20130322

राष्टÑीय सम्मान की नयी फौज



नेशनल अवार्ड 2013 की घोषणा हो चुकी है. इस बार  हिंदी सिनेमा जगत के उन नामों की फेहरिस्त लंबी है. जो इस फिल्म इंडस्ट्री के खानदानी परिवार से नहीं हैं. मसलन फिल्मी खानदान से नहीं हैं. इरफान खान, नवाजुद्दीन सिद्दकी, तिग्मांशु धूलिया,सुजोय घोष जैसे नाम शामिल हैं. पान सिंह तोमर, कहानी,विकी डोनर, चिट्टगांव व गैंग्स आॅफ वासेपुर जैसी फिल्मों के नाम कई राष्टÑीय पुरस्कार हैं. इससे स्पष्ट है कि हिंदी सिनेमा जगत में अब पूरी तरह से दबदबा मुंबई के फिल्मी खानदान की बजाय बाहरी प्रतिभाओं का हो चुका है. हाल ही में फिक्की  फ्रेम्स में करन जौहर की अगुवाई में इसी विषय पर चर्चा हुई थी कि किस तरह फिल्मी खानदान को दरकिनार कर हिंदी सिने जगत में बाहरी प्रतिभाएं अपना नाम शामिल कर रही हैं और राष्टÑीय पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियों में मिले पुरस्कार इस बात का साक्षात प्रमाण है. किसी दौर में करन जौहर अनुराग कश्यप की फिल्मों को खास महत्व नहीं देते थे और अब वही करन भलिभांति स्वीकारते हैं कि अनुराग बेहतरीन निर्देशक हैं. साथ ही करन ने यह भी स्वीकारा कि यह सच है कि अगर उनके पिता फिल्म इंडस्ट्री से नहीं होते तो शायद ही वह निर्माता बन पाते. स्पष्ट है कि आज भी इंडस्ट्री में नेपोटिज्म जिसे हम भाई भतीजावाद कह सकते हैं वह हावी है. मजाकिया अंदाज में करन ने यह स्वीकार भी लिया था कि वह नेपोटिज्म के ब्रांड अंबैस्डर हैं. फिक्की फ्रेम्स में सुजोय घोष ने अपनी बातों में दर्शाया कि किस तरह किसी बाहरी के लिऐ किसी प्रोडक् शन हाउस तक पहुंच पाना कठिन होता है. लेकिन सच तो यह है कि एक  नयी फौज तैयार हो चुकी है और वह लगातार सबको चौकाने के लिए तैयार है और चौका रही है. निश्चित तौर पर सुपरस्टार्स व स्टारडम की हैसियत रखनेवाले शख्सियत थोड़े तो थररायेंगे होंगे इस कामयाबी से. आखिर यह एक बड़ी सफलता है.

No comments:

Post a Comment