20130513

गैंग्स ने बदल दी जिंदगी : हुमा

हुमा ने अपनी पहली ही फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से दर्शकों के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली. फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उन्होंने जिस तरह ठेठ बिहारी लड.की का किरदार निभाया, फिर ‘लव शव ते चिकन खुराना’ में वे पंजाबी बन कर लोगों के सामने आयीं और अब फिल्म ‘एक थी डायन’ में वह एक अलग ही रूप में दर्शकों के सामने होंगी. बेहद बातूनी हुमा हमेशा की तरह बेहद रोचक तरीके से सारे सवालों का जवाब देती गयीं. बातचीत हुमा से.. 

हुमा, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में एकदम बिंदास किरदार फिर ‘लव शव..’ में पंजाबी कुड.ी का किरदार, तो इस बार कहां डायनों के बीच आ फंसी आप?

अरे, मैं फंसी बिल्कुल नहीं हूं. मैं यहां भी आपको बिंदास ही नजर आऊंगी. पहले आप फिल्म तो देखिए. इस फिल्म में भी मैं अपने स्वभाव के मुताबिक ही किरदार निभा रही हूं. खूब मस्ती करती हूं. नाचती गाती हूं. इमरान जो कि फिल्म में जादूगर हैं, मैं उनकी गर्लफ्रेंड का किरदार निभा रही हूं. 

इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

‘एक थी डायन’ जैसी फिल्म को आप न कह ही नहीं सकते. मेरा तो इस फिल्म के लिए बाकायदा ऑडिशन हुआ था. विशाल जी ने मेरी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ देखी थी. उनको मेरा काम अच्छा लगा था. उन्होंने मुझे बुलाया. दो दिन ऑडिशन चला. फिर कहानी सुनायी गयी. स्क्रिप्ट दी गयी और मुझे लग रहा था कि मुझे इस फिल्म का हिस्सा होना ही है, क्योंकि जिस तरह से ये कहानी लिखी गयी है, जितने टर्न एंड ट्विस्ट हैं फिल्म में, वो बिल्कुल अलग असर छोड.ते हैं. फिल्म के सारे कैरेक्टर अच्छे हैं. इससे पहले मैंने ऐसे जॉनर में काम नहीं किया था. मेरे पास कभी ऐसा ऑफर आया भी नहीं था, लेकिन मैं ऐसे किरदार करना जरूर चाहती थी. विशाल भारद्वाज के साथ किसी ऐसी फिल्म में काम करना एक नयी अभिनेत्री के लिए बड.ी बात है. मेरे लिए तो यह बेवकूफी ही होती अगर मैं फिल्म को न कहती.

फिल्म के निर्देशक तो कत्रन अय्यर हैं, लेकिन सभी केवल विशाल की ही बातें कर रहे हैं. निर्देशक के बारे में तो थोड.ी जानकारी दें? कैसा रहा उनके साथ का अनुभव?

ये उनकी पहली फिल्म है, लेकिन वे कमाल के निर्देशक हैं. आपको फिल्म देखने के बाद कहीं भी नहीं लगेगा कि यह उनकी पहली फिल्म है. उन्होंने किस तरह एक अनयूजअल-सी कास्टिंग सोची और फिल्म के किरदार में हर किरदार को कितनी महत्ता से दिखाया है, उसे गढ.ा है, इसका एहसास आपको फिल्म देख कर ही होगा. कत्रन सर काफी समय से इंडस्ट्री से जुडे. रहे हैं. उन्होंने काफी काम किया है. इसलिए, इस फिल्म में वे सारे अनुभव का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही फिल्म के कलाकार कल्कि, कोंकणा, इमरान सभी के साथ काम करके बहुत मजा आया.

हुमा, अब इंडस्ट्री का रवैया आपकी तरफ किस तरह बदला है. क्या अब लोग आपको पहले से अधिक तवज्जो देने लगे हैं?

ईमानदारी से कहूं तो मैंने बहुत स्ट्रगल नहीं किया है. मुझे बहुत प्यार मिला है. मैंने कभी महसूस नहीं किया कि आउटसाइडर हूं. बाहर से आयी हूं. हां, मगर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ मेरे लिए लकी साबित हुई. इस फिल्म ने मुझे बदला है. 

