20121127

सिनेमाई सफ़र की सेकेंड इनिंग

श्रीदेवी खुश हैं. उत्साहित हैं. उनकी कमबैक फिल्म इंगलिश-विंगलिश को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. उनका मनोबल बढ़ा है और अब एक बार फिर से फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ रही हैं. माधुरी दीक्षित जल्द ही डेढ़ इश्किया और गुलाब गैंग में केंद्रीय भूमिका में नजर आने जा रही हैं. रवीना भी दोबारा फिल्मों में वापसी कर रही हैं. तो मनीषा कोईराला और करिश्मा ने अपनी फिल्में भूत रिटर्न और डेंजरस इश्क से उपस्थिति दर्ज करा चुकीं हैं. स्पष्ट है कि बॉलीवुड की बालाओं की यह गैंग जो कभी बॉलीवुड में अपने अभिनय से सबको चौंकाती रही हैं. एक बार फिर से सेकेंड इनिंग कर रही हैं. 


इंगलिश विंगलिश का फर्स्ट लुक जिस दिन लांच किया गया था. और जिस तरह श्रीदेवी को सेंसर सर्टिफिकेट के साथ बात करते हुए दिखाया गया था. और जिस तरह दर्शकों ने जम कर तालियां बजाई थीं. जाहिर हो चुका था कि दर्शक आज भी श्रीदेवी का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन असल परीक्षा फिल्म की रिलीज और उसकी सफलता पर आधारित थी. और उसमें श्रीदेवी पास हुईं. लंबे समय के बाद किसी फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी दिखाई गयी, जो अंगरेजी सिर्फ इसलिए सीखना चाहती है ताकि वह अपने परिवार वालों को खुशियां दे सकें. श्रीदेवी ने जिस जीवंतता से शशि का किरदार निभाया. दर्शक उनकी उम्र भूल गये और श्रीदेवी को तहे दिल से स्वीकार किया. श्रीदेवी जो कभी चुलबुली सी अदाकारा होने के साथ साथ  अपनी नृत्यशैली के लिए भी जानी गयीं, उन्होंने एक हाउस ह्वाइफ की भूमिका में भी खूब रंग बिखेरे. फिल्म इंगलिश विंगलिश के आखिरी दृश्य में जिस तरह शशि अपना स्पीच देती है. थियेटर के सभी लोग रोने लगते हैं. यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसे कई लोगों ने अपनी मां को भी डेडिकेट किया. दरअसल, यह श्रीदेवी के अभिनय का कमाल था कि 14 साल की वापसी के बावजूद दर्शकों को श्रीदेवी में वही ताजगी नजर आयी. श्रीदेवी इस फिल्म को लेकर काफी नर्वस थीं. इसकी वजह यह थी कि वह जानती हैं कि बॉलीवुड के दर्शक अभिनेत्रियों को यहां दूसरी पारी खेलनी की भलिभांति इजाजत नहीं देते. कई अभिनेत्रियों ने जब भी दूसरी शुरुआत करने की कोशिश की है. नाकामयाब रही हैं. ऐसे में श्रीदेवी का नर्वस होना स्वभाविक था. लेकिन उनकी एक सफलता ने दरअसल, उन तमाम अभिनेत्रियों का मनोबल बढ़ा दिया है. जो अपनी दूसरी पारी की शुरुआत करने जा रही हैं. माधुरी दीक्षित ने अपने परिवार के लिए फिल्मों से दूरी बना ली थी. वे अमेरिका चली गयी थीं. वे अमेरिका तो गयीं. बस भी गयी थीं. लेकिन उनकी आत्मा आज भी बॉलीवुड में थी. वे वापस लौट आयीं और फिर से गुलाब गैंग और डेढ़ इश्किया से अपनी दूसरी शुरुआत कर रही हैं. लेकिन निश्चित तौर पर वे भी नर्वस हैं. चूंकि