20130408

दिल सच्चा और चेहरा झूठा



हाल ही में विश्व विख्यात निर्देशक स्पीलबर्ग जब मुंबई आये थे. उस दौरान एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. अमिताभ बच्चन के साथ एक विशेष बातचीत में स्पीलबर्ग  ने अपने फिल्मी  करियर के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने न सिर्फ अपनी कामयाबी, बल्कि अपनी जिंदगी के वे सारे तार खोले, जब वह असफल रहे. जब उन्होंने भी किसी को धोखा दिया. उन्होंने बहुत ईमानदारी से अपनी जिंदगी के सारे पन्ने खोल कर रख दिये. शायद स्पीलबर्ग भारत के सिनेमा से संबंध रखते तो वे खुल कर अपनी पूरी बातें नहीं रख पाते. चूंकि हिंदी सिनेमा जगत की शख्सियत सच बोलने की हिम्मत नहीं रखती. हिंदी सिने जगत का हर शख्स मुखौटा पहन कर रहता है. वे हमेशा अपनी वाहवाही सुने के आदि हो जाते हैं. वे कभी भी मीडिया में अपने बारे में कोई भी नकारात्मक बातें नहीं सुन पाते. चूंकि यहां सेलिब्रिटिज अपनी इमेज को ही बरकरार रख कर ही टिके रह सकते हैं. जबकि भारत से बाहर आप कहीं भी जायें, या विश्व स्तर के सेलिब्रिटिज से मिलें तो वे आपसे खुल कर अपने व्यक्तित्व की सारी बातें कह जाते हैं. वे बनावटी बनने की कोशिश नहीं करते. हिंदी सिने जगत को स्पीलबर्ग से यह बात जरूर सीखनी चाहिए कि किस तरह वे इतने बड़े निर्देशक होकर भी अपनी बात सच्चाई से सबके सामने रखते हैं. दरअसल, इसी बात को दूसरे पहलू से देखें तो हिंदी सिनेमा जगत के दर्शक भी उन्हीं कलाकारों की जिंदगी जानने में दिलचस्पी लेते हैं. जो बंद किताब हैं. शायद यही वजह है कि सेलिब्रिटिज अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से लोगों के सामने नहीं खोलते. लेकिन अगर यह सोच बदले तो शायद सिनेमा से दर्शकों का लगाव और नजदीकी शायद और बढ़े. चूंकि फिर वे अपने आइडल की वास्तविक छवि देख पायेंगे और खुद ही तय कर पायेंगे कि कौन सच्चा है कौन झूठा

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