20130629

रांझणा जैसा प्रेमी आज के जमाने में मुश्किल है मिलना : सोनम


सोनम कपूर फिल्म रांझणा को अपनी कठिन फिल्मों में से एक मानती हैं. लेकिन उन्होंने इसमें बहुत मेहनत की है. दर्शकों को उनका काम जरूर पसंद आयेगा. ऐसा उन्हें विश्वास है. पेश है अनुप्रिया अनंत से हुई बातचीत के मुख्य अंश

 सोनम कपूर फिल्म में जोया के किरदार में है. सोनम को फिल्म की कहानी और फिल्म में दिखाये गये शहर बनारस दोनों से प्यार हो गया है. बातचीत सोनम से

 कुंदन जैसा प्रेमी मिलना मुश्किल
इस फिल्म में कुंदन का जो किरदार धनुष ने निभाया है. आज के जमाने में वैसा ट्रू लवर मिलना बिल्कुल मुश्किल है. मैं तो मानती ही नहीं कि आज ऐसे लड़के होते भी हैं जो शिद्दत से प्यार करे. फिल्म रांझणा एक ऐसे लड़के की कहानी है जो जिंदगी भर सिर्फ एक लड़की से प्यार करता है. और वह लड़की जोया है. जोया का किरदार निभाने में मुझे बेहद मजा आया. क्योंकि इस किरदार की जो सिंपलिसिटी है वह इसकी खासियत है. इससे पहले मैंने और भी जो फिल्मों में ऐसा किरदार निभाया है. मुसलिम लड़की का किरदार. लेकिन सभी एक दूसरे से बिल्कुल जुदा है. जोया में जो तेवर है. जो अंदाज है. वह बाकी किरदारों में नहीं था. फिल्म में जोया जिस तरह की आंदोलनकारी लड़की की भूमिका में हैं. वह बाकी फिल्मों के किरदारों में नहीं था.
बनारस से प्यार हो गया
मैं भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त हूं. मेरी मां कहती है कि तुम रहती हो मॉर्डन और तुम्हें भगवान से बेहद लगाव है. सो, मैं जब बनारस गयी तो मुझे लगा कि मुझे बाबा भोलेनाथ के दर्शन हो गये. वहां की जो खासियत है कि वहां सुकून बहुत है. वहां वह सबकुछ है जो मेट्रो सिटी में नहीं. वहां की सिंपलसिटी. लोग सभी अच्छे हैं. मुझे तो बनारस से प्यार हो गया. फिल्म का किरदार कुंदन जो कि जोया से प्यार करता है. प्यार में बावला है. ऐसे लड़के मुंबई में तो नहीं मिल सकते. ऐसा मैं कह सकती हूं. तो मुझे तो बनारस से प्यार हो गया. वहां के कपड़ों से. वहां के लोगों से. वहां के चाट, गोलगप्पे से. हर चीज से खुद को जुड़ा पाती हूं.
नंबर वन की रेस में नहीं
यह सच है कि मेरी फिल्में बहुत सफल नहीं हो पा रहीं. लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं कि मेरा काम अच्छा नहीं हो रहा. आप देखें मेरी फिल्मों का चुनाव किस तरह का है. सारी फिल्में याद रखी जानेवाली हैं. जिन निर्देशकों के साथ मैं काम कर रही हूं. वे अदभुत हैं. राकेश ओमप्रकाश, आनंद एल राय सभी मुझे अपने किरदारों में ढाल लेते हैं और मुझे जो कि मेट्रो की लड़की है लेकिन उसे छोटे शहर की लड़की के रूप में दिखा पाते हैं तो वह मेरे अभिनय की खासियत है. भाग मिल्खा भाग में भी मेरा किरदार खास है. वैसे भी मैं नंबर रेस में शामिल नहीं. मेरी फिल्म हिट हो या फ्लॉप. मैं खुश रहना जानती हूं. खुशी मेरे लिए सबसे अहम चीज है.
राकेश ओम प्रकाश मेरे लिए खास
मैं जब राकेश ओम प्रकाश से नहीं मिली थी. उससे पहले मैं डरी सहमी सी रहती थी. मुझमें कांफिडेंस नहीं था. मुझे नहीं लगता था कि मैं अच्छा काम कर सकती हूं. अच्छा काम कर पाऊंगी. लेकिन दिल्ल ी6 में उन्होंने मुझे बोल्ड बनाया. मैं बोलने लगी. मैं लोगों से मिलने लगी. अपनी खूबियों को जानने लगी. तब जाकर मैं समझ पायी कि मुझमें क्या बात है. वह मेरे लिए मेंटर हैं और वह जब भी मुझे कहेंगे. मैं उनकी हर फिल्म में काम करूंगी. भाग मिल्खा भाग मैंने सिर्फ 11 रुपये में की है. चूंकिक राकेश मेरे मेंटर हैं.
धनुष जैसा जीवनसाथी
मुझे मेरी जिंदगी में अगर धनुष जैसा जीवनसाथी मिल जाये तो मैं तो अपने को सबसे महान समझूंगी. धनुष दिल से बहुत नेक इंसान है. ईमानदार हैं और यही वजह है कि उ्यकी हॉनेस्टी लोगों के सामने आती है. वे दिखावटीपन में बिलिव नहीं करते. लेकिन साउथ में ही ऐसे लड़के मिल सकते हैं. ऐसे जीवनसाथी मिल सकते हैं. मुंबई में तो बेहद फेक लड़के मिलते हैं.
स्कूल में की थी किसी ने पागलपंती
मेरे लिए फिल्म रांझणा में जिस तरह कुंदन पागल रहते हैं. वैसे ही रियल लाइफ में मेरा एक दीवाना था. जिसने अपनी खून से मेरे नाम का खत लिखा था. लेकिन आज वह कहां है. कैसा है मुझे नहीं पता. लेकिन ऐसी प्रेम कहानियां स्कूल में खूब हुआ करती थी. फिलहाल मुझे मेरा प्यार अब तक नहीं मिल पाया है. 

1 comment: