20120918

अंगरेजीदां हिंदी हैं हम



हाल ही में केबीसी के 6वें सीजन की लांचिंग के दौरान एक हिंदी समाचार चैनल की रिपोर्टर को केबीसी खेलने का मौका मिला. अमिताभ बच्चन के साथ. अमिताभ उनसे बिल्कुल अपने इलाहाबादी अंदाज में हिंदी में बातचीत  कर रहे थे. लेकिन वह महिला रिपोर्टर बार बार अंगरेजी में जवाब दे रही थीं. अमिताभ ने कटाक्ष में कहा भी कि लगता है कि मैं किसी विदेशी भाषा में बात कर रहा हूं और आप समझ नहीं पा रही हैं. लेकिन इसके बावजूद उस महिला ने अंगरेजी में ही बातचीत जारी रखी. अमिताभ ने फिर कटाक्ष करते हुए कहा कि आप हिंदी चैनल से ही है न. अमिताभ की यह बात दरअसल, दर्शाती है कि आज हिंदी भाषा की प्रासंगिकता कितनी रह गयी है. लेखक कमलेश पांडे से हाल ही में बातचीत हो रही थी. उन्होंने साफ शब्दों में यह बात कही कि हम आज भी गुलाम हैं, क्योंकि अंगरेजों ने अंगरेजी तो हमारे नस, नस में घोल दी है. दरअसल, हकीकत भी यही है कि आज हम हिंदी दिवस के अवसर पर भले ही वैचारिक बातें करें. चिंता जताएं. लेकिन यह हकीकत है कि आज हिंदी कम से कम कॉरपोरेट वर्ल्ड में व प्रोफेशनलिज्म की भाषा तो नहीं ही है. लेकिन आश्चर्य तब होता है जब बाहर से आये लोग हिंदी को महत्व देते दिखते हैं. यहां की संस्कृति से प्यार कर बैठते हैं. स्टार प्लस पर प्रसारित होनेवाले धारावाहिक दीया और बाती हम में सिंगापुर से आये लड़के ने हिंदी में बोलना सीखा है. यह सिर्फ धारावाहिक तक ही सीमित नहीं है. कट्रीना कैफ, जो मूलत: हिंदुस्तानी नहीं. वे इन दिनों देवनागिरी में ही स्क्रिप्ट पढ़ती हैं और अपनी मेहनत से उन्होंने हिंदी सीखी है. इलियाना डिक्रूज दक्षिण से हैं. लेकिन उन्होंने मेहनत कर फिल्म  बर्फी के लिए हिंदी सीखी. स्पष्ट है कि हिंदी की जरूरत है. उसकी उपयोगिता है. लेकिन प्रासंगिकता नहीं है. चूंकि जरूरत होते हुए भी हम इसे अनदेखा कर रहे हैं.

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