20111014

अनंत अमिताभ...

1.केबीसी के अमिताभ बच्चनः सिध्दार्थ बसु, सीइओ, केबीसी

आज से 10-11 वर्ष पहले जब हमने केबीसी की परिकल्पना की थी. उस वक्त हमारे जेहन में अमिताभ बच्चन ही थे. उन्हें हमने प्रस्ताव दिया और उन्होंने इसे सहज स्वीकारा भी. केबीसी के पहले संस्करण ने इतिहास रचा. तो हमारे हौंसले बुलंद हुए और फिर एक नयी शुरुआत हुई केबीसी के द्वितीय संस्करण से. हर सृजनशील व्यक्ति की तरह मेरे मन में भी यह बात थी कि पता नहीं केबीसी का वह जादू बरकरार रह पायेगा या नहीं. लेकिन मिस्टर बच्चन की उपस्थिति ने हमारी सारी शंकाओं को दूर कर दिया. और आज हम केबीसी चौथे पड़ाव को भी पार कर अपने पांचवें संस्करण में पहुंच चुका है, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा है. मुझे लगता है कि यह शो दो कारणों से दर्शकों के दिलों में राज कर रहा है. सबसे अहम अमिताभ बच्चन और दूसरी अमिताभ बच्चन का प्रतिभागियों के साथ व्यवहार. वे जिस तरह बिल्कुल आम लोगों के साथ आम जिंदगी की बातें कर रहे हैं. उनके दुख में दुखी. खुशी में खुशी व्यक्त करते हैं. कभी मजाकिया अंदाज में तो कभी गंभीर मार्गदर्शक बन जाते हैं. शायद यही वजह है कि केबीसी और अमिताभ एक दूसरे के साथ हो गये हैं. मैं प्रायः सेट पर उनके साथ ही रहता हूं. मैं गौर करता हूं कि वे किस तरह हर प्रतिभागी को सामान्य करने की कोशिश करते हैं. उनसे यूं ही इधर उधर की बातें करते हैं. ऑफ स्क्रीन भी वे समझाते रहते हैं, ताकि प्रतिभागी खुद को सामान्य रख सकें. न सिर्फ प्रतिभागियों से बल्कि वे टीम के सभी सदस्यों का सम्मान करते हैं. शूटिंग के दौरान वे किसी खास सीन को फिल्माने के लिए अपनी राय जरूर देते हैं. लेकिन थोपते नहीं. वे प्रतिभागियों के साथ साथ वहां बैठी ऑडियंस से भी ब्रेक के दौरान बातचीत करते हैं. लोगों को अपने अंदाज से दीवाना बनाने की कला में माहिर हैं अमिताभ. बस यही कहना चाहूंगा.

2. ब्लॉगर टि्वटर अमिताभः

वर्ष 2008 में आमिर खान के बाद अमिताभ बच्चन दूसरे सेलिब्रिटी थे, जिन्होंने अपने ब्लॉग की शुरुआत की. अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग शुरू करने की वजह यही बताई थी कि वे अपने प्रशंसकों से सीधा संपर्क स्थापित करना चाहते हैं. चूंकि उनके प्रशंसकों के लिए भी एक बड़ी बात थी. कि सदी का महानायक खुद उनसे बातें करेगा. शायद यही वजह है कि इतने सालों के बाद भी उनका ब्लॉग बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी ब्लॉगिंग की खासियत यह भी है कि वे फिल्मों से इतर भी अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातें करते हैं. प्रशंसकों को निश्चित तौर पर वह पढ़ना अच्छा लगता है. हिंदी को एक खास भाषा माननेवाले अमिताभ जब हिंदी दिवस आता है तो वे खुद भी ब्लॉग पर हिंदी में लिखने लगते हैं. उनके ब्लॉग के प्रति लोगों का आकर्षण इसलिए भी है, क्योंकि वे अपने ब्लॉग के पाठकों को अपना परिवार बताते हैं. जाहिर है, उनका यह आभार प्रशंसकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा ही. जहां तक टि्वटर की बात है. निस्संदेह, उनके प्रशंसक उन्हें टि्वटर की बजाय ब्लॉग से अधिक जानते हैं. लेकिन टि्वटर के माध्यम से भी उनके फॉलोअर्स की कमी नहीं है. वे टि्वटर लिखते वक्त भी एक अलग अंदाज में नजर आते हैं. उन्होंने अपना एक अलग अंदाज रखा है टि्वटर पर. वे जब भी टि्वट करते हैं वे उस पोस्ट को टी...1....टी2 के नाम से संबोधित करते हैं. अब तक अमिताभ ने कुल 514 दिन टि्वट किये हैं. आप गौर करें, तो उनकी पूरी कोशिश यही रहती है कि वे अपने सारे प्रशंसकों को जवाब दें और वह देते भी हैं. फिर चाहे किसी फॉलयर्स को शुभकामनाएं ही क्यों न देना हो.

