20121004

यशराज बैनर के लिए दिया जीवन का पहला आॅडिशन : पृथ्वीराज



साउथ के अभिनेता पृथ्वीराज फिल्म अय्या से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत कर रहे हैं. फिल्म में रानी मुखर्जी मुख्य भूमिका में हैं. पृथ्वीराज मानते हैं कि वह लकी हैं कि उन्हें अनुराग कश्यप जैसे निर्देशक के साथ पहली फिल्म करने का मौका मिला है. पेश है अनुप्रिया अनंत से बातचीत के मुख्य अंश

पृथ्वीराज मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने नाम हैं. लेकिन वे मानते हैं कि हिंदी फिल्मों के माध्यम से अधिक दर्शकों तक पहुंचा जा सकता है. यही वजह है कि जब उन्हें अय्या फिल्म मिली तो उन्होंने हां कर दी.

हंसी रुकी ही नहीं
मैंने यह सोचा नहीं था कि मेरी मलयाली फिल्में देख कर कोई मुझे हिंदी फिल्म आॅफर करेगा. और वह भी किसी तमिल लड़के का किरदार. लेकिन फिल्म अय्या के निर्देशक सचिन ने मुझे भरोसा दिलाया कि वे मेरे किरदार को पूरी तरह तमिल लड़के के किरदार में ढाल देंगे. मैंने जब इस फिल्म की कहानी सुनी तो मैं हंसते हंसते पागल हो गया था. फिल्म का विषय ही काफी रोमांचक और अलग था. कि एक मराठी लड़की एक तमिल लड़के के प्रेम में सिर्फ उसकी खुशबू की वजह से प्यार हो जाता है. सो, मैंने तुरंत हां कह दिया.
अनुराग कश्यप के साथ अनुभव
अनुराग बेहतरीन निर्माता और निर्देशक हैं. मैंने लगभग इनकी सारी फिल्में देखी हैं. गैंग्स आॅफ वासेपुर तो इनकी माइलस्टोन फिल्म है. मैं मानता हूं कि अनुराग की फिल्में दर्शक साउथ में भी बेहद पसंद करेंगे. चूंकि फिल्म में वैसे ही ट्रीटमेंट होते हैं. कई बार मैंने लोगों को कहते सुना है कि अनुराग बहुत ज्यादा हिंसा दिखाते हैं और वह लॉजिकल नहीं होता. मेरा मानना है कि इलॉजिकल तो हम साउथ में अधिक दिखाते हैं. कि हीरो आता है. मारधाड़ करता है. वगैरह वगैरह. अगर फिल्म की डिमांड है तो इसमें कोई बुराई नहीं. यह मेरा सपना था कि मैं अनुराग के साथ काम करूं. बतौर निर्देशक अनुराग ने कभी मुझे मौका दिया तो खुशी होगी
तमिल नहीं आती
अक्सर लोगों को यह गलतफहमी हो जाती है कि मैं साउथ का हूं तो मुझे तमिल भी आती हो और भी भाषाएं आती होंगी. लेकिन सच यह है कि मुझे तमिल नहीं आती. मैंने मलयालम में काम किया है. लेकिन मैं वहां के कल्चर से वाकिफ हूं तो समझ पाता हूं. वैसे रानी को जब फिल्म में कुछ शब्दों को उच्चारण करने में दिक्कत हो रही थी. तो मैंने उनकी मदद की और रानी को लगा कि मुझे अच्छी तमिल आती है.
हिंदी फिल्मों का दीवाना हूं
दरअसल मेरी पत् नी जो कि बीबीसी में बिजनेस जर्नलिस्ट हैं वह मुंबई की हैं. सुप्रिया मेनन. हम मुंबई में ही कई बार मिला करते थे. तब से मुझे मुंबई से प्यार हो गया था. मुझे मुंबई की हर गली अपने आप में एक शहर लगता है. यहां का माहौल मुझे बेहद पसंद है और आज से नहीं मैं शुरुआती दौर से हिंदी फिल्में देखता आया हूं. मैं आमिर खान का बहुत बड़ा फैन हूं. आज जिस तरह लोग मान लेते हैं कि आमिर खान फिल्म कर रहे हैं. मतलब फिल्म अच्छी होगी. मैं भी वैसी जगह बनाना चाहता हूं.
हिंदी फिल्मों में हो रहे अधिक प्रयोग
मैं मानता हूं कि हिंदी फिल्मों में इन दिनों अधिक प्रयोग हो रहे हैं. जैसे फिल्म विकी डोनर, कहानी, पान सिंह तोमर जैसी फिल्मों को देखिए. यहां पर डेडलाइन में रहकर फिल्म पर काम नहीं होता. जबकि साउथ में जिस दिन फिल्म का मुहूर्त होता है. उसी दिन फिल्म की रिलीज तारीख की घोषणा हो जाती है. इससे सारे काम जल्दी जल्दी निबटाये जाते हैं. जबकि बॉलीवुड में अच्छा कल्चर है. लोग शूटिंग करने के बाद पोस्ट प्रोडक् शन में काफी काम करते हैं. फिल्म तैयार होने के बाद भी कई लोगों को दिखाते हैं. विचार लेते हैं और फिर अच्छे तरीके से फिल्म को प्रस्तुत करते हैं तो मुझे बॉलीवुड का कल्चर पसंद है. वैसे मैं बता दूं कि वर्ष 1988 में मलयालम में विकी डोनर जैसे विषय पर फिल्म बनी थी. लेकिन वह पुरुष की जगह महिला पर आधारित थी. रानी-ऐश का प्रोफेशनलिज्म
मैंने हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री में अब तक रानी मुखर्जी और ऐश्वर्य राय के साथ काम किया है और मुझे दोनों की ही एक्टिंग बेहद पसंद है. रानी में गजब का स्पार्क है. वह कभी भी सेट पर आती हैं तो मस्ती के मूड में आती हैं. मैंने उन्हें तनाव में नहीं देखा है. वे रात के 2 बजे भी सबको हंसा सकती हैं. वही दूसरी तरफ ऐश्वर्य भी बेहतरीन अदाकारा है. वह हर दृश्य को इतनी बारीकी से समझती हैं और बार बार रिहर्सल करती हैं . ऐश्वर्य काफी प्रोफेशनल होकर काम करती हैं.
यशराज की फिल्म और आॅडिशन
मैंने आज तक कभी फिल्म के लिए आॅडिशन नहीं दिया था. चूंकि मुझे मेरे पिताजी की वजह से फिल्में मिलती रहीं. लेकिन अभी हाल में मैंने यशराज के लिए जीवन का पहला आॅडिशन दिया. हम और रानी एक गाने की शूटिंग यशराज में कर रहे थे कि तभी यशराज के कास्टिंग निर्देशक मेरे पास आये और मुझे आकर कहा कि औरंगजेब एक फिल्म आ रही है उसके लिए आपका आॅडिशन करना चाहेंगे. उस दिन मैंने आॅडिशन दिया. मेरा चयन भी हो गया. उस दिन पहली बार मुझे इतनी खुशी हुई कि मुझे मेरे नाम के बिना काम मिला.
वाकई सुखद अनुभव था. उम्मीद है जल्द ही और भी हिंदी फिल्में करूंगा.
अय्या से उम्मीदें
दर्शकों को मजा आयेगा.फन लविंग लड़की की कहानी है. और हमने जम कर मस्ती की है तो उम्मीदन दर्शक खुश होंगे.

1 comment:

  1. समझदारी और समझ की बातें देर सबेर यही हल रहा तो फिल्म डायरेक्ट किया जा सकता है ,

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