उन्होंने भी अपनी आधी जिंदगी इंडस्ट्री में ही गुजारी है. एक अभिनेत्री की उम्र इंडस्ट्री में कितने सालों की होती हैं. यह वह भी जानती हैं. श्रीदेवी लेकिन वाकई लकी रहीं कि उनकी सेकेंड इंिनंग में उन्हें कामयाबी का स्वाद चखने का मौका मिला. वरना, कम अभिनेत्रियां ही दूसरी पारी में यह स्वाद चख पाती हैं. किसी दौर में श्रीदेवी को बराबरी की टक्कर देनेवाली माधुरी भी अपनी सेकेंड इनिंग में नाकामयाब रही थीं. खुद माधुरी मानती हैं कि यह सच है कि आज भी निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते हैं. लेकिन जब वे अपने अभिनय के आधार पर अपना मेहनताना मांगती हैं तो निर्माता चौंक जाते हैं. दरअसल, हकीकत यही है कि भले ही आज लोग माधुरी की तारीफ सार्वजनिक स्थलों पर कर दें. उनके मुस्कान के कायल हो जायें. लेकिन जब वह परदे पर आती हंैं तो लोग आज भी उनसे तेजाब वाली एक दो तीन की तरह थिरकने और अदाएं दिखाने की ही उम्मीद करते हैं. माधुरी बेहतरीन अभिनेत्री हैं. लेकिन यह भूला नहीं जा सकता कि उन्होंने शादी के बाद जब आ जा नचले जैसी फिल्म की,तो दर्शकों ने उन्हें सिरे से नकार दिया. निश्चि तौर पर वह डर आज भी माधुरी के मन में कहीं न कहीं होगा. क्योंकि एक कलाकार के लिए उसकी सबसे बड़ी पूंजी उसकी लोकप्रियता व उसके दर्शक ही होते हैं. हिंदी फिल्मों में पिछले 20 सालों से लगातार कुछ पुरुष सुपरस्टार्स का ही दबदबा है. लेकिन वे सारी अभिनेत्रियां जो किसी दौर में शीर्ष पर थीं. आज उन्हें दर्शकों से वह प्यार नहीं मिल पा रहा. दरअसल, हिंदी फिल्मों की यह विडंबना है कि यहां अभिनेत्रियों की खूबसूरती को हमेशा सबसे अधिक दिलचस्पी दी गयी है. अभिनेत्रियों ने जहां घर बसाया. शादी की. बच्चे हुए. वे उनके कमबैक की कल्पना भी नहीं करते और अगर वे कमबैक करें भी तो उनकी रुचि खत्म हो जाती है. और यही वजह है कि किसी दौर में राजा हिंदुस्तानी जैसी फिल्मों से अपनी खास स्थान बना चुकीं करिश्मा कपूर जब डेंजरस इश्क जैसी फिल्मों से वापसी करती हैं और फिल्में नाकामयाब हो जाती हैं तो लोग सारा दोष अभिनेत्री पर ही मढ़ देते हैं. अक्सर जो अभिनेत्रियां कम बैक कर रही भी होती हैं. वे खुद पर कमबैक का टैग लगाने से कतराती हैं. इसकी वजह यही है कि कमबैक के तमगे से लोगों की दिलचस्पी उनमें घट जाती है. हाल ही में रानी मुखर्जी की फिल्म अय्या में जब बार बार रानी से यह बात कही जा रही थी कि यह उनकी कमबैक फिल्म है तो रानी इस बात पर ऐतराज जताती हुईं कह रही थी कि पिछले साल उनकी नो वन किल्ड जेसिका फिल्म आ चुकी है तो फिर अय्या को कम बैक क्यों माना जा रहा है. रानी की झंझलाहट इस बात को दर्शाती है कि कमबैक शब्द उनके लिए कैसे बाधा बनता है. फिल्म अय्या कामयाब नहीं रही. लेकिन फिल्म में रानी ने बेहतरीन तरीके  के कई नये डांस फॉर्म दिखाये. लेकिन फिर भी चर्चा इस बात की हुई कि अब रानी का दौर खत्म हो चुका है. रानी