20120719

तीन बंधू , तीन सखा



फिल्म कॉकटेल की कहानी तीन दोस्तों की जिंदगी से जुड़ी है.फिल्म तीन दोस्त मीरा, वेरोनिका और गौरव कपूर की कॉकटेल दोस्ती पर आधारित है. दरअसल, जिस तरह कॉकटेल एक ऐसा पे प्रदार्थ है, जो कई चीजों के मिश्रण से बनता है. कॉकटेल दोस्ती भी कुछ ऐसी ही होती है. भले ही लोग यह मानते हों कि आप किसी से दोस्ती तभी कर सकते हैं, जब उनसे आपके विचार मिलते हों. शायद यह दो लोगों कि दोस्ती में मुमिकन हो भी सकता है. लेकिन बात जब तीन लोगों की दोस्ती की होती है तो प्राय तीनों ही अलग अलग दुनिया के प्राणी, अलग नजरिया रखने वाले लोग होते हैं. लेकिन इस कॉकटेल मिश्रण के बावजूद कहीं न कहीं उनके दिल के कुछ तार मिलते हैं और वे पक्के दोस्त बन जाते हैं. फिल्म कॉकटेल के ही एक गीत के बोल हैं, जग मुझपे लगाये पाबंदी ,मैं हूँ ही नहीं इस दुनियां की.दरअसल, जब इस तरह अलग विचारों का कॉकटेल दोस्ती के रिश्ते में बदलता है तो वो वाकई हर दुनिया से परे हो जाता है. शायद यही वजह है की ऑन स्क्र ीन के साथ साथ ऑफ स्क्र ीन जिंदगी में भी तीन दोस्तों की तिगड़ी हमेशा कमाल कर गयी है.

पुरानी कहावत है कि तीन तिगाड़ा काम बिगाडा. लेकिन फल्मिी दुनिया में यह मुहावरे फिट नहीं बैठते. चूँकि न केवल ऑन स्क्र ीन बल्कि ऑफ स्क्र ीन भी फिल्म दुनिया के कई दोस्तों ने दोस्ती की मिशल कायम की है. दरअसल कई बार वास्तविक जिंदगी में भी ऐसा होता है कि जब दो लोग दोस्त बनते हैं तो कई बार उन रिश्तों में दरारें पड जाती हैं. लेकिन जब तीन लोगों में गहरी दोस्ती होती है तो, वे दोस्ती गहराती जाती है. इसकी खास वजह यह होती है कि दोस्ती भी बेहद खास रिश्ता होते हुए भी नाजुक रिश्ता होता है. कई बार ऐसा होता है कि दो दोस्तों के बीच अगर गलतफ़हमी आ जाये तो फिर वे आपस में ठीक नहीं हो पति. क्यूंकि उन्हें समझाने वाला तीसरा कोई नहीं होता. ऐसे हालात में हमेशा तीसरे लोग बिगड़े हालात को और बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. ऐसे में जब तीन लोगों में गहरी दोस्ती होती है, तो तीसरा हमेशा दो दोस्तों में बिगडी बात को सुलझा देता हैं. यही वजह है कि हिंदी सिनेमा जगत में जहाँ हर कदम पर रिश्ते टूटते जाते हैं. अब भी कई लोगों ने तीन दोस्तों के बीच दोस्ती बरकरार रखी. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ज़िन्दगी मिलेगी न दोबारा में तीन दोस्तों की दोस्ती की कामयाबी का मंत्न खूबसूरती से दर्शाया गया है. गौर करें तो एक दृश्य में जब फरहान अख्तर के किरदार से हृतिक रोशन का किरदार बेहद नाराज होता है. वर्षों की दोनों की गलतफहमी को अभय देओल के किरदार द्वारा ही दूर किया जाता है, और फिर तीनों में पहले की तरह दोस्ती हो जाती है.   यही वजह है कि इस दोस्ती कि केमेस्ट्री जब फिल्मों में दिखाई जाती है तो दर्शक उससे खुद को कनेक्ट  कर पाते हैं. फिल्म कॉकटेल इसका बेहतरीन उदहारण है. वर्तमान में बदलते दौर के साथ यकीनन दोस्ती के भी मायनें बदल रहे हैं. ऐसे में यह फिल्म फिर से दोस्ती में ताजगी प्रदान करेगी.