3. पा के अमिताभ बच्चनः आर बाल्की

अमिताभ से अमिताभ बच्चन को बाहर निकालना बड़ी चुनौती थी आर बाल्की

आमतौर पर हमारी फिल्में लार्जर देन लाइफ मानी जाती हैं लेकिन हमारी इंडस्टी में अमित जी का परसोना भी लार्जर देन लाईफ है.उनको ध्यान में रखकर रोल लिखे जाते थे इसलिए जब मैंने फिल्म पा के लिए औरो किरदार लिखा तो मैं यह जरुर चाहता था कि इस किरदार को अमित सर जीये लेकिन मेरे मन में यह बात भी थी कि औरो के किरदार में किसी भी तरह से बिग बी की छवि हावी होने पाये, अगर एक शब्द में कहूं तो मैं अमिताभ बच्चन में से अमिताभ बच्चन को ही बाहर निकालना चाहता था. मैंने अमित सर से जब यह बात कहीं तो वे कुछ समय के लिए छुप हो गये फिर उन्होंने कहा कि मुझे ऐसे किरदार से जुडना पसंद है. जिसमे मैं कही से भी फिट बैठ सकूं. मुझे ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनना पसंद है. जो मेरे स्टारडम को संतुष्टि देकर एक्टर के रूप में मुझे चुनौती दे.उम्र के इस मुकाम पर इतनी सफलता, इतनी प्रसिध्दि पा लेने के बाद हर आदमी अपने अचिवमेंट से खुश हो जाता है. लेकिन अमिताभ बच्चन में आज भी नवोदित कलाकार की तरह अभिनय के प्रति जुनून और जज्बा बरकरार हैं. मुझे याद है एक युवा और नवोदित एक्टर के तरह उनकी आंखों में उत्सुकता थी. वे औरो के उस अनदेखे किरदार से जल्द से जल्द मिलना चाहते थे. अमित सर ने किरदार को पूरी तरह से समझा और मुझे पूरे विश्वास से कहा कि औरो में कहीं से भी अमिताभ बच्चन की छवि नजर नहीं आएगी. अगले दिन मेकअप और रिर्हसल था. अमित सर ने मेकअप किया और फिर कुछ एक सींस को परफार्म किया. सेट पर मौजूद सभी लोगों ने ऐसा अमिताभ बच्चन नहीं देखा था. हम सभी ने उनके परफामर्ेंस की तारीफ की लेकिन अमित सर ने मुझसे कहा कि मैं अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुआ हूं. उन्होंने कहा कि अभिषेक जल्द ही शूटिंग पर आनेवाला है. उसे आपलोग मत बताएगा कि मैं देखना चाहता हूं कि एक एक्टर के तौर पर मैं औरो के साथ कितना न्याय कर सकूंगा. मैं जानना चाहूंगा कि अभिषेक मुझे पहचान पाता है. सेट पर अभिषेक आये अमित सर उनके सामने ही थे लेकिन वे उन्हें पहचान नहीं पाये. थोड़ी देर बाद उन्होंने पूछा कि पापा कहां है? जब हमने बताया कि सामने एक बच्चे की तरह नजर रहा वह शख्स कोई और नहीं अमितसर ही हैं. हमारी इस बात को सुनकर अभिषेक के आश्चर्य और अमित सर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एक नवोदित कलाकार के तरह उनके चेहरे की खुशी थी. मैं यहां एक बात और बताना चाहूंगा कि अमितजी पूरी तरह से डायरेक्टर एक्टर नहीं है. वे एक इंटेलिजेंट एक्टर हैं. जो किसी भी सीन पर परफार्म करने से पहले खुद कई बार सोचते हैं, रिर्हसल करते हैं. सीन पर परफार्म करते हैं, मानिटर पर खुद को देखते हैं और फिर निदर्ेशक से पूछते हैं कि शाट ओके हैं ना. स्क्रिप्ट को लेकर भी उनकी जानकारी बेहतरीन है. पा की स्क्रिप्ट का पहला ड्राफ्ट जब मैंने उन्हें पढने को दिया था तब उन्हें वह पसंद नहीं था. उन्होंने कहा कि इस स्क्रिप्ट को पढ़कर औरो के किरदार से सहानुभूति होती है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट ऐसी होनी चाहिए कि औरो से सभी को सहानुभूति नहीं बल्कि प्यार हो जाये. अमित जी की कही गयी यही बातें इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी साबित हुई और फिल्म पा को सभी ने इतना पसंद किया.