से हाल ही में तलाश फिल्म को लेकर मुलाकात हुई तो उन्होंने अपने मन की यह बात सामने जाहिर की, कि बॉलीवुड अभिनेत्रियों को दूसरा चांस नहीं देता. यह हरदम दिखते रहना जरूरी है. फिर चाहे फिल्में बुरी ही क्यों न हो. उन्होंने यह भी माना कि असफलता किसी भी कलाकार का मनोबल तोड़ती है. फिल्म नहीं चलती है तो मतलब दर्शक फिल्म देखने नहीं गये और जो भी मेहनत एक कलाकार करता है. वह बर्बाद हो जाता है. निश्चय ही रानी ने अय्या में अपने डांसिंग हुनर को एक स्तर दिया है. लेकिन फिर भी उन्हें नाकामयाबी ही मिली है और आगे उनके लिए फिल्मी रास्ते कठिन होते जायेंगे. वही दूसरी तरफ मनीषा कोईराला ने भूत रिटर्न से रिटर्न हुईं. लेकिन गुड़िया सी दिखनेवाली इस अभिनेत्री में अब न तो दर्शकों को रुचि है. न ही मीडिया को. जिस दिन मनीषा मीडिया से बात करने वाली थीं फिल्म भूत रिटर्न्स को लेकर. उस दिन करीना कपूर और यश चोपड़ा पर आधारित भी कई इवेंट्स थे मुंबई में. मीडिया ने करीना और य श चोपड़ा दोनों ही इवेंट्स को तवज्जो दी थी. मनीषा के इंटरव्यू में काफी कम मीडिया गयी थी. यह दर्शाता है कि मीडिया भी वर्तमान में ही जीता है. जबकि मीडिया के पुराने व वरिष्ठ पत्रकारों ने बताया कि कभी मनीषा से बातचीत के लिए लोगों की कतार लगी रहती थी. कोलकाता, मुंबई, दक्षिण में वे कितनी लोकप्रिय थीं. लेकिन आज दर्शक उन्हें पसंद नहीं करते. जबकि मनीषा एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं. लेकिन चूंकि अब वह पहले की तरह आकर्षक नहीं दिखतीं. दर्शकों ने उनमें दिलचस्पी लेनी छोड़ दी है. फिलवक्त मनीषा के पास कोई फिल्म नहीं है.
फिल्म मोहरा में तू चीज बड़ी है मस्त मस्त से दर्शकों के दिलों पर राज करनेवाली रवीना ने भी लंबे समय तक खुद को बरकरार रखने की कोशिश की. लेकिन वह भी नाकामयाब रहीं. हालांकि एक बार फिर से वह भी केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म शोभना 7 नाइट्स कर रही हैं. बॉलीवुड की बबली गर्ल प्रीति जिंटा भी इश्क इन पेरिस से अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कर रही हैं. लेकिन वे भी अपनी सफलता को लेकर संदेह में हैं. यही वजह है कि वे बार बार फिल्म की रिलीज को आगे बढ़ा रही हैं. मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान इस संदर्भ में कहती हैं कि यह हकीकत है कि हिंदी फिल्मों में उम्रदराज अभिनेत्रियों के लिए सेंटर भूमिका वाली फिल्में कम बनती हैं. फिल्में महिलाओं को वक्त से पहले बूढ़ा बना देता है. उनकी जवानी छीन लेता है और कुछ दिनों के बाद मुख्य किरदार निभानेवाली अभिनेत्रियां भाभी, दीदी के किरदार में नजर आने लगती हैं. यह किसी भी अभिनेत्री के लिए डिप्रेशन की स्थिति हो जाती है. लेकिन फिर भी वर्तमान में कुछ निर्देशक यह हिम्मत दिखा रहे हैं कि वे पुरानी अभिनेत्रियों को लेकर भी फिल्में सोच रहे हैं तो यह एक सकारात्मक पहल