20120322

नायकों की भीड़ में एक नायिका

विद्या बालन


सुजोय घोष की फिल्म कहानी में मां दुर्गा की शक्ति व उनके रूप का प्रयोग भले ही उपमा के रूप में किया गया हो. लेकिन वास्तविकता भी यही है कि विद्या बालन वर्तमान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे शक्तिशाली व सजग अभिनेत्री हैं. जिस तरह मां दुर्गा के नौ अलग अलग रूप हैं और सभी रूपों की अपनी विशेषताएं हैं, कुछ इसी तरह विद्या बालन भी अभिनय के कई रूपों में हर बार प्रस्तुत हो रही हैं और लोगों को चौंका रही हैं. एक के बाद एक उनकी लगातार फिल्में देखें तो आप हर बार चौंकते हैं. आप उनके किरदारों को देख कर अनुमान नहीं लगा सकते कि आखिर विद्या का वास्तविक रूप क्या है. चूंकि वर्तमान में वह एकमात्र अभिनेत्री हैं जो लगातार अलग अलग तरह की भूमिकाएं निभा रही हैं. गौर करें तो नारी शक्ति के जितने रूप हमने अब तक धरती पर देखे हैं, उन सभी रूपों में विद्या नजर आती हैं. फिल्म परिणीता में वह एक संवेदनशील बेटी होने के साथ साथ एक परिणीता का धर्म निभाती है. फिल्म लगे रहे मुन्नाभाई में वह बेटी का फर्ज निभाती है. साथ ही बुजुर्गों की सेवा करती है. गुरु में अपनी छोटी सी ही भूमिका में वह अपाहिज लड़की की पीड़ा को दर्शा जाती है. इश्किया में वह धूर्त है. चालाक है और वह आज के जमाने की लड़की को दर्शा जाती है.फिल्म पा में वह एक मां के रूप में अपने रिश्ते को साकार करती हैं. तो फिल्म नो वन किल्ड जेसिका में बहन की भूमिका अदा कर अपनी बहन की मौत का न्याय हासिल करती हैं. फिल्म द डर्टी पिक्चर में वह एक साथ कई भूमिकाएं निभा जाती हैं. कभी चुलबुली बाला की तरह, कभी लड़कों की नाक में दम करनेवाली शरारती लड़की, तो कभी ताउम्र प्यार की आस में जीनेवाली एक आयटम डांसर की जिंदगी को परदे पर सजीव चित्रित कर देती हैं. लोग जब तक विद्या के सिल्क किरदार को ही अपने जेहन में जिंदा रखते हैं कि वह फिर से एक ऐसी पत्नी व गर्भवती मां और फिर एक शक्तिशाली महिला के रूप में कहानी की विद्या बागची के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत होते हैं कि लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं. हिंदी सिनेमा जगत के लिए यह सबसे बेहतरीन दौर है. किसी दौर में जहां नूतन, मीना कुमारी, मधुबाला, रेखा, स्मिता पाटिल जैसी अभिनेत्रियों को ध्यान में रखते हुए महिला प्रधान फिल्में गढ़ी जाती थीं. आज के दौर में विद्या को ध्यान में रखते हुए महिला के किसी भी रूप को प्रस्तुत किया जा सकता है. और सबसे अहम बात यह है कि विद्या अब व्यवसायिक रूप से भी सफल हो चुकी हैं. द डर्टी पिक्चर के बाद सुजोय घोष की कहानी की हीरो भी विद्या ही है. दरअसल, विद्या उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जो अपने अभिनय जीवन को सजीव रूप से जी रही हैं. कभी मीना कुमारी, हेमा मालिनी, मधुबाला सरीकी अभिनेत्रियां बॉक्स ऑफिस सफलता की गारंटी मानी जाती थी. अब विद्या बालन वह गारंटी बन चुकी हैं. नो वन किल्ड जेसिका, द डर्टी पिक्चर्स और कहानी की बॉक्स ऑफिस सफलता से उन्होंने साबित कर दिया है कि वे अपने सशक्त अभिनय से भी बिना किसी हीरो के सहारे फिल्म को सफल बना सकती है. गौर करें तो नो वन किल्ड जेसिका, द डर्टी पिक्चर और कहानी में हीरो वही हैं और सभी अभिनेता उन सह कलाकार के रूप में नजर आये