हां,यह जरूर है कि इंडस्ट्री में मेरा कोई गॉड फादर नहीं रहा. लेकिन ‘गैंग्स’ की वजह से लोगों ने मुझे अच्छे रोल देने शुरू कर दिये और शुरुआती दिनों में ही इतने अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिलता है, तो इससे बड.ी खुशकिस्मती और क्या होगी. आप कह सकती हैं कि ‘गैंग्स’ मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट रहा. इस फिल्म से मैंने बहुत सीखा है. आज जो हूं, इसी की वजह से हूं.हुमा ने अपनी पहली ही फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से दर्शकों के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली. फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उन्होंने जिस तरह ठेठ बिहारी लड.की का किरदार निभाया, फिर ‘लव शव ते चिकन खुराना’ में वे पंजाबी बन कर लोगों के सामने आयीं और अब फिल्म ‘एक थी डायन’ में वह एक अलग ही रूप में दर्शकों के सामने होंगी. बेहद बातूनी हुमा हमेशा की तरह बेहद रोचक तरीके से सारे सवालों का जवाब देती गयीं. बातचीत हुमा से.. 

हुमा, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में एकदम बिंदास किरदार फिर ‘लव शव..’ में पंजाबी कुड.ी का किरदार, तो इस बार कहां डायनों के बीच आ फंसी आप?

अरे, मैं फंसी बिल्कुल नहीं हूं. मैं यहां भी आपको बिंदास ही नजर आऊंगी. पहले आप फिल्म तो देखिए. इस फिल्म में भी मैं अपने स्वभाव के मुताबिक ही किरदार निभा रही हूं. खूब मस्ती करती हूं. नाचती गाती हूं. इमरान जो कि फिल्म में जादूगर हैं, मैं उनकी गर्लफ्रेंड का किरदार निभा रही हूं. 

इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

‘एक थी डायन’ जैसी फिल्म को आप न कह ही नहीं सकते. मेरा तो इस फिल्म के लिए बाकायदा ऑडिशन हुआ था. विशाल जी ने मेरी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ देखी थी. उनको मेरा काम अच्छा लगा था. उन्होंने मुझे बुलाया. दो दिन ऑडिशन चला. फिर कहानी सुनायी गयी. स्क्रिप्ट दी गयी और मुझे लग रहा था कि मुझे इस फिल्म का हिस्सा होना ही है, क्योंकि जिस तरह से ये कहानी लिखी गयी है, जितने टर्न एंड ट्विस्ट हैं फिल्म में, वो बिल्कुल अलग असर छोड.ते हैं. फिल्म के सारे कैरेक्टर अच्छे हैं. इससे पहले मैंने ऐसे जॉनर में काम नहीं किया था. मेरे पास कभी ऐसा ऑफर आया भी नहीं था, लेकिन मैं ऐसे किरदार करना जरूर चाहती थी. विशाल भारद्वाज के साथ किसी ऐसी फिल्म में काम करना एक नयी अभिनेत्री के लिए बड.ी बात है. मेरे लिए तो यह बेवकूफी ही होती अगर मैं फिल्म को न कहती.

फिल्म के निर्देशक तो कत्रन अय्यर हैं, लेकिन सभी केवल विशाल की ही बातें कर रहे हैं. निर्देशक के बारे में तो थोड.ी जानकारी दें? कैसा रहा उनके साथ का अनुभव?

ये उनकी पहली फिल्म है, लेकिन वे कमाल के निर्देशक हैं. आपको फिल्म देखने के बाद कहीं भी नहीं लगेगा कि यह उनकी पहली फिल्म है. उन्होंने किस तरह एक अनयूजअल-सी कास्टिंग सोची और फिल्म के किरदार में हर किरदार को कितनी महत्ता से दिखाया है, उसे गढ.ा है, इसका एहसास आपको फिल्म देख कर ही होगा. कत्रन सर काफी समय से इंडस्ट्री से जुडे. रहे हैं. उन्होंने काफी काम किया है. इसलिए, इस फिल्म में वे सारे अनुभव का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही फिल्म के कलाकार कल्कि, कोंकणा, इमरान सभी के साथ काम करके बहुत मजा आया.

हुमा, अब इंडस्ट्री का रवैया आपकी तरफ किस तरह बदला है. क्या अब लोग आपको पहले से अधिक तवज्जो देने लगे हैं?

ईमानदारी से कहूं तो मैंने बहुत स्ट्रगल नहीं किया है. मुझे बहुत प्यार मिला है. मैंने कभी महसूस नहीं किया कि आउटसाइडर हूं. बाहर से आयी हूं. हां, मगर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ मेरे लिए लकी साबित हुई. इस फिल्म ने मुझे बदला है. 

हां,यह जरूर है कि इंडस्ट्री में मेरा कोई गॉड फादर नहीं रहा. लेकिन ‘गैंग्स’ की वजह से लोगों ने मुझे अच्छे रोल देने शुरू कर दिये और शुरुआती दिनों में ही इतने अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिलता है, तो इससे बड.ी खुशकिस्मती और क्या होगी. आप कह सकती हैं कि ‘गैंग्स’ मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट रहा. इस फिल्म से मैंने बहुत सीखा है. आज जो हूं, इसी की वजह से हूं.

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