20130108

12-12-12 अफवाहों से बेपरवाह



पिछले लगभग एक वर्ष से सोशल नेटवर्किंग समेत दुनिया के तमाम अखबार व समाचार चैनलों में लगातार 12-12-12 के दिन विश्व की तबाही की बात दोहरायी जा रही है. कहीं लोगों ने इसे वाकई काफी गंभीरता से लिया तो कहीं इसे लेकर कई तरह के मजाक भी हुए. लेकिन इससे सबसे बेफिक्र अगर कोई नजर आया है तो वह है भारतीय सिनेमा जगत. इस दिन से जुड़े अफवाहों से बेपरवाह होकर सिनेमा जगत ने न सिर्फ अगले साल रिलीज होनेवाली कई फिल्मों की घोषणा की है, बल्कि हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने की खुशी में जश्न का भी ऐलान किया है. इस क्रम में अनुराग कश्यप ने 12 निर्देशकों से साथ बनी एक  ँप्रयोगात्मक फिल्म द लास्ट एक्ट की घोषणा की है. तमिल सिनेमा के लोकप्रिय सुपरस्टार रजनीकांत न सिर्फ अपना जन्मदिन धूमधाम से मना रहे हैं, बल्कि उनकी बेटी सौंदर्य पिता के साथ एक फिल्म की घोषणा भी कर रही हंै. हिंदी सिनेमा जगत में आनेवाले सालों में कुछ बेहतरीन फिल्मों की घोषणा हुई है, जिनमें आशुतोष ग्वारिकर की पीरियड फिल्म की चर्चा है. दरअसल, यह हकीकत है कि निर्देशक हमेशा दूरदर्शी होता है. वह कल में जीता है. राकेश रोशन ने एक बार अपनी बातचीत में कहा था कि एक फिल्मकार के लिए किसी विषय को लेकर फिल्म बनाना इसलिए भी कठिन होता है क्योंकि एक फिल्म बनने में कई साल लग जाते हैं और यह जरूरी नहीं कि वह जिस विषय को लेकर फिल्म बनाने की शुरुआत कर रहा हो. वह विषय प्रासंगिक ही हो. इसलिए एक निर्देशक को बहुत दूर की सोच रखनी चाहिए. वाकई, अगर ऐसा न होता तो शायद राजकपूर ने कई सालों पहले मेरा नाम जोकर जो आज के दौर में प्रासंगिक है न बना दिया होता. और भी ऐसी कई फिल्में हैं, जो उस दौर में कामयाब नहीं हुईं लेकिन बाद के दौर में कामयाब रही. सिनेमा हमेशा सकारात्मक सोचता है

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