20120406

बदनाम गलियों का सच

पान सिंह तोमर की कामयाबी के बाद एक बार फिर से तिग्मांशु धूलिया बायोपिक फिल्म बनाने की तैयारी में है. यह फिल्म वह रानी मुखर्जी के साथ बनाने जा रहे हैं.फिल्म 18वीं सदी की शासक रह चुकी बेगम जोयाना नोबिस सोमरु पर होगी उर्फ बेगम समरु मेरठ स्थित सरधाना में 18वीं शताब्दी में शासन किया.बेगम समरु ने अपने करियर की शुरुआत नाच करनेवाली डांसर के रूप में किया था.आगे चल कर उन्होंने शासन किया.उन्होंने आर्मी में ट्रेनिंग भी ली.वाकई कितने दिलचस्प पहलू हैं बेगम समरु के. छुटपन में ही उन्होंने विदेशी सैनिक से शादी कर ली.फिर ब्रिटिश हुकुमत पर राज किया. एक नौटंकी करनेवाली लड़की से राज सम्राज्ञी बनने का उनका यह सफर बेहद रोचक रहा होगा. पान सिंह तोमर के बाद हिंदी सिनेमा में यह बायोपिक भी मिसाल कायम करेगी. चूंकि पान सिंह तोमर की तरह ही बेगम समरु के जीवन में कई उतार चढ़ाव आये हैं. उन्होंने ही एक ही जिंदगी में कई जिंदगी जिये. निश्चित तौर पर उनकी कहानी रुपहले परदे पर रोचक पहलुओं के प्रस्तुत की जायेगी. दरअसल, हकीकत में लोग उन शख्सियतों में अधिक रुचि लेते हैं. जो लोकप्रिय होते हैं, लेकिन जिनकी जिंदगी खुली किताब नहीं होती. यह इंसानी फितरत है कि वह बातों को कुरेदना चाहता है और दूसरों की जिंदगी में झांकना चाहता है. या फिर उनकी जिंदगी के बारे में भी लोग जानना चाहता हैं जो लोकप्रिय होते हैं तो सिर्फ अपने विवादों के कारण. या यूं कह लें कि नाम के साथ साथ बदनामों की दुनिया में झांकना भी लोगों को पसंद है. और शायद यही वजह है कि ऐसे विषय फिल्मों के माध्यम से दिलचस्प हो जाते हैं. और खासतौर से जब इन विवादों से महिला जुड़ी हों तो दर्शकों की दिलचस्पी और बढ़ जाती है. यही वजह रही कि अब तक महिलाओं से जुड़ी सभी बायोपिक फिल्में उमराव जान, बैंडिंट क्वीन, सिल्क स्मिथा जैसी फिल्में पसंद की जाती रही हैं. क्योंकि घूंघट के पीछे छिपे मुखड़े के दीदार हर कोई एक बार तो जरूर करना चाहता है. ऐसे में निश्चित तौर पर बेगम समरु भी माइलस्टोन साबित हो सकती है. तिग्मांशु बधाई के पात्र हैं कि वे लगातार ऐसे अनछुए आम लोगों, जो कि खास होते हुए भी खास न बन पाये थे. उन्हें खास बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वरना, अब तक स्वतंत्रता से जुड़ी एक ही शख्सियतों पर कई फिल्में बनाने का ही प्रचलन था. यह बदलाव विकसित सिनेमा की सोच को दर्शाता है. ऐसे विषयों पर फिल्मों के निर्माण से एक और लाभ यह है कि लोगों के सामने किसी नौटंकी करनेवाली या पॉर्न स्टार, या तबायफ या वैश्याओं की जिंदगी का दर्द भी प्रस्तुत होता है. चूंकि प्रायः आम अवधारणा के अनुसार व इंटरनेट या लिखित दस्तावेजों के अनुसार सतही तौर पर जानकारी रखनेवाले लोग महिलाओं के केवल उन्हीं पहलुओं को देखते हैं.वे उनके संघर्ष पर गौर नहीं करते और फिर उनकी गलत छवि अपने जेहन में बिठा लेते हैं. लेकिन जब सिल्वर स्क्रीन पर कैमरा घूमता है और परदा उठता है तो अचानक लोग सिल्क (द डर्टी पिक्चर के बाद दर्शकों का रवैया सिल्क के प्रति बदला है)को प्यार करने लगते हैं. चूंकि फिल्म के माध्यम से वे सच के करीब पहुंचे हैं.चूंकि विजुअल लंबे अरसे तक लोगों के जेहन में जिंदा रहता है.

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