हैं. यह विद्या के अभिनय की ताकत ही है, जो निदर्ेशक मिलन लूथरिया, राजकुमार गुप्ता, आर बाल्कि मानते हैं कि अगर विद्या ने द डर्टी पिक्चर के लिए मना कर दिया होता, नो वन किल्ड की शबरीना बनने के लिए हां नहीं कहा होता और पा में अमिताभ बच्चन की मां बनने का किरदार न स्वीकारा होता तो यह फिल्में कभी नहीं बनतीं. निश्चित तौर पर इन सभी निदर्ेशकों ने विद्या की इन फिल्मों से पहले रिलीज हुई फिल्मों में विद्या की प्रतिभा देख कर ही अनुमान लगा लिया होगा कि विद्या क्या करिश्मा कर सकती हैं. हमेशा साड़ी मेटेरियल कहलानेवाली विद्या को सिल्क के रूप में प्रस्तुत करनेवाले मिलन ने कभी तो नोटिस किया होगा कि विद्या ही सिल्क के किरदार के लिए परफेक्ट होगी. पा अमिताभ बच्चन की फिल्म थी.लेकिन फिल्म में ऑरो की मां के किरदार में विद्या. आर बाल्की की सोच के साथ विद्या के लिए भी यह साहसी भरा कदम था. चूंकि वह युवा अभिनेत्री होने के बावजूद ऐसा किरदार निभा रही थीं. लेकिन उन्होंने यह रिस्क लिया. चूंकि वह विद्या हैं, जो आंखों में चश्मा चढ़ाई हुई शबरीना के किरदार में सबको चौंकाना जानती हैं. हिंदी फिल्मों के वैसे निदर्ेशक जो यह शिकायत करते फिरते थे कि उनके पास महिला प्रधान कहानियां है हैं लेकिन अभिनेत्री नहीं. वह विद्या को ध्यान में रखते हुए अब कहानी लिख सकते हैं. चूंकि विद्या अब अपने कंधों पर फिल्म की सफलता की गारंटी ले सकती हैं.प्रायः हम सुनते हैं कि इस कलाकार इस फिल्म के लिए विशेष तैयारी की है. वह लगातार दो सालों तक किसी अन्य फिल्म में काम नहीं कर रहे या कर रही हैं. लेकिन विद्या बालन वह हैं जिनकी तीन महीने के अंतराल पर फिल्में आ रही हैं. लेकिन हर फिल्म में वह अलग हैं. चुनौतीपूर्ण किरदार में नजर आती हैं वो. नो वन किल्ड जेसिका की रिलीज के दौरान जब उनसे बातचीत हुई थी तो उन्होंने सुजोय घोष की फिल्म कहानी की चर्चा की थी और शेयर किया था कि एक गर्भवती महिला का किरदार निभाना उनके लिए कितना कठिन है. उस वक्त उन्होंने फिल्म डर्टी पिक्चर की चर्चा नहीं की थी. लेकिन डर्टी पिक्चर पहले रिलीज हुई. साफ जाहिर है कि विद्या दोनों फिल्मों की शूटिंग साथ साथ कर रही थीं. तो, अनुमान लगाएं ग्लैमरस, सेक्सी सिल्क से बिल्कुल विपरीत साधारण से लिबाज में कहानी की विद्या बागची का किरदार निभाना कितना कठिन रहा होगा. लेकिन फिर भी कहानी की विद्या कहीं से सिल्क के किरदार से कमजोर नहीं लगीं. फिल्म कहानी में ही उनके किरदार के कई पहलू सामने आये. बिना किसी मेकअप, बिना किसी ग्लैमरस कॉस्टयूम ेके उन्होंने अपने अभिनय को जो निखार दिया. वह बमुश्किल वर्तमान दौर में किसी भी अभिनेत्री में नजर आता है. विद्या चेहरे के एक्सप्रेशन से खेलना जानती हैं. वे जानती हैं कि शरीर की भाषा के साथ साथ आंखों से और चेहरे के भाव से कैसे बातों को दर्शाया जा सकता है. द डर्टी पिक्चर की सफलता के बाद कई लोगों ने विद्या को चैलेंज किया कि चूंकि फिल्म में अंग प्रदर्शन अधिक हुआ, इसलिए फिल्म को सफलता मिली. वे कहानी को सफल बना कर दिखाएं. कहानी की रिलीज हुई और फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता मिली. भले ही विद्या को फिल्म द डर्टी पिक्चर के लिए इस वर्ष का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो. लेकिन सच्चाई यही है कि परिणीता से लेकर कहानी