20130513

स्वतंत्र फिल्म के दर्शक



एक तरफ बॉलीवुड में लगातार कमर्शियल फिल्में बन रही हैं. एक हफ्ते में तीन तीन फिल्में रिलीज हो रही हैं. ऐसी ही भीड़ में कुछ ऐसी भी फिल्में रिलीज हो रही हैं, जो अलग सोच और विजन के साथ बन रही हैं. मुख्य रूप से पीवीआर डायरेक्टर्स रेअर के बैनर तले कई स्वतंत्र बैनर की फिल्मों को रिलीज करने का मौका दिया जा रहा है. हाल ही में फिल्मीस्तान को राष्टÑीय पुरस्कार मिला. इस फिल्म के निर्देशक नीतिन कक्कर इस बात से खुश तो हैं. लेकिन वे इस बात पर अफसोस भी जताते हैं कि कई लोगों को पता ही नहीं है कि उनकी फिल्म है कौन सी? दरअसल, हिंदी सिनेमा की भीड़ में इन फिल्मों ने अपनी जगह बना ली है. आज ही लेसनस इन फॉरगेटिंग द फिल्म रिलीज हो रही है. इस फिल्म को कई समारोह में सराहना मिली. लेकिन दर्शकों को इसके बारे में खास जानकारी नहीं. कुछ इसी तरह की फिल्म सेल्योलाइड मैन भी है. पीके नायर पर आधारित यह फिल्म भी बेहतरीन फिल्म है. लेकिन दर्शकों तक इसकी पहुंच नहीं है. पिछले साल मामी फिल्मोत्सव में शीप आॅफ थेसस की धूम रही, लेकिन दर्शकों तक यह फिल्म नहीं पहुंच पायी है. इस दौर में जहां प्रोडयूसर और कमर्शियल प्रोडयूसर होना इतना अनिवार्य है. ऐसे दौर में भी कई ऐसे निर्देशक हैं, जो फिल्मों के बॉक्स आॅफिस रिपोर्ट की परवाह किये बगैर फिल्में बना रहे हैं और अपनी मेहनत से उसे कई फिल्म समारोह तक भी पहुंचाते हैं. धीरे धीरे जब इन्हें माउथ पब्लिसिटी मिलती है. तब जाकर कहीं ये फिल्में रिलीज हो पाती हैं. फिल्मीस्तान के निर्देशक नीतिन बताते हैं कि अब भी बॉलीवुड में उन्हीं फिल्मों को रिलीज करने में आसानी होती है, जिनमें स्टार्स हैं. लीक से हटकर बननेवाली फिल्मों को खरीददार नहीं मिलते. लेकिन जब वे फिल्में दर्शकों तक पहुंचती है और वे उसे पसंद करते हैं तो धीरे धीरे लोग उसमें रुचि जगाते हैं.

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