20121106

शशि का पृथ्वी थियेटर


 
कुछ दिनों पहले लीजेंड अभिनेता शशि कपूर के बेटे व पृथ्वी थियेटर के प्रमुख कुणाल कपूर ने बताया कि शशि कपूर अमूमन कम बातें करते हैं. लेकिन हाल ही में जब उन्होंने अपने पोते रणबीर कपूर की फिल्म रॉकस्टार देखी तो उन्होंने कहा कि दिस ब्वॉय इज रियली गुड, फिल्म देखते वक्त वह यह नहीं समझ पाये थे कि वे जिसकी तारीफ कर रहे हैं. वे उनके ही खानदान का चिराग है. कुणाल बताते हैं कि रणबीर हर क्रिसमस पर शशि से मिलने जरूर आते हैं. लेकिन अब शशि की याददाश्त बहुत नहीं. इसलिए वे चीजों को बहुत ज्यादा याद नहीं रख पाते. इसके बावजूद शशि आज भी पृथ्वी थियेटर में हर शाम आते हैं. शशि किसी दौर में चार्मिंग हीरो के रूप में लोकप्रिय थे. दीवार में अगर विजय को शशि के रूप में रवि वर्मा का साथ न मिला होता तो शायद ही दीवार हिंदी सिनेमा में मील की दीवार मानी गयी होती. शशि एक जमाने में अपने अभिनय के लिए विशेष वर्ग में खासतौर से लोकप्रिय थे. लेकिन बाद में जाकर जब वे जेनिफर के संपर्क में आये. तब से उनकी रुचि थियेटर में और बढ़ गयी और आज आलम यह है कि पृथ्वी थियेटर से इस तरह भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं कि वे फिल्मी जगत के लोगों के संपर्क में भले न रहें. लेकिन हर शाम उन्हें पृथ्वी थियेटर जाकर सुकून मिलता है. वे वहां एक कोने में बैठ कर पृथ्वी थियेटर आनेवाले लोगों को सिर्फ निहारते हैं. लेकिन उनकी खामोश आंखों में आज भी एक बात की तसल्ली है कि पृथ्वी आज भी लोगों में प्रासंगिक है. दो तीन दिनों पहले पृथ्वी थियेटर फेस्टिवल की शुरुआत हुई और इस मौके पर थियेटर से जुड़े कई लोकप्रिय सितारें आये. जो फिल्मों में भी सक्रिय हैं. लेकिन लोग चौंके तब जब अचानक कपूर खानदान की बेटी करीना अपने पति सैफ के साथ वहां पहुंचीं.अपने दादा शशि के साथ काफी वक्त भी बिताया. यह शशि के समर्पण का ही नतीजा है कि आज भी सुपरसितारें भी जब पृथ्वी की गलियारों में प्रवेश करते हैं. वे आम लोगोंं की तरह बर्ताव करते हैं. वे वहां स्थित कैफेटेरिया में बैठ कर रगड़ा पैटिज, कोक व कई खाने का लुत्फ उठाते हैं. एक दूसरे के साथ बैठ कर वहीं छोटी छोटी कुर्सियों में बैठ कर कुछ देर सुकून के बिताते हैं. अनिल कपूर को प्राय: यहां देखा जा सकता है. आज भी पृथ्वी थियेटर के नियम किसी के लिए नहीं बदले. आज भी यहां शो शुरुआत होने के बाद किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं होती. एक सुपरस्टार अभिनेता के लिए उसके बुढ़ापे में यह समृद्धि मिलना भी उसे संपूर्ण व संतुष्ट बनाता है.

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