एक जगह जब जमा हो तीनों
फिल्म इंडस्ट्री के कुछ ऐसे चुनिंदा दोस्तों की भी टोली है, जिन्होंने भले ही साथ में काम किया हो न किया हो. या कुछ एक फिल्मों में काम किया हो मगर फिर भी वास्तविक जिंदगी में तीनों एक दूसरे के बेहद करीबी दोस्त हैं और वे एक दूसरे के हर कदम पर साथ निभाते हैं. वे ख़ुशी में साथ में हँसते मुस्कुराते भी हैं तो गम में भी एक दूसरे का साथ निभाते हैं.
राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद ( त्रिदेव)
देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर ने कभी एक दूसरे के साथ एक फिल्म में काम नहीं किया. लेकिन इसके बावजूद एक दौर में तीनों में गहरी दोस्ती थी. तीनों में कोई समानता नहीं थी. न काम के अंदाज़ में, न फिल्मों के चयन में और न ही किसी पसंद में. लेकिन इसके बावजूद तीनों एक दूसरे के लिए एक दौर में जान छिडते थे. हालाँकि बाद में इन तीनों के रिश्ते में खटास आयी. लेकिन फिर भी जब तक तीनों साथ रहे. वे एक दूसरे के प्रिय रहे. हाल ही में फिल्म तेरी मेरी कहानी में शाहिद कपूर इन तीनों की दोस्ती को समिर्पत दृश्य दर्शाए. फिल्म का एक हिस्सा अपने समय के सुपरस्टार देव आनंद, राज कपूर और दिलीप कुमार से प्रेरित हैं. उस ज़माने की मशहूर नायिका कामिनी कौशल बताती हैं कि किस तरह कई बार सेट पे जब ये तीनों जमा होते थे तो प्रैंक खेलते थे. तीनों कभी एक दूसरे के विचारों से सहमत नहीं होते थे. लेकिन जब बारी शैतानी की आती तो तीनों मिल कर सबको परेशान किया करते थे. कई बार राज कह दते थे कि एक्शन. हम सभी कलाकार अभिनय करने लग जाते. तो वे तीनों मिल कर हँसते थे. बाद में हमें पट चलता कि तीनों मस्ती कर रहे हैं. तीनों ही दोस्तों को पीने का बेहद शौक था. दिलीप की शादी में तो राज कपूर और देव आनंद ने खास तैयारियां की थी और झूमकर नाचे थे वे. उन पार्टियों में जहाँ तीनों एकित्रत होते थे. वहां शेरो शायरी का दौर चलता था.
डब्बू, चिंटू, जीतू
अभिनेता जीतेंद्र, राकेश रोशन और ऋ षि कपूर भले ही दुनिया में इस नाम से जाने जाते हों. लेकिन वे एक दूसरे के लिए राकेश रोशन डब्बू, ऋ षि कपूर चिंटू और जीतेन्द्र जीतू हैं. जी हां, वास्तविक जिंदगी में भी ये तीनों बेहद अच्छे दोस्त हैं.ये तीनों ही अपने ज़माने के लोकिप्रय कलाकार रहे हैं. राकेश रोशन और ऋ षि कपूर ने साथ में कई फिल्मों में काम भी किया है. जीतेन्द्र के साथ भी. लेकिन फल्मिी दुनिया से परे आज भी इन तीनों की दोस्ती यूँ बरकरार है कि वे अब भी मुंबई के सन सैंड होटल में लगभग हर  हफ्ते एक बार जरु र मिलते हैं और घंटों एक दूसरे से बातें करते हैं. एक दूसरे की बातें शेयर करते हैं. इस बारे में ऋ षि हँसते हुए बताते हैं कि वे एक दूसरे के घर कई  बार इसलिए भी नहीं मिलते. क्यूंकि वहां सबकी बीवियां होती है तो वे खुल के मस्ती नहीं कर पाते. इसलिए उन्हें जब भी मौका मिलता है. वे बाहर मिलते हैं. लगभग हर साल तीनों दोस्त दिवाली में एक दूसरे के घर जरूर जाते हैं. तीनों के परिवार और बच्चों में अच्छी दोस्ती है. तीनों एक दूसरे के जन्मिदन पर एक दूसरे के लिए पार्टी आयोजित करते हैं.

