20130204

यह कैसा विज्ञापन ?



सिनेमा थियेटर में इन दिनों धूम्रपान निषेद को लेकर कई तरह के विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं. हर फिल्म निर्माता से यह बात साफ कर दी गयी है कि वे अपनी फिल्मों से पहले इस विज्ञापन का प्रेजेंटेशन जरूर करेंगे. सरकार की तरफ से यह निर्देश तो दे दिया गया है. लेकिन उन्होंने धूम्रपान पर जो विशेष विज्ञापन जारी किया है. वह किसी खौफनाक फिल्म से कम नहीं लगता. हर फिल्म के पहले हिंदी व अंगरेजी में जो तंबाकू निषेद पर फीचर प्रेजेंटेशन दिखाये जा रहे हैं. वह हद से अधिक डरावने है. डरावने इस लिहाज से कि हर प्रेजेंटेशन में कई कैंसर पीड़ित मरीजों के उन हिस्सों को दिखाया जाता है जो कैंसर से ग्रसित भाग हैं. साथ ही कई कैसंर पीड़ित मरीजों को भी दिखाया जाता है. क्या इस तरह तंबाकू पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? आमतौर पर हम बच्चों को अस्पतालों से दूर रखते हैं. लेकिन इस लंबे अंतराल के लिए चलनेवाले फीचर प्रेजेंटेशन का क्या बुरा प्रभाव बच्चों पर नहीं होगा. सरकार की सोच है कि तंबाकू और धूम्रपान पर निषेद हो. तो वे उस तरह के विज्ञापन बनाएं. आखिर सिनेमा थियेटरों में केवल बड़े बुजुर्ग नहीं जाते. बच्चे भी जाते. हाल ही में इंकार फिल्म देखते हुए मैंने यह महसूस किया कि इस विषय पर सरकार का ध्यान खींचना जरूरी है. चूंकि मेरी ही बगल में एक बच्चा बैठा था. जो यह विज्ञापन देख कर बार बार रोने लगा. उसकी मां उसकी आंखें बंद करके  उसे अपने गले में लगा रही थी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. कई बार ऐसी स्थिति मैंने महसूस की है. आखिर आपका मुख्य उद्देश्य क्या है. विज्ञापन के माध्यम से संदेश पहुंचाना न. तो एक अच्छे विज्ञापन से भी यह तो संभव है. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म मटरू की बिजली का मंडोला में विशाल भारद्वाज ने अपनी फिल्म से पहले ऐसे विज्ञापनों की शुरुआत करने से मनाही कर दी थी. उन्होंने खुद गुलजार से गीत लिखवाये और फिर उस पर विज्ञापन बनवाया. हिंदी सिने जगत में क्रियेटिव लोगों की कमी नहीं है. और सरकार चाहे तो कई खूबसूरत और प्रभावशाली विज्ञापन बनाये जा सकते हैं. विशाल की तरह बाकी निर्देशकों को भी इसकी पहल करनी ही चाहिए. चूंकि यह नजरअंदाज करनेवाला मुद्दा नहीं है. हम थियेटर मनोरंजन के लिए जाते हैं. ऐसे में कई व्यक्ति सिर्फ इस विज्ञापन की वजह से उलटियां करने लगें या फिर तबियत खराब कर लें. बच्चे डर जायें तो यह कैसा मनोरंजन होगा. अच्छी फिल्मों को देखने की इच्छा भी मर जायेगी. सो जरूरी है कि यह तरीका बदला जाये.

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