20130108

इंकार के बहाने



 सुधीर मिश्रा की फिल्म इंकार आॅफिस परिसर में महिलाओं के साथ होनेवाले सेक्सुअल हैरेशमेंट पर आधारित है. इस विषय पर गंभीरता से बननेवाली यह फिल्म होगी. सुधीर मिश्रा की सोच काबिलेतारीफ हैं कि उन्होंने अपने दोस्त व फिल्म के लेखक मनोज त्यागी द्वारा सुझाये गये इस विषय पर गंभीरता से सोचा. फिल्म दर्शकों को किस हद तक पसंद आयेगी या नहीं, इसका फैसला तो फिल्म की रिलीज पर होगा. लेकिन एक बात तय है कि कम से कम इसी फिल्म के बहाने इस विषय पर लोगों का ध्यान जायेगा. चूंकि यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि भारत में आधी आबादी को भी सेक्सुअल हैरेशमेंट और इससे जुड़े कानून या उसके प्रावधान के बारे में जानकारी होगी. इंकार की टीम इसलिए भी बधाई की पात्र है कि फिल्म के निर्माताओं ने हाल ही में मेट्रो शहरों में सर्वक्षेण कराया है. जिसके आंकड़ें बता रहे हैं कि एक प्रतिष्ठित आइटी कंपनी में सबसे अधिक इस तरह के मामले दर्ज हुए हैं. लेकिन ऐसे कई शहर और कंपनियां हैं, जहां इसके बारे में तो महिलाओं को जानकारी भी नहीं और अनजाने में अपने साथ हो रहे अत्याचार को बर्दाश्त कर रही है. दरअसल, भारत में महिलाओं के साथ यही  विडंबना है कि वे हर वक्त अपने पुरुष साथी या पति या पिता या भाई पर निर्भर रहती हैं. और यही कारण है कि वे केवल कागजों में दस्तखत करने तक सीमित रहती है. कितनी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपना बीमा तो करवाया होगा. लेकिन इसके प्रावधान नहीं जानतीं. कई महिलाएं कंप्यूटर या तकनीकी चीजें जानना नहीं चाहतीं क्योंकि वह पुरुषों पर निर्भर होती हैं. यही वजह है कि सेक्सुअल हैरेशमेंट जैसे मुद्दों पर भी वह चुप्पी साध कर रहती हैं.ऐसे में सुधीर मिश्रा की फिल्म इंकार निश्चित तौर पर कुछ हद तक तो जरूर रास्ता दिखायेगी महिलाओं को यह फिल्म एक बार तो जरूर देखनी चाहिए.

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