20120625

जेएनयू में सिनेमा का मंच

अभिनेत्री  सोनम कपूर फिल्म ‘रांझना’ में जेएनयू में पढ.ाई कर रही एक लड़की का किरदार निभा रही हैं. इस किरदार को निभाने के लिए सोनम जल्द ही जेएनयू कैंपस में कुछ वक्त बितायेंगी. यह बात जगजाहिर है कि जेएनयू दिल्ली व भारत की अन्य यूनिवर्सिटी में बिल्कुल अलग सोच रखता है. वहां का एजुकेशन कल्चर बिल्कुल भित्र है. सभी जानते हैं कि वहां राजनीति, समाजिक मुद्दे आदि पर गंभीर बातें होती हैं. ऐसे में निश्‍चित तौर पर अगर सोनम कपूर वहां की छात्रा का किरदार निभा रही हैं, तो उन्हें वहां की सभ्यता का बारीकी से अध्ययन करना होगा. दरअसल, धीरे-धीरे हिंदी सिनेमा जगत व इससे जु.डे लोग जेएनयू से जुड़ाव कर रहे हैं. गौरतलब है कि बलराज साहनी हिंदी सिनेमा जगत के पहले अभिनेता थे, जो वर्ष 1972 में जेएनयू गये थे. जेएनयू के क्रांतिकारी छात्र चंदू पर फिल्म बनाने की तैयारी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि जेएनयू में फिल्म पर बातचीत नहीं होती या वहां फिल्म सोसाइटी नहीं. लेकिन हाल के दिनों में सिनेमा के लोगों की उपस्थिति वहां बढ. रही है. जेएनयू के ही पासआउट रहे छात्रों के प्रयासों से इन दिनों जो लीक से हट कर फिल्में बन रही हैं, उनके पात्र, निर्देशक सिनेमा पर बात करने लगातार वहां जा रहे हैं. चूंकि इन्हें भी ग्लैमर से अलग ईमानदारी से बात रखने और सुनने का एक बेहतरीन मंच मिल रहा है. डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी, मनोज बाजपेयी, पान सिंह तोमर के बाद इरफान, शंघाई की टीम, फिर गैंग्स को लेकर अनुराग भी वहां गये और वहां के छात्रों से बात की. बेबाक तरीके से विचारों व सवालों का आदान-प्रदान हो रहा है. फिल्म प्रोमोशन से इतर एक आम मंच पर लोगों से मिलने का यह नयी संस्कृति निश्‍चित तौर पर सिनेमा को आम लोगों के सोच से जो.डेगी

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