20120224

क्योंकि ब्रेक भी जरूरी होता है

orginally published in prabhat khabar

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं. वे अस्पताल में कई दिनों से अपनी चिकित्सा करा रहे हैं. संभव हो और कामना भी है कि यह आलेख प्रकाशित होने तक वे घर वापस लौट आयें.वे कुली की शूटिंग के दौरान घायल हुए और वह दर्द आज भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही. अमिताभ पिछले कई सालों से लगातार बीमार पड़ रहे हैं. वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं. इससे निस्संदेह इस बात पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जाना चाहिए कि अमिताभ को अब काम करना छोड़ देना चाहिए. नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. लेकिन यह सच है कि अमिताभ को निरंतर काम से थोड़ा ब्रेक जरूर लेना चाहिए. यह सच है कि वर्तमान में अमिताभ बच्चन की तरह कोई भी बड़ा सितारा व्यस्त नहीं है. न तो उनका कोई हमउम्र और न ही कोई युवा सितारे. अमिताभ न सिर्फ फिल्मों के काम में बहुत व्यस्त रहते हैं. बल्कि व विज्ञापनों के काम. विदेशों की फिल्मों के काम में भी व्यस्त रहते हैं. जब वे केबीसी में व्यस्त थे. उस वक्त उन्होंने अपना पूरा समय इसे समर्पित किया. उसके बाद उन्होंने कहानी फिल्म के लिए रिकॉर्डिंग की, उन्होंने आदेश श्रीवास्तव के कैसेट के लिए रिकॉर्डिंग की. हाल ही में गुजरात गये. यहां तक कि जिस दिन वह अस्पताल में भर्ती होने जा रहे थे. उसके एक दिन पहले उन्होंने अपने मेकअपमैन दीपक सावंत की फिल्म की शूटिंग पूरी की. वे मुंबई में रहते हैं तब भी वे कई समारोह में भाग लेते रहते हैं. अपनी बहू के मां बनने की खुशी में उन्होंने कुछ ही दिन पूरी तरह छुट्टी के रूप में घर में बिताया.निस्संदेह थोड़े काम करके ही थक कर चुर होने जानेवाले युवाओं के लिए वह प्रेरणा के स्रोत हैं. चूंकि इस उम्र में भी वे लगातार काम कर रहे हैं. लेकिन साथ ही यह भी स्वीकारना होगा कि उन्हें काम के साथ आराम के प्रति भी वफादार होना होगा. चूंकि उनका बार बार बीमार पड़ना, यह दर्शा रहा है कि उनके शरीर को थोड़ा आराम चाहिए. गौर करें तो सलमान हाल ही में हुई सर्जरी के बाद सजग हो गये हैं. उन्होंने तय किया है कि अभी वे कुछ दिन आराम करेंगे. रजनीकांत अभी शूटिंग पर वापसी नहीं कर रहे, शाहरुख रा.वन व डॉन2 के बाद कुछ दिनों के लिए आराम कर रहे हैं. व्यस्त होने के बावजूद विद्या कुछ दिनों के लिए ब्रेक लेंगी. आमिर साल में एक ही फिल्म कर ऊर्जा बरकरार रखते हैं. यह बेहद जरूरी है कि कलाकार छोटे अंतराल पर काम से ब्रेक लें. चूंकि शूटिंग बेहद थकानेवाला काम है, जिसमें बहुत ऊर्जा लगती है. मुमकिन हो कि शायद अमिताभ आज भी अपने जीवन के उस बड़े झटके को भूल नहीं पाये हों, जब वे आर्थिक रूप से कमजोर हुए थे. शायद यही वजह है कि वे लगातार काम करते रहते हैं. चूंकि एक बार अगर जीवन में झटके लगते हैं तो या तो इंसान टूट जाता है या अत्यधिक सजग या सहम जाते हैं. शायद यही वजह है कि अमिताभ लगातार काम कर रहे हैं. ताकि उनकी जिंदगी में फिर से वे बुरे दिन न लौटें. यह लाजिमी भी है. लेकिन अमिताभ ने हार कर फिर दोबारा वापसी की है और हार कर जंग जीतनेवाले को बाजीगर कहते हैं. आज वे बॉलीवुड के बाजीगर हैं. इसलिए बेहतर हो वे काम करते रहें. लेकिन साथ ही सेहत के साथ लापरवाह न करें.