काजोल, शाहरु ख़, करन जोहर
करन जोहर, शाहरु ख़ और काजोल के बीच दोस्ती फिल्म दिलवाले दुल्हनियां के दौरान हुई थी. इस फिल्म में करन एक छोटी सी भूमिका निभा रहे थे. फिल्म के निर्देशक आदित्य को वह फिल्म में अिसस्ट भी कर रहे थे. उसी दौरान उनके मन में एक कहानी आयी. उन्होंने शाहरु ख़ को सुनाई. शाहरु ख़ के कहने पर काजोल ने भी सुनी और फिर काजोल और शाहरु ख़ की जिद्द पर ही करन को फिल्म बनानी पडी. खुद करन मानते हैं कि उनकी जिंदगी में इन दो दोस्तों कि एिह्मअत हमेशा रहेगी. यही वजह है कि करन ने जब भी फिल्म बनाई. उसमे किसी न किसी रूप में वे शाहरु ख़ और काजोल को जोडते रहे हैं. फिल्म स्टुडेंट ऑफ़ द इयर में भी काजोल और शाहरु ख़ ने कैमियों किया है. हाल ही में जब करन को एक टॉक शो में बुलाया गया था. उसमे काजोल ने अचानक से पहुँच कर सबको चौका दिया था. काजोल आज भी अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहती है. इन तीनों की  जोडी से फिल्म कुछ कुछ होता है. कभी ख़ुशी कभी गम, और माई नेम इस खान में साथ काम किया है और कामयाबी हासिल की है. आज भी तीनों एक दूसरे से जुडे हुए हैं. इतने सालों की दोस्ती में अबतक इन तीनों के बीच कभी कोई गलतफहमी नहीं आयी है. यहाँ तक कि शादी हो जाने के बावजूद अजय जबकि शाहरु ख़ को पसंद नहीं करते. फिर भी काजोल अपनी दोस्तीके बीच अपने परिवार को नहीं आने देती.
अजय देवगन, रोहित शेट्टी, संजय दत्त
अजय देवगन, रोहित शेट्टी और संजय दत्त भी उन दोस्तों में एक हैं जो हर हाल में एक दूसरे के साथ निभाते हैं.इन तीनों ने साथ में मिलकर ऑल द बेस्ट फिल्म बनाई. फिल्म हिट भी रही. लेकिन फल्मिी दोस्ती से परे ये तीनों एक दूसरे के बेहद करीबी दोस्त हैं तीनों ही एक दूसरे के परिवार के हर कार्यक्र म में आते जाते हैं. कई आयोजन उत्सव साथ में मनाते हैं. संजय दत्त ने एक बातचीत के दौरान बताया था कि कैसे उन्होंने और रोहित ने मिल कर ऑल थे बेस्ट के सेट पे रवीना टंडन के नाम से अजय को मेसज कर दिया था. और मस्ती में काजोल से अजय को कितनी डांट पडी थी. रोहित अजय मिलकर लगातार फिल्में बना रहे हैं और उनकी सभी फिल्में अब तक हिट रही हैं. हाल में जब संजय और अजय ने फिल्म रास्कल्स में काम किया था और फिल्म पूरी तरह फ्लॉप हुई तो. इस बात का संजय को काफी मलाल था कि उन्होंने अपने दोस्त के साथ अच्छा काम नहीं किया. इसलिए दोस्ती कि खातिर उन्होंने गिफ्ट के रूप में अजय के लिए एक साउथ फिल्म के राईट्स खरीदे हैं . अजय भी संजय के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. रोहित शेट्टी भविष्य में दोनों को लेकर फिल्में बना सकते हैं.
दिबाकर, इिम्तयाज़, अनुराग
दिबाकर, इिम्तयाज़, अनुराग तीनों ही फल्मिकार हैं और तीनों की दोस्ती दिल्ली में पढ़ाई के दौरान हुई थी. तीनों ही अपने किस्म के फल्मिकार हैं. इमितियाज़ प्रेम कहानियां फिल्माते हैं तो अनुराग वास्तविक विषयों को उठाते हैं. दिबाकर हमेशा लीक से हटकर फिल्में बनाते हैं. लेकिन फिर भी ये तीनों एक दूसरे को पूरी तरह सप्पोर्ट करते हैं. खुद अनुराग कहते हैं उन्हें पैसों की चिंता नहीं रहती कि कभी बुरे हालत में उनका सहारा कौन बनेगा क्यूंकि उन्हें अपने दोस्तों पे भरोसा है. तीनों ही एक दूसरे की फिल्मों के रिलीज पर उसे भरपूर प्रोमोट करते हैं और जमकर एक दूसरे का साथ निभाते हैं. ये तीनों ही फल्मिकार वर्तमान में स्थापित फिउल्मकर हैं और तीनों ही फिल्म खानदान से बाहर से आकर जगह बनाने में कामयाब हुए हैं.
वहीदा रहमान, आशा पारीख, नंदा
लोग ऐसा मानते हैं कि अभिनेत्रियाँ कभी अच्छी दोस्त नहीं हो सकती. लेकिन गुजरे ज़माने की ये तीन अभिनेत्रियों ने इस बात को गलत साबित कर दिया. ये तीनों ही पक्की सहेलियां हैं और तीनों हमेशा एक दूसरे से मिलती रहती हैं. इन तीनों ने मिलने मिलाने का सिलिसला शुरू किया. बाद में इस टोली में शिर्मला, शमी कपूर और साधना भी जुडे. जब तब सभी मुंबई में रहते थे. सभी हमेशा किसी होटल में आउिटंग करने जाते थे. आशा ने खुद स्वीकार है कि वहीदा की वजह से उन्होंने अपनी नृत्य कला की कई बारीकियों को सीखा.तीनों दोस्त मिलकर हमेशा फिल्में देखने भी जाते हैं. और जब ये एक साथ होती हैं तो इनके प्रशंसकों की भीड लग जाती है. क्यूंकि एक साथ तीन अभिनेत्रियाँ साथ नजर आती हैं. ऐसा उदाहरण विरले सिनेमा जगत में देक्झने को मिलता है.

