20130629

जिंदगी संघर्ष के बिना अधूरी - नील नीतिन मुकेश


पिछले कुछ सालों से नील की फिल्में बॉक्स आॅफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पा रही हैं, उन्हें एक अदद हिट फिल्म की तलाश है लेकिन वह इस संघर्ष को भी इंज्वॉय कर रहे हैं उन्हें लगता है कि संघर्ष बिना जिंदगी अधूरी है.  नील जल्द ही फिल्म शॉटकर्ट रोमियो में नजर आएंगे. एक बार फिर वह ग्रे किरदार में दिखेंगे. उनके इस किरदार और अब तक के कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

 अब तक की आपकी फिल्मों से यह शॉर्टकट रोमियो कितनी अलग होगी. 
 एक शब्द में कहूं तो यह मेरे कैरियर की सबसे ज्यादा कमीना किरदार है. मैं प्लेयर्स में कमीना था जॉनी गद्दार में कमीना था लेकिन शॉटकर्ट में थोड़ा ज्यादा हूं यह आज के युवाओ को प्रस्तुत करता है.जो जिंदगी में बड़ा करना चाहते हैं लेकिन मेहनत के नहीं ऐसा ही इस फिल्म में मेरा किरदार है लेकिन उसका शॉर्टकट उसे कितना महंगा पडता है इसी की कहानी यह फिल्म बयां करता है.

क्या सफलता के लिए आप शॉटकर्ट को सही मानते हैं. 
मैं नहीं मानता अगर विश्वास करता तो कहीं और होता था. लाइफ में शॉर्टकट के जरिए सफलता पाने को भी मैं मुनासिब नहीं मानता हूं. सच कहूं तो शॉर्टकट के रास्ते से आप कहीं नहीं पहुंचते हैं. लाइफ में एक समय ऐसा जरूर आता है, जब आपको अपनी गलती का एहसास होता है और आप सही रास्ते से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं. जीवन में उंचाईया पाने और बडा नाम कमाने के साथ उतना ही विनम्र होना भी जरूरी है. मेरी पापा की यही सीख है जिसे मैं बचपन से मानता हूं.

 रियल लाइफ में आप कितने रोमियो है और अब तक कितनी बार प्यार हुआ है. 
मैं बहुत रोमांटिक हूं लेकिन दुख की बात है जो भी मुझे मिलेगी.वह मुझे छोड़ गयी. इस वक्त में अकेले खुद को कंपनी देता हूं अपने गैजेट और कंप्यूटर के जरिए.  मैं तीन बार सीरियस रिलेशनशिप में रहा हूं लेकिन दो बार लड़कियां मेरे प्रोफेशन से खुश नहीं थी तीसरी बार मुझे समझ आ गया कि यह लड़की मेरी तरह नहीं है.

यह तमिल फिल्म का रिमेक है क्या आपको लगता है कि हमारी इंडस्ट्री में कहानियों की कमी हो गयी है 
जो निर्देशक सुशी गणेश ने मुझे यह फिल्म दिखायी मुझे कहानी अच्छी लगी और मैंने कहा कि हम इसे परदे पर अलग तरह से पेश करेंगे. थोड़ा और  इंटरटेनिंग बनाते हैं. आज दावे के साथ कह सकता हूं कि आप दोनों फिल्मों में जमीन आसमान का अंतर पाएंगे. सच कहूं तो गिन चुनकर पूरे विश्व में कुछ ही कहानियां होता ही उसे अलग तरह से प्रस्तुत करने ही किसी फिल्मकार की यूएसपी है.

 कुलमिलाकर शॉटकर्ट रोमियो में भी आप ग्रे किरदार में इस बार  है ग्रे किरदार आपको क्यूं ज्यादा लुभाता है.
वो इसलिए कि मैं उन किरदार जैसा हूं ही नहीं, सच तो ये है कि परदे पर में जैसा दिखता हूं , असल जिंदगी में उसके एकदम उलट हूं.आप अगर मुझे किसी खिलोनों की दुकान में अपने भानजे के साथ देखें तो आप पायेंगे कि मैं उससे ज्यादा छोटा बच्चा हूं। यही वजह है कि मुझे अपने से विपरीत किरदार चुनौतीपूर्ण लगते हैं.


