20120508

इशक फरमाते इशकजादें


आगामी 11 मई को निर्देशक हबीब फैजल फिल्म ‘इशकजादे’ लेकर आ रहे हैं. इस फिल्म से बोनी कपूर के बेटे अर्जुन व परिणीती की शुरुआत हो रही है. फिल्म यशराज बैनर की है. यशराज बैनर रोमांटिक फिल्मों के लिए लोकप्रिय है. हिंदी फिल्मों में यशराज बैनर की रोमांटिक जोड़ियां लैला मजनू,शीरी-फरहाद व हीर रांझा की तरह ही लोकप्रिय रही हैं. ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ के राज व सिमरन आज भी दर्शकों की सबसे पसंदीदा जोड़ियों में से एक हैं. ‘दिल तो पागल है’ के राहुल-निशा-पूजा का प्रेम. ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के सुरी-तानी की जोड़ी या फिर ‘बैंड बाजा बारात’ के बिट्ट -श्रुति की जोड़ी. ये सभी जोड़ियां दरअसल, यशराज बैनर के ’इशकजादे’ हैं, जो हर बार उस दौर के अनुसार एक नयी प्रेम कहानियां गढ.ते नजर आते हैं. ऐसे में नये तरीके की प्रेम कहानियों का जन्म होता रहता है. राज व सिमरन की प्रेम कहानी जहां रुढ.ीवादी परिवार में दो प्यार करनेवालों के मिलाप के संघर्ष को दर्शाती है, तो फिल्म ‘दिल तो पागल है’ में दोस्ती, प्यार के बीच पनपते रिश्तों की गहराईयों को. ‘रब ने बना दी जोड़ी’ में शादी के बाद के प्यार को दर्शाया गया तो ‘बैंड बाजा बारात’ में अल्हड़पन को प्यार में बदलते दिखाया गया. ‘वीर-जारा’ में ताउम्र प्यार के जिंदा रहने की दास्तां लिखी गयी. पुराने दौर में फिल्म ‘सिलसिला’ में भी दो इशकजादे जिन्होंने प्यार को ही सवरेपरि माना, उनकी कहानी बयां की गयी. लम्हे, चांदनी जैसी फिल्मों में भी प्यार करने, उन्हें जताने, निभाने की प्रक्रिया को विभित्र रूपों से प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी. निस्संदेह यशराज के अलावा भी कई निर्देशकों ने प्रेम पर कहानियां बनायी हैं. उनकी जोड़ियां भी लोकप्रिय रही हैं, लेकिन यशराज बैनर के इशकजादे व उनकी फिल्में हर दौर में उस दौर के अनुसार घटित होती हुई प्रेम कहानियों से कदमताल करती चलती है. इसलिए हर दौर में इश्क फरमाते वे इशकजादें लोकप्रिय हो जाते हैं. हबीब फैजल की इस फिल्म इशकजादे में भी परमा और जोया बिंदास परिंदों की तरह इश्क फरमाते नजर आ रहे हैं. शायद यही वजह है कि हबीब ने फिल्म का नाम सीधे तौर पर इश्कजादे नहीं ‘इशकजादे’ रखा है. क्योंकि वर्तमान दौर में प्रेमकहानियां या प्यार करनेवाले सीधे सपाट नहीं होते. प्रेम कहानियां अब प्यार के साथ-साथ प्रेम करने का अंदाज भी तलाशती है. इस दौर में शायद अगर गुलजार यह गीत लिखते तो वे शायद जबां पे नमक इश्क का नहीं बल्कि इशक का लगाते.

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