4. ब्रांड अमिताभ बच्चन प्रहाल्द कक्कर

विश्वसनीयता का दूसरा नाम अमिताभ बचन है प्रहलाद कक्कड़

इंडस्ट्री में पिछले चार दशक से लंबे समय से अमिताभ बच्चन ने अपनी एक अलग इमेज बनायी हैं. एक ऐसी इमेज जो विश्वसनीयता का दूसरा नाम बन चुकी हैं. अगर अमिताभ से जुड़े ब्रांड को देखे तो हर ब्रंाड उनकी विश्वसनीयता की बात करता है. मैं यहां कैडबरी का उदाहरण देना चाहूंगा जब कैडबरी के कुछ एक चाकलेट में से कीड़े निकले थे तब कैडबरी की विश्वसनीयता पर अमिताभ बच्चन ने ही फिर से लोगों को यकीन दिलाया था. उस ब्रांड से जोड़ने के पीछे एक वजह खुद अमित जी की इमेज भी थी. अमिताभ बच्चन ने अपने कैरियर में बहुत से उतार-चढ़ाव देखें हैं.वह गिर कर फिर जबरदस्त तरीके से उठे है. उसके इस सुपरस्टारडम का श्रेय उसके खुद को हमेशा रिइंवेट करने की आदत को भी जाता है. उसने हमेशा खुद को वक्त और सिचुएशन की हिसाब से बदला है. 70 के दशक में अगर वह एंग्रीयंग मैन था तो 80 के मध्य की उसकी फिल्मों में नजर डालेंगे तो वह ज्यादातर कॉमेडी थी. चाहे वह कुली, मर्द, अमर अकबर एंथोनी,नमक हलाल या फिर शराबी हो. इसके बाद वह एक भयानक बुरे दौर से गुजरे लेकिन एक बार फिर उसने छोटे पदर्े (केबीसी) के जरिये खुद को रिइंवेंट किया और आज तक इंडस्ट्री में अपना एक वर्चस्व कायम रखा है. हर बुरे वक्त में खुद को साबित कर देने की उनकी खूबी ने ही अमिताभ बच्चन को एक विश्वसनीयता का नाम बना दिया है और हर ब्रांड की यही चाहत होती हैं कि दर्शकों में वह एक विश्वसनीयता कायम कर सके और बिग बी से बेहतर और कौन हो सकता है.

