20111228

दिलीप-देव की दोस्ती के कांटे



आज मुंबई के महबूब स्टूडियो में लीजेंड देव आनंद साहब की औपचारिक श्रध्दांजलि सभा का आयोजन किया गया है. देव आनंद का देहांत दिनांक 4 दिसंबर को लंदन में ही हुआ था. और उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार 10 दिसंबर को लंदन के पुटनी वैली क्रिमैटोरियम में किया गया. यह देव आनंद की फिल्मी व उनके अभिनय का ही जादू था जो व्यस्त रहनेवाले परदेस लंदन में भी बड़ी संख्या में उनके दर्शन के लिए उनके फैन की भीड़ थी. लेकिन जाते जाते भी शायद देव साहब की आंखें उस अनजाने प्रदेश में अपनों की तलाश कर रहे थे. यह तलाश उन लोगों की थी, जिन्हें उन्होंने पहचान दिलायी. जिस हिंदी सिनेमा को उन्होंने अपना पूरा जीवन दिया. इसी दुनिया से संबंध्द रखनेवाले किसी भी शख्स ने उनके अंतिम संस्कार में उपस्थित होना जरूरी नहीं समझा. उम्मीदन आज के शोक सभा में बॉलीवुड के नये दौर व पुराने दौर के सभी कलाकार महबूब स्टूडियो पहुंचें. दरअसल, सच्चाई यही है कि बॉलीवुड में रिश्ते बनाना उसी तरह है जैसे मिट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना. लेकिन रिश्ते निभाना उतना ही कठिन है जैसे पानी पे पानी से पानी लिखना. देव आनंद साहब की मौत के बाद भले ही सभी कलाकारों ने उन्हें टि्वटर, अखबारों व कई माध्यमों में श्रध्दांजलि दी हो. लेकिन यह भी कटु सत्य है कि पिछले कुछ सालों से देव आनंद साहब को बॉलीवुड जगत हल्के में लेने लगा था. वजह थी उनके निर्माण में बनी कई फिल्मों का फ्लॉप होना. देव आनंद साहब खुद इस टिस को जाहिर करते थे. उन्होंने खुद एक बातचीत में कहा था कि उन्हें बहुत दुख होता है कि उनके अजीज दोस्त दिलीप कुमार से अब वह बात नहीं कर पाते. चूंकि उनकी पत्नी सायरा बानो फोन कनेक्ट नहीं कराती. यह बात जगजाहिर है कि दिलीप कुमार अब पूरी तरह से सायरा पर आश्रित हैं. सायरा ही उनका ख्याल रखती हैं. देव साहब को इस बात भी हमेशा अफसोस रहा कि जब उन्होंने अपनी फिल्म हम दोनों का रंगीन संस्करण हाल में लांच किया तो उन्होंने बॉलीवुड के सभी दिग्गजों को बुलाया था. खासतौर से उन्हें दिलीप साहब का इंतजार था. खुद देव साहब ने कहा था कि उस वक्त सायरा के साथ दिलीप ने कई आयोजनों में हिस्सा लिया, लेकिन वे देव साहब के निमंत्रण पर नहीं आये. आज भले ही उनकी मृत्यु के बाद इंडस्ट्री उनका गुणगान गाये. लेकिन सच्चाई यह है कि यहां केवल उगले सूरज को ही सलामी दी जाती है. हालांकि देव साहब की मृत्यु के बाद खुद सायरा ने कहा था कि वे इस साल दिलीप साहब का जन्मदिन नहीं मनायेंगी. चूंकि दिलीप साहब बेहद दुखी हैं. लेकिन 11 दिसंबर को दिलीप साहब के जन्मदिन पर भव्य पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें इंडस्ट्री के सभी मशहूर अभिनेता शरीक हुए. शाहरुख, प्रियंका व सायरा ने डांस भी किया. दिलीप कुमार ने अपने अंदाज में सिटी भी बजायी. जबकि ठीक उसके एक दिन पहले ही देव साहब का अंतिम संस्कार किया गया था. लेकिन अपनी फिल्मों के लिए लगातार प्रीमियर या प्रोमोशन के लिए विदेश जानेवाले किसी भी बॉलीवुड शख्सियत के पास देव साहब के अंतिम दर्शन के लिए समय नहीं था. यहां तक कि उन कलाकारों के पास भी नहीं, जिसे देव साहब ने लांच किया था. किसी दौर में त्रिदेव कहलानेवाली यह तिकड़ी लोकप्रियता, ग्लैमर की दुनिया के चक्रव्यू में फंस चुकी थी. जहां दोस्ती की मजबूती का आंकलन नहीं, बल्कि बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन के आधार पर रिश्ते बनते व बिगड़ते हैं. जाहिर है कोई भी सुपरसितारा यह नहीं चाहेगा कि उसकी वह छवि बिगड़े. चूंकि चकाचौंध, शोहरत की दुनिया का चरम देखने वाले शख्स के लिए अपनी छवि को साफ सुथरी छवि वाली बनाये रखना एक अहम जिम्मेदारी होती है. ऐसे में फिर चाहे उन्हें अपनी सबसे अजीज वस्तु ही क्यों न खोनी पड़े. अपने अहं को बरकरार रखना ही सबसे अहम हो जाता है. और शायद यही वजह थी कि लगातार फ्लॉप होती फिल्मों की वजह से धीरे धीरे देव अपनी सुपरसितारा वाली छवि को धुमिल करते जा रहे थे और यही वजह थी कि धीरे धीरे अपने लोगों ने भी उनसे किनारा कर लिया था.

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