तक उन्होंने अपनी हर भूमिका सो साक्षात प्रस्तुत किया है. वह किसी भी किरदार में बनावटी नहीं लगतीं. बहुत जल्द वह फिल्म घनचक्कर में लोगों को हंसाती हुई नजर आयेंगी. और निश्चिततौर पर वह अपने हास्य किरदार में भी एक अलग छवि प्रस्तुत कर जायेंगी. दरअसल, विद्या बालन किसी मां की तरह ही अपने हर बच्चे का लालन पोषण पूरी तन्मयता के साथ करती हैं. पूरी ईमानदारी के साथ करती हैं. यही वजह है कि वह एक साथ कई रूपों में आपके सामने हैं. लेकिन सभी में परफेक्ट हैं. किसी व्यक्ति के लिए साल में एक फिल्म में परफेक्शन दिखाना आसान है. लेकिन साल में तीन फिल्में हों और तीनों में मजबूत किरदार निभाना एक चुनौतीपूर्ण काम है. जिसे बेहद सहजता से जीती हैं विद्या. अपार सफलता, प्रशंसा प्राप्त करने के बाद भी विद्या आज भी बहुत सहज हैं. घमंड उन्हें छू कर भी नहीं गुजरती. वह एकमात्र अभिनेत्री हैं, जो अपने चाहनेवाले सभी लोगों के एसएमएस का भी जवाब देती हैं. मीडिया के साथ हमेशा उनका दोस्ताना व्यवहार है. वह किसी इंटरव्यू में हैं और उन्हें भूख लगी है तो वह दिखावा किये बगैर मीडिया के साथ ही खाने लगती हैं. कोई अगर इंटरव्यू के दौरान ही उनकी कानों के झूमकों की तारीफ कर दें तो थैंक्स कहने के साथ साथ वह विस्तार में बताती हैं कि उन्होंने यह कहां से खरीदा वगैरह वगैरह...इससे साफ जाहिर होता है कि विद्या सातवें आसमान होते हुए भी हवा में बातें नहीं करतीं. खुद विद्या मानती हैं कि उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है उसमें उनके दर्शकों का सबसे अधिक सहयोग है. मीडिया का सहयोग है. इसलिए वे हमेशा अपने रिश्तों को परिपक्व करती रहेंगी.
इस वर्ष के लगभग छोटे बड़े सभी अवार्ड समारोह में वह शामिल हुईं. फिल्मों के प्रमोशन में भी वह लगातार शामिल हुईं. अपार सफलता हासिल करने के बाद जब कई समीक्षक व उनके शुभ चिंतक बननेवाले महानुभाव उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि अगर वह लगातार यूं ही दिखती रहेंगी, इजली अबैल्वेल रहेंगी तो उनका मान घट जायेगा. लोग उन्हें महत्व नहीं देंगे. क्योंकि अब वह सुपरस्टार हैं. लेकिन इन बातों से विद्या को कोई फर्क नहीं पड़ता. वे फिल्म में जितनी शिद्दत से काम करती हैं. उसके प्रमोशन में भी वह उतनी ही सक्रिय हैं. वे फुले हुए पेट के साथ पूरे भारत में कहानी का प्रमोशन करती हैं. सड़क पर उतरती हैं. लोगों के बीच जाती हैं. एक दिन में 43 इंटरव्यूज देती हैं. लेकिन इसके बावजूद आम लोगों से उयका रिश्ता और परिपक्व होता जा रहा है. विद्या को न सिर्फ युवा लड़कियां, बल्कि घरेलू महिलाएं, कामकाजी महिलाएं, बड़े बुजुर्ग सभी का आदर्श मिल रहा है. इसकी वजह यह है कि विद्या की छवि सभी लोगों के घर में एक सुशील लड़की की तरह है. वह सिल्क बन कर बेशर्म नहीं हुई है. इश्किया की धुर्त महिला होने के बावजूद उसे उन महिलाओं की प्रशंसा मिलती है. जो अपने पति द्वारा सताई गयी हैं. कहानी में गर्भवती महिला का किरदार निभाने से उन्हें गर्भवती महिलाओं की हमदर्दी मिलती है. दरअसल, आम लोगों की नजर में विद्या बालन एक मात्र सितारा हैं, जिन्हें अगर वह छूना चाहें तो छू पायेंगे, क्योंकि विद्या वह सितारा हैं जो जमीन पर भी बखूबी चमकती हैं और आकाश में भी हमेशा झिलमिलाती रहेंगी.

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