किरदार लार्जर देन लाइफ के नहीं, बल्कि हमारे बीच से ही तलाशे जा रहे हैं. गाने, मेकअप और उनके डायलॉग उनके किरदार के मुताबिक लिखे जा रहे हैं. हां, यह सच है कि अब भी सुपरस्टार्स इन सबसे बाहर नहीं आ पा रहे. शाहरुख खान चेन्नई में एक मिठाईवाले का किरदार निभा तो रहे हैं, लेकिन वह उसमें स्वभाविक नहीं लग रहे.जब वह मिठाई बेच रहे होते हैं तो ऐसा लगता है कि वह खुद ग्राहक हैं. फिल्म में वह भले ही कॉमन मैन का राग अलाप रहे हों. लेकिन हकीकत यही है कि यह राहुल लोगों को आम नहीं लगता.  शायद इसकी वजह यही है कि शुरुआती दिनों के बाद उन्होंने इस तरह के आम किरदार निभाये ही नहीं और दर्शक भी अब उन्हें उस रूप में देखें तो उन्हें वह पूरी तरह से बनावटी ही लगे. लेकिन सुशांत,वाणी परिणिती जो कि फिलवक्त एक या दो फिल्म ही पुराने हैं. ये शुरू से ही ऐसे किरदार निभा रहे हैं, जो बिल्कुल हमारे बीच के किरदार हैं. और शायद यही कारण है कि रघु गाइड से या गायत्री से दर्शक जुड़ पा रहे हैं. फिल्म लंचबॉक्स की इला और मिस्टर फर्नांडीस जैसे किरदार भी हमारे बीच है. इरफान अब सुपरस्टार हैं. लेकिन उन्होंने जिस सहजता से इस आम किरदार को निभाया है. वह बेहद खास है. काय पो चे का ईशान, शुद्ध देसी का रघु ये किरदार दर्शा रहे हैं कि हिंदी फिल्मों के नायक भी अब लार्जर देन लाइफ की इमेज से निकल कर बाहर आने के लिए बेकरार हैं और वे आम किरदार निभाते हुए भी कितने स्वभाविक लग रहे हैं. 

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