आपकी फिल्म जॉनी गद्दार और न्यूयॉर्क बहुत पसंद की गयी थी ऐसे में क्या वजह रही जो आप उस सफलता को बरकरार नहीं रह पाए 
(मुस्कुराते हुए ) काश कि मैं सफलता के गणति को जान पाता. काश कि मुझे पता होता कि कामयाबी का फॉर्मूला क्या है? प्लेयर्स इतने बड़े बजट की फिल्म थी मगर चली नहीं, जबकि, न्यूयार्क खूब चल गयी. वैसे मेरी  लफंगे परिंदे और  आ देखें ज़रा ने बॉक्स आॅफिस पर अपने पूरे पैसे वसूले तभी तो उन निर्माताओं ने मुझे रिपीट किया.मुझे लगा था कि  सात खून माफ बॉक्स आॅफिस पर क्लासिक साबित होगी  पर वो नहीं चली, तो मुझे नहीं पता कि दर्शक को क्या पसंद आता है. मैं  खुद को फाइटर समझता हूं. मुझे लगता है कि बस मुझे एक पंच की ज़रूरत है.मैं अपने बुरे दौर में बच्चन साहब का उदाहरण लेता हूं कि उन्होंने कितना लम्बा असफलता का दौर देख्

आपके साथ रनबीर और इमरान खान ने भी अपनी शुरुआत की थी  रोमांटिक  वे ज्यादातर रोमांटिक रोल में नजर आते हैं आपने ज्यादातर ग्रे किरदार किए हैं क्या आपको लगता है कि यह बात आपके कैरियर के खिलाफ गय ीहै. 
मैं अपनी तुलना उनसे नहीं करना चाहता. दरअसल वे बडे स्टार हैं और मैं महज एक एक्टर हूं. मैंने सात राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशकों के साथ काम किया है, इसे ही मैं अपने लिए उपलब्धि मानता हूं. रणबीर, इमरान और मेरे बीच किसी प्रकार का कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. रनबीर मेरे भाई की तरह हैं.

 आपके शब्दों में इंडस्ट्री में अब तक की आपकी जर्नी कैसी रही है. 
 मेरी इंडस्ट्री में अब तक की जर्नी बहुत रोचक रही है. मैंने बहुत से उतार चढाव देखे हैं लेकिन इन सबसे बहुत कुछ सीखने को मिला है. अपने कैरियर में मैं सात बार नेशनल एवार्ड विनर निर्देशकों के साथ काम कर चुका हूं. इससे ज्यादा खुशनसीबी मेरी और क्या होगी. यहां मैं प्लेयर्स का उदाहरण देना चाहूंगा. यह फिल्म  बॉक्स आॅफिस पर भले ही न चली हो लेकिन अब्बास मस्तान भाई ने मैंने बहुत कुछ सीखा है. मुझे लगता है कि हम सभी एक्टर पेंसिल की तरह होते हैं. निर्देशक पेंसिल लेता है और अपने मुताबिक स्केच बनाने लगता है लेकिन अब्बास मस्तान भाई पेंसिल को लेते हैं फिर उसे छिलते हैं फिर स्केच बनाते हैं. वैसे प्लेयर्स के न चलने की जो वजह मुझे नजर आती है वह यह कि उस फिल्म का बजट थोड़ा ज्यादा है. आज के दौर में १० करोड़ से ज्यादा फिल्म का बजट नहीं होना चाहिए. इसके अलावा इटालिएन जॉब का रिमेक बोलकर उस फिल्म का प्रचार करना भी उसके खिलाफ गया.

 आपकी  आनेवाली फिल्में कौन कौन सी हैं. 
मेरी आनेवाली फिल्म इश्केरिया और दशहरा है.


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