इनके अलावा अभिषेक बच्चन, रोहन सिप्पी और गोल्डी बेहाल की दोस्ती, एकता, करन और हृतिक की दोस्ती, आदित्य, फरहान और करन की दोस्ती भी बेहद खास है.



ऑन स्क्र ीन तिगड़ी दोस्ती
हिंदी सिनेमा में हमेशा से ही तिगड़ी दोस्ती की कहानियां दर्शायी जाती रही है.और खास बात यह है कि यह सभी कहानियां हिट हुई हैं. जबकि कई बार ऐसा भी होता रहा है कि कई कहानियां दोहराती जाती रही है, लेकिन फिर भी तीन लोगों की दोस्ती की  कहानियां दर्शकों को लुभाती रही है. फिल्म अमर, अकबर एन्थनी में अमतिाभ बच्चन, ऋ षि कपूर और विनोद खन्ना भले ही भाई थे. लेकिन इसकी जानकारी उन्हें फिल्म के अंत में मिलती है. इससे पहले तक फिल्म में वे तीनो दोस्त रहते हैं और तीनों ही अलग अलग प्रोफेशन में काम करने के बावजूद एक दूसरे की मदद करते हैं. न सिर्फ एक दूसरे को उनके प्यार तक पहुंचाने में. बल्कि बुरे हालात में भी वे एक दूसरे की मदद करते हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म जिंदगी मिलेगी न  दोबारा में भी तीन दोस्तों के बीच की दोस्ती को दर्शाया गया है. फिल्म कुछ कुछ होता है में शाहरु ख़, काजोल और रानी मुखर्जी भी पहले अच्छे दोस्त बनते हैं. तीनों को एक दूसरे की फक्रि  होती है. यह टीना का अंजलि के लिए प्यार और अपनापन ही होता है जिससे वह समझ जाती है कि अंजलि भी राहुल से प्यार करती है. फिल्म कुछ कुछ होता की पूरी कहानी का आधार ही तीन दोस्तों की दोस्ती और एक दूसरे के लिए फिक्र मंद होना है. न सिर्फ टीना बल्कि राहुल टीना से प्यार करता है लेकिन अपनी दोस्त अंजली को खोना भी नहीं चाहता. कुछ इसी तरह अंजलि राहुल की जिंदगी से सिर्फ इसलिए दूर हो जाती है कि वह राहुल और टीना के प्रेम के बीच में न आये. फिल्म दिल तो पागल है में भी तीन दोस्तों की कहानी और एक दूसरे के समर्पण की दास्ताँ दिखाई गयी है. फिल्म दिल चाहता है में अपने दो दोस्तों की वजह से ही तीसरे दोस्त आमिर खान को इस बात का एहसास होता है कि प्यार क्या होता है. फिल्म कल हो न हो में शाहरु ख़, सैफ अली खान और प्रीटी अच्छे दोस्त बनते हैं और शाहरु ख़ अपनी बीमारी कि वजह से सैफ को प्रीटी की जिम्मेदारी सौपता है. फिल्म ? ईिडयट्स की कहानी भी तीन दोस्तों पर आधारित थी. दोस्ती पे आधारित इस कहानी को  भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिला.फिल्म न्यू यौर्क में भी तीन दोस्तों की कहानी दर्शायी गयी है.

कोटेशन
रवीना टंडन
मुङो करन शाहरु ख़ और काजोल की तिगड़ी दिओस्ती बेहद पसंद है.क्यूंकि इन तीनों में कभी कोई गलतफहमी नहीं आयी है, और तीनों एक दूसरे का दिल से साथ देते हैं

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