20130903

भट्ट कैंप की खोती खासियत


महेश भट्ट ने घोषणा की है कि वे दिल है कि मानता नहीं का भी रीमेक बनायेंगे. दिल है कि मानता नहीं किसी दौर में लोकप्रिय फिल्मों में से एक रही थी. भट्ट कैंप लगातार अपनी हिट फिल्मों का रीमेक बना रहा है. लेकिन उनकी फिल्मों में केवल फिल्मों के शीषर्क ही पुरानी फिल्मों से मेल खाते हैं. न कि फिल्म की कहानी. आशिकी 2 ने हिंदी सिनेमा में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. फिल्म ने कामयाबी हासिल की है. साथ ही फिल्म के संगीत ने भी. अब दिल है कि मानता नहीं को टारगेट किया जा रहा है. कुछ दिनों बाद हम हैं राही प्यार के रीमेक की भी घोषणा होगी. इससे स्पष्ट है कि भट्ट कैंप के पास कहानियों की कमी हो गयी है. वे अपनी पुरानी लोकप्रियता को फिर से परोस कर अपना मुनाफा कमाना चाहते हैं. जबकि किसी दौर में महेश भट्ट ने जख्म, अर्थ जैसी फिल्में बनाई हैं. लेकिन अब वे अपनी पुरानी फिल्मों से ही लोकप्रियता को भुनाना चाहते हैं. अजीब बात यह है कि अगर इस बारे में उनसे कोई पत्रकार कभी कोई प्रश्न पूछे तो वे इसका बेरुखी से जवाब देते हैं. जो इस कैंप की मानसिकता दर्शकों के सामने आ ही नहीं पाती. पिछले कई सालों से लगातार भट्ट कैंप में बोल्ड इमेज वाली फिल्में बनती आ रही थीं. और अब वे लगातार अपनी पुरानी फिल्मों को नये रंग रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं. स्पष्ट है कि वे अब केवल बॉक्स आॅफिस की सफलता पर ध्यान दे रहे हैं. न कि फिल्मों के कंटेंट पर. हिंदी सिनेमा में महेश भट्ट व भट्ट कैंप किसी दौर में खास फिल्मों के लिए जाना जाता था. लेकिन आज वह अपनी मौलिकता खो रहा है. लगातार उनकी फिल्मों की कहानियों का विदेशी फिल्मों से चोरी किये जाने की खबरें आती रहती हैं.ऐसे में क्या समझा जाये. आखिर महेश भट्ट जैसे क्रियेटिव व्यक्ति होने के बावजूद दर्शकों को भट्ट अंदाज की फिल्में क्यों नहीं मिल रही हैं. वे क्यों फिर से कमान नहीं संभाल रहे.

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