5. एंग्री यंग मैन से बुङ्ढा होगा तेरा बाप के अमिताभ बच्चन जगन्नाथ पुरी

अभिनय के प्रति अमिताभ पूरी तरह से समर्पित हैंः अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन की फिल्में देखकर ही मैं बड़ा हुआ हूं. मैं हमेशा से उनका प्रशंसक रहा हूं. पिछले कुछ सालों की फिल्मों पर मैंने उनकी गौर किया तो मुझे लगा कि एंग्री मैन की जो उनकी इमेज थी. वो कहीं न कहीं गायब हो गयी थी. उसी इमेज में उनको देखने की मेरी ख्वाहिश ने फिल्म बुडढा होगा तेरा बाप से मुझे जोड़ा. मैं रामू को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मेरी यह ख्वाहिश पूरी की. फिल्म की शूटिंग करते हुए मैंने पाया कि 69 की इस उम्र में भी अभिनय के प्रति उनका जज्बा एकदम युवाओें वाला है. शूटिंग के वक्त उनका गट्स ,डायलाग बोलने का वो अंदाज सबकुछ मुझे 70 के दशक में पहुंचा रहा था. मुझे लगा कि मैं चार दशक पहले उस युवा अमिताभ को निदर्ेशित कर रहा हूं. जिसमें गजब की एनर्जी है. वैसे अभिनय के प्रति अमिताभ पूरी तरह से समर्पित है. मौजूदा दौर के एक्टर पैकअप होने के बाद जहां सेट से भागने की तैयारी में रहते हैं. वहीं अमिताभ कल होने वाले सीन को पेपर में लिख लेते थे फिर अगले दिन सेट पर कई रिहर्सल के बाद उसे परफार्म करते थे. अभिनय के प्रति उनका यह जज्बा ही इंडस्ट्री में 40 साल से लगातार कायम है.

6. आम लोगों के लिए अमिताभ बच्चन

पिछले चालीस वर्षों से लेकर अब तक यह सिलसिला बरकरार है. आज भी हजारों के तादाद में उनके प्रशंसक हर रविवार उनके मुंबई स्थित निवास प्रतिक्षा के बाहर बिग बी की एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं. उनके निवास स्थल प्रतिक्षा और जलसा मुंबई से बाहर आये लोगों के लिए दार्शनिक स्थल है. लोग मुंबई घूमने आये और जूहू में महानायक के घर का बाहर से ही दौरा न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता. यह आम लोगों का प्यार ही है, जो आज 69 बरस के अमिताभ बच्चन के बुजुर्ग को भी अपनी आंखों पर बिठा रखा है. आम लोगों ने ही उन्हें सदी का महानायक, एंग्री यंग मैन, बिग बॉस और बिग बॉस की उपलब्धि दिलाई है.

7.पहली महिला केबीसी राहत तसलीम की नजर में अमिताभ बच्चन

मैं जब केबीसी में फार्स्ट एंड फिंगर राउंड खेल रही थी. मैं बहुत नर्वस थी. लेकिन जैसे ही मैं केबीसी के हॉट सीट पर बैठी और अमिताभ जी से बात की मुझे मैं अपने पिताजी से बात कर रही हूं. मेरी सारी चिंताएं दूर हो गयीं. मुझे खुशी हुई ती उस वक्त जब मैं केबीसी जीत गयी थी और मुझे अमिताभ सर के साथ उनके घर पर जाने का मौका मिला था. अमिताभ सर की खास बात यह है कि वे हमेशा सभी प्रतिभागियों को मनोबल बढ़ाते हैं. जब शूटिंग न हो रही हो. तब भी. उनकी एक मुस्कान ही लोगों के लिए संजीवनी का काम कर देती है. उन्होंने जीतने के बाद मीडिया के सामने मेरे बारे में एक बात जो कही उससे मेरा मनोबल और बढ़ गया. उन्होंने कहा कि पूरे खेल के दौरान मेरे माथे पर सिकन नहीं थी. यही वजह रही कि मैंने खेल सही तरीके से खेला.

8.मैं अमिताभ बच्चन...

1.उच्चारण पर कमांड हो तो गुलामी नहीं करनी पड़ती अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन मानते हैं कि किसी भी व्यक्ति की अगर कम से कम हिंदी और अंग्रेजी दो भाषाओं पर कमांड हो तो आपको किसी का गुलाम बनने की जरूरत नहीं पड़ती. बकौल अमिताभ बच्चन भाषा सही हो तो शब्दों का उच्चारण सही तरीके से कर सकते हैं. भाषा का ग्राफ जानना जिंदगी में सबसे जरूरी है. मैं अपने पुत्र अभिषेक आज के दौर के सभी कलाकारों को समझाता हूं कि अंग्रेजी के साथ हिंदी पर कमांड हो तो आप खुद खुद बेहतरीन कर सकते हैं. मैं मानता हूं कि अगर आपको भाषा का ज्ञान हो तो आपके जीवन में किसी का भी गुलाम नहीं बनना पड़ता.

