20120115

स्क्रीन अवार्ड : क्या खोया, क्या पाया




शनिवार की रात मुंबई के बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स के एमएमआरडी ग्राउंड में 18 वें स्क्रीन अवार्ड समारोह का समापन हुआ. हालांकि, इन दिनों हिंदी फ़िल्मों में कई पुरस्कार समारोहों का आयोजन किया जाता है. लेकिन फ़िर भी हिंदी फ़िल्म जगत में फ़िल्मफ़ेयर के समकक्ष किसी अवार्ड समारोह की आज भी गरिमा बरकरार है, तो वह स्क्रीन अवार्ड ही है.
यही वजह है कि बॉलीवुड हस्तियों के साथ-साथ आम दर्शकों को भी इस अवार्ड समारोह का बेसब्री से इंतजार रहता है. चूंकि एक लिहाज से यह इस बात का मापदंड होता है कि हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की वर्तमान परिस्थिति क्या है? साथ ही यह इस बात का भी सूचक है कि बीते वर्ष इस इंडस्ट्री ने क्या पाया व क्या खोया. पूरे वर्ष कैमरे के सामने व कैमरे के पीछे आपकी मेहनत का असल रंग यहीं नजर आता है. इस लिहाज से यह वर्ष वाकई खास रहा.
चूंकि इंडस्ट्री के दिग्गज चेहरों के साथ-साथ इस वर्ष नयी प्रतिभाओं का जमघट लगा था. चूंकि नि:संदेह 2011 में हिंदी सिनेमा ने कई प्रतिभावान लोगों को मौके दिये. इसमें पिटोबस त्रिपाठी जैसे कलाकार को बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड मिला, अक्षत वर्मा जैसे नये लेखक को दो पुरस्कार दिये गये. यह सकारात्मक संदेश है कि अगर आपमें टैलेंट है, तो यह इंडस्ट्री आपका स्वागत जरूर करेगी. इस वर्ष जितना सम्मान परदे के सामने कमाल दिखाने वाले लोगों को मिला.
उतना ही सम्मान परदे के पीछे कमाल दिखाने वालों को. इस वर्ष बेस्ट कॉस्टयूम की श्रेणी भी जोड़ी गयी. नि:संदेह इन दिनों निर्देशक के साथ किरदारों की उचित प्रस्तुति दिखाने में उनके कॉस्टयूम की अहम भूमिका रहती है. ऐसे में इस नयी श्रेणी की सराहना करनी चाहिए. चूंकि सम्मान मिलने से ही ऐसे लोग भी नोटिस होते हैं. इस वर्ष एक और बात भी गौरतलब थी कि विजुअल इफ़ेक्ट्स की श्रेणी में डॉन 2, हांटेड, रा.वन व डैम 999 समेत चार फ़िल्मों को शामिल किया गया.
इससे साफ़ जाहिर है कि वर्ष 2011 हिंदी सिनेमा ने तकनीक व विजुअल इफ़ेक्ट्स के आधार पर खुद को मजबूत किया है. स्क्रीन अवार्ड ने पारखी नजर रखते हुए भी कई प्रतिभाओं को सम्मानित होने से वंचित रख दिया. जबकि वे इसके दावेदार भी थे और हकदार भी. इनमें सबसे पहले नाम आता है नसीरुद्दीन शाह का. नसीरुद्दीन शाह ने वर्ष 2011 में द डर्टी पिक्चर व सात खून माफ़ में अद्भुत भूमिका निभायी. लेकिन बतौर एक्टर या खलनायक उन्हें कोई भी नॉमिनेशन नहीं मिला.
जबकि वे लगातार बेहतरीन अभिनय करते आ रहे हैं. बेस्ट डायलॉग की श्रेणी में फ़िल्म साहेब, बीवी और गैंगस्टर के लेखक संजय चौहान व तिंग्माशु धुलिया का नाम शामिल नहीं था. जबकि इस फ़िल्म के संवाद को बेहद सराहना मिली.फ़िल्म तनु वेड्स मनु के गीत बेहद लोकप्रिय हुए, लेकिन बेस्ट गीतकार की श्रेणी में नये गीतकार राज शेखर का नाम शामिल नहीं था.बेस्ट स्टोरी की श्रेणी में फ़िल्म चिल्लर पार्टी को शामिल नहीं रखा गया.
साथ ही पिछले वर्ष जिस तरह उड़ान, रोड, संगम जैसी छोटे बजट की फ़िल्मों को सराहना मिली. इस वर्ष छोटे बजट की फ़िल्में अधिक पुरस्कार हासिल नहीं कर पायीं. माधुरी के बाद विद्या सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सर्वाधिक स्क्रीन अवार्ड जीतने वाली अभिनेत्री बन चुकी हैं.
डीप फ़ोकस
हिंदी फ़िल्म जगत में फ़िल्मफ़ेयर के समकक्ष किसी अवार्ड समारोह की आज भी गरिमा बरकरार है, तो वह स्क्रीन अवार्ड ही है

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