20111214

रावण की अलग छवि प्रस्तुत करेगी लंका ः मनोज बाजपेयी


सत्या से लेकर भीखू मात्रे से लेकर आरक्षण के मिथिलेश सिंह तक के किरदार में मनोज बाजपेयी ने अपनी अभिनय क्षमता का प्रमाण दिया है. इस बार वे फिल्म लंका से एक और सशख्त किरदार में दर्शकों के सामने होंगे. पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश

मनोज बाजपेयी ने चुनिंदा किरदार निभाये हैं. फिल्मों की फेहरिस्त छोटी है. लेकिन उनके अभिनय क्षमता की उम्र लंबी है. चूंकि उन्होंने सशख्त भूमिकाओंवाले किरदार निभाये हैं.

आरक्षण के बाद अब आप लंका में नजर आयेंगे? क्या बदलाव? क्या तैयारियां हैं आपकी?

जी, बिल्कुल पूरी तरह तैयार हूं. एक फ्रॉड टीचर के किरदार से बाहर हूं और लंका के किरदार में डूब चुका हूं. लंका जिस तरह की फिल्म है. काफी दिनों से चाह रहा था कि कोई ऐसी फिल्म करूं. और लंका मिल गयी. चूंकि यह थोड़ी अलग कहानी है. सो, किरदार पर पूरी तरह ध्यान दिया है. तैयारियां कैसी हैं. यह तो फिल्म देखने के बाद आप बता सकेंगी. बेहतर है या नहीं.

क्या लंका वास्तविक कहानी पर आधारित है.

जी हां, बिल्कुल. यह रावण-विभीषण के रिश्ते पर आधारित कहानी है. लेकिन फिल्म रामायण की तरह नहीं होगी. वर्तमान परिपेक्ष्य में उसकी प्रासंगिकता का पूरा ध्यान रखा गया है, फिल्म में. इसके किरदार भी वर्तमान समय से मेल खाते हैं. मेरा किरदार रावण के किरदार से मेल खाता है. मेरा किरदार अपने राज्य से बहुत प्यार करता है. लेकिन जब उसे एक लड़की से प्यार होता है तो वह उस प्यार को पाने के चक्कर में सबकुछ भूल कर अनर्थ करता जाता है.

इस वर्ष रावण किरदार की चर्चा बेहद हुई है. आपके किरदार की तूलना अगर मणि रत्नम की फिल्म रावण से की गयी तो?

नहीं. मेरी फिल्म रावण के एक अलग व्यक्तित्व को दर्शायेगी. फिल्म देखने के बाद लोग महसूस करेंगे कि वाकई क्या रावण ऐसा भी था, यह फिल्म रावण और विभीषण यानी दो भाईयों के रिश्ते की कहानी है.

आपने अब तक कई भूमिकाएं निभाई है.आपका अपना सबसे पसंदीदा किरदार कौन सा रहा है?

भीखू मात्रे. सत्या का किरदार.

क्या हम वैसे किरदार में आपको फिर से देख पायेंगे.

यह निर्भर करता है कहानी की डिमांड पर. शायद शूटआउट एट वडाला में आप मुझे उस तरह के किरदार में देख सकते हैं.

चरित्र भूमिकाएं निभाने में परेशानी नहीं होती. संतुष्ट हैं आप?

हां बिल्कुल मैं मानता हूं कि मेरे जैसे कलाकार अब तक पोस्टर में भी नजर आने लगे हैं. यह सफलता ही है. वरना पैसे तो कम मिलते ही थे. पोस्टर में भी नजर नहीं आते थे( हंसते हुए) वैसे मैं खुश हूं कि मुझे अच्छे किरदारों के लिए पहचाना जा रहा है. खुशी होती है जब किसी फिल्म में मैंने अभिनय किया हो और दूसरे दिन जब फिल्म की चर्चा हो. तो मेरे किरदार और मनोज बाजपेयी के परफॉरमेंस की चर्चा जरूर की जाती है. वरना. इतनी भीड़ है. किसे याद रहते हैं सभी किरदार.

तो क्या अखबारों में प्रकाशित रिव्यूज को तवज्जो देते हैं. आलोचना को किस तरह लेते हैं आप.

एक सकारात्मक व्यक्ति की तरह. मैं मानता हूं कि आलोचना ही सही. मेरी चर्चा तो हो रही है. कुछ लोगों के रिव्यूज को तवज्जो जरूर देता हूं. जिन्हें वाकई फिल्मों और अभिनय की समझ है. और जानकार लोगों की बातों व सुझावों पर अमल भी करता हूं.

कभी अगर मौका मिले तो भोजपुरी फिल्में करेंगे. चूंकि आप बिहार से हैं. ऐसी उम्मीदें की जा सकती है.

बिल्कुल. मेरे लिए सबसे अहम स्क्रिप्ट है. अच्छी होगी तो करूंगा.और दूसरी बात स्क्रिप्ट हिंदी में लिखी गयी हो. न कि रोमन में. चूंकि मुझे इस बात से संकोच नहीं है कि मैं हिंदी भाषी इंसान हूं.

गैंग ऑफ वसीपुर के बारे में कुछ बताएं?

फिलवक्त यह बताता सकता हूं कि एक अच्छी फिल्म है. अनुराग कश्यप और मैंने एक दोस्त की तरह काम किया है.विषय बेहद अलग है.

अपनी उम्र से बड़े किरदार निभाने में कोई परेशानी नहीं होती.

मैंने बताया न. मैं चरित्र प्रधान फिल्मों का कलाकार हूं. सो, जो किरदार पसंद आ जाये कर लेता हूं. उम्र के बारे में नहीं सोचता,


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