2. अगर आप कलाकार हैं तो यह बेहद जरूरी है कि आप अन्य कलाकारों का काम देखें और उनसे सीख लें. बदलती पीढ़ी के साथ काम मिलता है तो नये अवसर मिलते हैं कि हम उनके नजरिये को सुने, समझे.

3. जनता ने बनाया है. संवारा हैं. वे जब तक चाहेंगे काम करता रहूंगा. जब भी मैं विदेश में कार्यक्रम करता हूं तो अपनी पुरानी फिल्मों के संवाद जरूर सुनाता हूं. चूंकि वहां के लोग आज भी उससे सुनना चाहते हैं. खुशी तब होती है, जब उन संवादों को सुननेवाले सबसे ज्यादा लोग वह हैं, जो उस वक्त पैदा भी नहीं हुए थे. जब यह फिल्में रिलीज हुई थीं.

4. मैं अपनी जिंदगी में दो चीजों को सबसे अधिक महत्व देता हूं. एक आत्मविश्वास दूसरा अनुशासन

5. जो काम आप 25 साल की उम्र में करते हैं, उन्हीं कामों को जब आप 70 साल की उम्र में करते हैं. तो वह चुनौतीपूर्ण होता है, फिर चाहे वह एक्शन हो, गाना हो या डांस.

9.पिता हरिवंश लिए बेटा अमिताभ बच्चन

1. हमेशा इस बात का दुख रहेगा कि पिताजी द्वारा अनूदित ओथेलो में पिताजी की इच्छा थी कि हैमलेट की भूमिका निभाऊं. लेकिन मैं उस वक्त कैसियो की ही भूमिका निभा पाया था.

2. सोपान हमारा निजी गृह है. उसे हम सार्वजनिक नहीं कर सकते. लेकिन वहां आज भी उनकी चीजें प्रतिक्षा और सोपान में ज्यों की त्यों रखी हुई हैं. हमारे लिए वे प्रेरणा हैं.

3. मधुशाला हमेशा प्रिय रहेगी, क्योंकि उसमें जीवन का सार मिलता है.

4. जीवन यात्रा में हमेशा पिताजी की मौजूदगी महसूस की. छोटे थे तब भी. अब बड़े हो गये तब भी. रिश्तों का आयाम बदल जाता है. लेकिन रिश्ते नहीं. फिर चाहें वह हमारे साथ हों या हो.

5. अपनी जिंदगी के हर पथ पर बाबूजी की सीख काम आती हैं. खासतौर से सहनशीलता और आत्मबल रखना उनसे ही सीखा है.

6. लोग मुझे कुछ सालों में भूल जायेंगे, लेकिन पिताजी को सदियों तक याद रखा जायेगा. चूंकि उन्होंने साहित्य को रचा है.

7. मैं जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करूंगा या करना चाहूंगा, जिसके लिए बाबूजी उठ कर सामने खड़े हों और कहें कि बेटा तुम ने यह गलत काम किया. जीवन में कुछ भी करूंगा तो बस इतना ध्यान जरूर रखूंगा कि मां -बाबूजी सामने है.

8. एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ बहुत दुखी होकर बातचीत कर रहा था. चूंकि हममें से किसी को नौकरी नहीं मिल रही थी. तो सभी अंततः इसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि हम सभी आज जिस कगार पर हैं, उनमें हमारे माता-पिता का ही दोष है. इसी आक्रोश में मैंने घर आकर अपने पिताजी से पूछा कि आपने मुझे जन्म ही क्यों दिया. पिताजी उस वक्त तो चुप रहे. लेकिन दूसरे दिन पिताजी ने मॉर्निंग वॉक पर जाने से पहले एक पुर्जा मुझे दिया. उसमें जो लिखा था उसका सार यही था. कि बेटा अमिताभ, मेरे पिताजी ने भी मुझसे पूछके मुझे जन्म नहीं दिया था. उनके पिताजी ने भी पिताजी से पूछ कर उन्हें जन्म नहीं दिया था. तो तुम ऐसा करना कि जो गलती हम सबने की. वह तुम मत करना, तुम अपने बेटे को उससे पूछ कर जन्म देना...यह सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं गलत बातों के लिए पिताजी को दोष दे रहा था. तब से लेकर अब तक ऐसी कोई गलती नहीं की.