20120607

राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार अब्बास

आज ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्मदिन है. ख्वाजा अहमद अब्बास का योगदान पत्रकारिता और हिंदी सिनेमा के क्षेत्र में भी अहम रहा है. ख्वाजा हिंदी सिनेमा के उन महत्वपूूर्ण शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को स्थापित किया. ख्वाजा फिल्मी दुनिया में पार्ट टाइमर के तौर पर आये थे, लेकिन बाद में सिनेमा से ऐसे जु.डे कि हिंदी सिनेमा के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हो गये. 1936 में बांबे टॉकीज से शुरुआत की. काम के दौरान ही लोगों से मिलना जुलना हुआ. नये संपर्क बने और तभी शुरू हुआ फिल्मों के लिए लेखन. फिल्म ‘नया संसार’ के लिए उन्होंने पहली बार स्क्रीनप्ले लिखी. चेतन आनंद की उल्लेखनीय फिल्म ‘नीचा नगर’ की पटकथा ख्वाजा अहमद अब्बास ने ही लिखी थी. वे वी शांताराम के भी चेहते लेखकों में से एक रहे. बावजूद इसके उन्होंने सबसे अधिक फिल्में लिखीं राजकपूर के लिए. राजकपूर की लगभग सभी सफल फिल्मों का लेखन अब्बास ने ही किया. ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘बॉबी’ व ‘हीना’ तक दोनों का साथ बना रहा. यह राजकपूर के निर्देशन व ख्वाजा के संवादों का ही जादू था, जो आज ‘आवारा’ को टाइम ने बेहतरीन फिल्मों की श्रेणी में शामिल किया गया. ख्वाजा शुरुआती दौर से ही शॉर्ट फिल्में लिखने व बनाने के भी शौकीन थे. ख्वाजा अहमद ने महज चार सालों में ही निर्देशन के सारे गुर देखते देखते सीख लिये. इसके बाद उन्होंने आजादी से ठीक दो वर्ष पूर्व फिल्म ‘धरती के लाल’ का निर्देशन किया. इस फिल्म के निर्देशन के बाद उन्होंने लगातार फिल्मों का निर्देशन व निर्माण किया. गौरतलब है कि महानायक अमिताभ बच्चन अहमद अब्बास की ही खोज थे. यही वजह रही कि अंतिम दिनों में जब ख्वाजा बेहद बीमार थे. अमिताभ ने उनके इलाज का पूरा बेड़ा उठाया. ख्वाजा फीचर फिल्मों के साथ साथ शॉर्ट व डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाते थे. जिनमें केंद्रीय विषय हमेशा राष्ट्रीय एकता ही रही. ‘नकड़ फकीर’ व ‘दो दोस्त’ ऐसी ही फिल्में थीं. ‘नकड़ फकीर’ महात्मा गांधी पर आधारित फिल्म थी. जो गांधीजी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को दर्शाती है. ख्वाजा चूंकि शुरुआती दौर से ऐसे माहौल में रहे, जहां राजनीतिक हलचल की उन्हें पल पल खबर रहती थी. ख्वाजा युवा कलाकारों के लिए हमेशा दरवाजे खुले रखते थे.

1 comment:

  1. Nice memoryमहानायक अमिताभ बच्चन अहमद अब्बास की ही खोज थे. यही वजह रही कि अंतिम दिनों में जब ख्वाजा बेहद बीमार थे. अमिताभ ने उनके इलाज का पूरा बेड़ा उठाया.

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