हैं. अभिनेत्री जूही चावला भी किसी दौर में बेहतरीन अभिनेत्री थीं. लेकिन वे इन दिनों फिल्मों में कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में ही नजर आती हैं. इन सबसे से परे तब्बू एक अपवाद हैं. तब्बू भी नहीं मानतीं कि वह कमबैक कर रही हैं. उनका कहना है कि वे शुरू से ही कम फिल्में करती थीं. हमेशा स्क्रीन पर न दिखने का मतलब फिल्में न मिलना नहीं होता. खुद की अपनी च्वाइस से भी वह फिल्मों से दूर रही हैं. लेकिन वे जब भी आयी हैं. कामयाब रही हैं. उनकी पिछली फिल्में चीनी कम कामयाब रही हैं और आनेवाले समय में वह क फिल्म में डाकू के किरदार में नजर आनेवाली हैं. साथ ही डेविड और लाइफ आॅफ पाइ जैसी फिल्मों का भी वह हिस्सा हैं. कमबैक अभिनेत्रियों में काजोल का नाम भी उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिन्हें दर्शक हमेशा परदे पर देखते रहना चाहते हैं. आज भी दर्शकों को काजोल और शाहरुख की जोड़ी साथ साथ परदे पर देखने की इच्छा रहती है. काजोल ने भी हाल ही में स्पष्ट किया है कि वह जल्द ही एक अच्छी स्क्रिप्ट के साथ फिल्मों में काम करना शुरू करेंगी. मशहूर अभिनेत्री और अमिताभ बच्चन की बहू ऐश्वर्य राय बच्चन ने प्रेगनेंसी के बाद से फिल्मों से थोड़ी दूरी बनाई है. लेकिन वे जल्द ही वापसी करेंगे. लेकिन मीडिया व लोगों ने उन्हें भी कमबैक अभिनेत्रियों की फेहरिस्त में शामिल कर दिया है. ऐश्वर्य राय चूंकि गर्भवती होने के बाद काफी मोटी हो गयी थीं. तो लोगों ने यह कयास लगाने शुरू कर दिये थे कि अब वे फिल्मों में काम नहीं करेंगी. इस संदर्भ में भी वहीदा रहमान का कहना है कि लोग अभिनेत्रियों को जबरन मजबूर कर देते हैं कि वे काम न करें. जबकि कुछ दिनों की दूरी या ब्रेक के बाद अगर वह वापसी करें तो उन्हें कमबैक नहीं कह देना चाहिए. आखिर एक अभिनेत्री की भी अपनी दुनिया होती है. उसे भी आजादी से जिंदगी जीने का हक है. हेमा मालिनी मानती हैं कि हिंदी फिल्मों में हॉलीवुड की तरह वह हिम्मत ही नहीं है कि वह किसी महिला अभिनेत्री को लेकर मेरिल स्ट्रीप की तरह द आयरन लेडी फिल्म बनाये. अगर फिल्म बनेगी भी तो शायद दर्शक उसे पसंद नहीं करेंगे. सो, यह सच है कि बॉलीवुड में अभिनेत्रियों के काम की सीमा उनकी उम्र की सीमा पर ही आधारित होता है. बहरहाल, सेकेंड इनिंग कर रहीं अभिनेत्रियों में लोगों की निगाह माधुरी दीक्षित पर सबसे अधिक टिकी है. शीर्ष अभिनेत्रियों के साथ इन दिनों नीतू कपूर भी कई फिल्मों में कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में नजर आ रही हैं. रेखा प्राय: राकेश रौशन की फिल्मों में नजर आती रही हैं. अनीता राज जैसी अभिनेत्रियों ने भी छोटी भूमिकाओं वाली फिल्मों से शुरुआत की है. कयास लगाये जा रहे थे कि रीना रॉय फिल्मों में वापसी करेंगी. लेकिन उन्होंने इसे सिर्फ अफवाह बताया है. 

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