पीता हूं कि बस सांस ले सकूं
हाल ही में मुंबई के महबूब स्टूडियो में शाहरुख खान ने बिमल रॉय परिवार व नसरीन मुनी कबीर की उपस्थिति में बिमल रॉय के देवदास की मौलिक संवाद लेखन पर आधारित किताब द डायलॉग ऑफ देवदास लांच किया. ओम बुक इंटरनेशनल व हाइपन फिल्मस द्वारा किताब का प्रकाशन किया गया है.इस मौके पर राजिंद्र सिंह बेदी, इला बेदी. तलत मेहमूद की बेटी सबिना भी वहां मौजूद थी. इस किताब में यही वजह रही कि इस मौके पर शाहरुख खान उपस्थित थे. यह किताब इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, चूंकि इस किताब में बिमल रॉय के बच्चे रिंकी, यशोधरा, अपराजिता व जॉय ने भी अपनी बात लिखी है. जिससे बिमल रॉय की जिंदगी व उनके फिल्मी लगाव के बारे में लोगों को बेहतरीन जानकारी मिलेगी. दिलीप कुमार बिमल रॉय के देवदास थे. सो, वे इस मौके पर उपस्थित होना चाहते थे. लेकिन सेहत ठीक न होने की वजह से वे उपस्थित नहीं हो पाये. मगर उन्होंने एक पत्र के माध्यम से देवदास से जुड़ी अपनी यादों को लोगों से सांझा किया, जिसे पढ़ कर शाहरुख ने सुनाया. निस्संदेह जब फिल्म के संवाद की चर्चा हो रही थी. तो, फिल्म के कुछ लोकप्रिय संवादों को पढ़ कर शाहरुख ने सुनाया. वे संवाद सुन कर वाकई उन सभी देवदास फिल्मों की यादें तरोताजा हुईं, जो हिंदी में बनी हैं. सिवाय अनुराग कश्यप की देवडी की, चूंकि बाकी देवदास में अनुराग की देवडी प्रयोगात्मक थी. बहरहाल, इस किताब पर बातचीत. निस्संदेह यह एक बेहतरीन किताब है और बेहतरीन पहल है. किताबों के माध्यम से अगर पटकथाओं को संजोया जाये तो कई महत्वपूर्ण फिल्मों की पटकथा को संरक्षित किया जा सकता है. जिस तरह विदु विनोद चोपड़ा अपनी फिल्म 3 इडियट्स की पटकथा पर किताब रिलीज कर चुके हैं. उस लिहाज से नसीरीन मुनी ने एक बेहतरीन तरीका चुना है. आज भी बिमल रॉय के देवदास व देवदास पर बनी फिल्में बहस का हिस्सा है. कुछ मानते हैं कि देवदास बावरां था.उसे इस तरह स्तुति करना जरूरी नहीं. जबकि कई लोग मानते हैं कि देवदास बेहतरीन फिल्म थी और बिमल रॉय की देवदास सर्वश्रेष्ठ थी. खुद दिलीप कुमार इसे जीवन की महत्वपूर्ण फिल्म मानते हैं.दरअसल, सच्चाई यह है कि अब तक कई रीमेक बनते आये हैं. लेकिन देवदास उन फिल्मों में से एक है, जिसके संवाद नहीं बदले. यह फिल्म के संवाद की ताकत है. फिल्म के वे संवाद कि ...एक दिन आयेगा, जब कहेंगे दुनिया ही छोड़ दो व कौन खम्बख्त बर्दाश्त करने के लिए पीता है...सबसे अधिक लोकप्रिय हुए. यहां तक कि वैसी युवा पीढ़ी जिन्होंने अब तक कोई भी देवदास नहीं देखी. वे भी बातों बातों में यह संवाद दोहराते नजर आते हैं. क्योंकि आज भी हारे हुए प्रेमी खुद को देवदास ही कहलाना चाहते हैं. दरअसल, यह उन सभी निदर्ेशकों की खासियत रही कि उन्होंने एक टूटे दिल से निकले संवाद को हमेशा जीवंत रूप दिया. क्योंकि वे संवाद दरअसल, संवाद नहीं एक टूटे दिल के दास्तां है. यह सच है कि जब दिल टूटता है तो सांस लेने भर की मजबूरी बाकी रह जाती है.देवदास हर दौर में जिंदा रहेंगे. क्योंकि दिल तो हर दौर में टूटता है.चूंकि जब भी दिल टूटेगा, एक नया देवदास कहलायेगा.

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