20120322

मुंबईया हिंदी की डिक्शनरी बॉलीवुड

फिल्म ब्लड मनी में कनाडा प्रांत से ताल्लुख रखनेवाली मिया यूयेदा भी अहम भूमिका निभा रही हैं. मिया ने भारत में कई विज्ञापनों में काम किया है. किंगफिशर की कैलेंडर गर्ल भी रही हैं. खतरों के खिलाड़ी में भी वे प्रतिभागी के रूप में नजर आ चुकी हैं. और अब वह फिल्म ब्लड मनी से फिर से चर्चा में है. हाल ही में ब्लड मनी के स्टार कास्ट से विशेष फिल्मस के दफ्तर में ही बातचीत करने का मौका मिला. औपचारिक बातचीत खत्म होने के बाद मिया ने यूं ही कुछ बातें भी शेयर की. वह हिंदी में बातचीत करने की कोशिश कर रही थीं. हिंदी बोलने को लेकर कितनी सहज हैं. इस पर चर्चा होते ही वह विस्तार में बताने लगती हैं कि उन्हें हिंदी भाषा अच्छी लग रही है और चूंकि उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करना है. इसलिए वह हिंदी की टयूशन ले रही हैं. वे बताती हैं कि खतरों के खिलाड़ी के दौरान चूंकि अक्षय कुमार अधिकतर हिंदी में ही बोलते थे. उस वक्त से ही उन्होंने हिंदी भाषा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था. श्रीलंकाई अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस ने भी बातचीत के दौरान बताया है कि वह हिंदी सीख रही हैं और उन्होंने अपने मोबाइल पर हिंदी डिक्शनरी डाउनलोड किया है, जिससे उन्हें हर दिन हिंदी के नये नये शब्द सीखने का मौका मिल रहा है. जैकलीन इस बात से बेहद खुश हैं कि उन्होंने फुदकना, कूदना, रोना, हंसना, पुकारना जैसे शब्द सीख लिये हैं. कुछ इसी तरह नरगिस फाकरी ने भी बताया था कि उन्होेंने रॉकस्टार के लिए मेहनत की और हिंदी सीखी. इससे साफ जाहिर होता है कि अब बॉलीवुड में एंट्री ले चुकीं विदेशी मूल की अभिनेत्रियां हिंदी की अहमियत समझ रही हैं. कट्रीना कैफ भी पहले की तूलना में अब पत्रकारों से हिंदी में बात करती हैं. और उनके करीबी बताते हैं कि वे अब भी हिंदी सीखने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं. और ये सभी विदेशी मूल की अभिनेत्रियां इस बात से खुश हैं कि वे नयी भाषा सीख रही हैं. वे हिंदी सीखने पर गौरान्वित महसूस करती हैं. लेकिन इसके ठीक विपरीत कई ऐसे कलाकार हैं जो हिंदी बोलना अपनी तौहीन समझते हैं. प्रश्न भले ही हिंदी में हो वह जवाब अंग्रेजी में ही देते हैं. इसकी वजह यह है कि खुद उनकी हिंदी भी अच्छी नहीं रहती. चूंकि उन पर मुंबईयां हिंदी हावी रहती है. वे शुरू से मेट्रो में रहते हैं. जहां हिंदी से लोगों का वास्ता ही नहीं. एक बार विनोद दुआ ने ही एक टीवी शो के दौरान कहा था कि मुंबई में भले ही आप प्रश्न हिंदी में पूछें, जवाब आपको अंग्रेजी में ही मिलेंगे.दरअसल, हिंदी सिनेमा में तो खुद ऐसे लोग हैं, जिनकी हिंदी की डिक्शनरी में न तो अधिक शब्द हैं और न ही हिंदी बोलने के तौर तरीके. अमिताभ बच्चन, आशुतोष राणा, मनोज बाजपेयी, डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी जैसे शख्सियतों को छोड़ दें तो गिने चुने नाम ही हमें अच्छी हिंदी में बातचीत करते नजर आयेंगे. दरअसल, विदेशी मूल की अभिनेत्रियों के साथ साथ यहां के भी कई कलाकारों को इसकी सीख लेनी चाहिए. क्योंकि अमिताभ बच्चन ने ही कहा है कि भाषा से ही भाव बनता है. और हिंदी भाषा की फिल्म में भावपूर्ण अभिनय के लिए अच्छी हिंदी सीखना भी अनिवार्य पहलू है. सो, जरूरी है कि कम से कम कलाकार मुंबईया हिंदी से बाहर आयें.


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