20110913

शीर्षक की कहानी तो बाकी है मेरे दोस्त


सिनेमा जगत में इन दिनों निदर्ेशक फिर से कई पुराने ट्रेंड पर आधारित फिल्मों के नाम का चयन कर रहे हैं.

किसी फिल्म का शीर्षक ही उस फिल्म की पहचान होती है. दर्शक खासतौर से फिल्म के शीर्षकों की वजह से फिल्म से जुड़ जाते हैं. यही वजह है कि फिल्म के शीर्षकों में इन दिनों कई तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं. फिल्म के शीर्षक का नाम रखते हुए कुछ निदर्ेशक अंधविश्वासों का भी ध्यान रखते हैं. टेलीवुड की महारानी मानी जानेवाली एकता कपूर खासतौर से अपनी फिल्मों और धारावाहिकों का नाम रखने में इन बातों का ख्याल रखती है. फिल्मों के नाम रखने से भी जुड़े वाकई कई दिलचस्प पहलू हैं. एक नजर

खाद्य पध्दार्थों पर फिल्मों के नाम

आप गौर करें तो खाद्य पध्दार्थों पर भी कई फिल्मों के नाम रखे गये हैं. इनमें चीनी कम,गरम मसाला, बर्फी, मिर्च पर फिल्मों के नाम रखे गये हैं. चूंकि इन फिल्मों की कहानी में कुछ ऐसे ही टि्वस्ट आते हैं. फिल्म चीनी कम की कहानी में निदर्ेशक ने बड़े उम्र के लड़के से बेहद छोटी उम्र की लड़की के प्यार को दिखाया है. फिल्म गरम मसाला में कई मसाले हैं. फिल्म बर्फी का निर्माण अनुराग बसु कर रहे हैं. गौर करें तो पुरानी फिल्मों में भी खट्ठा मीठा, अंगूर जैसी फिल्मों का नाम खाद्य पदार्थ पर रखा गया है.

बुङ्ढा होगा तेरा बाप

पहले इस फिल्म का नाम बुङ्ढा रखा गया था. लेकिन इसके बाद अभिषेक और अमिताभ स्क्रिप्ट पढ़ते पढ़ते अचानक अमिताभ ने कह दिया कि बुङ्ढा होगा तेरा बाप. सबको यह नाम पसंद आया और फिल्म का नाम बुङ्ढा होगा तेरा बाप रख दिया.

रा.वन

शाहरुख खान पहले अपनी फिल्म का नाम रा.वन रखनेवाले थे. लेकिन उन्हें लगा कि नेगेटिव किरदार अधिक लोकप्रिय होते हैं. जैसे मोंगेंबो, शकाल, कालिया, गब्बर सिंह तो उन्होंने फिल्म का नाम बदल कर रा.वन रख दिया

ये साली जिंदगी

इस फिल्म का नाम लोगों ने फेसबुक के माध्यम से सुझाया था. सुधीर मिश्र चाहते थे कि फिल्म में वे साली शब्द का इस्तेमाल करे हीं. तो उन्होंने तय किया कि फिल्म का नाम ये साली जिंदगी ही रखेंगे.

यमला पगला दिवाना

पहले इस फिल्म का नाम मैं जट यमला पगला दीवाना था. लेकिन धमर्ेंद्र को यह नाम पसंद नहीं आया तो फिल्म का नाम हटा कर यमला पगला दीवाना रखा गया. अब भी ओरिजनल स्क्रिप्ट पर यही नाम लिखित तौर पर मौजूद है.

शीर्षक की वजह से छोड़ी फिल्म

हिंदी सिनेमा में ऐसे में कई कलाकार हैं, जिन्होंने शीर्षक पसंद न आने की वजह से दिलीप कुमार ने मदर इंडिया सिर्फ इसलिए छोड़ दी ,क्योंकि वह चाहते थे कि फिल्म का नाम फादर इंडिया हो जाये. कुछ इसी तरह गोविंदा हमेशा फिल्म के शीर्षक के साथ छेड़छाड़ करते थे. वह चाहते थे कि उनके किरदार से मेल खाता नाम फिल्म का हो.

पा

आर बाल्की ने अमिताभ बच्चन के कहने पर फिल्म का नाम पा रखा. क्योंकि यह शब्द अमिताभ ने कई युवाओं के मुंह से सुना था. अमिताभ बताते हैं कि आजकल लोग पापा को पा, दीदी को दी कहकर बुलाते हैं तो मुझे यह सही लगा.

रीमा कागती की अनाम फिल्म

आमिर खान अभिनीत रीमा कागती की फिल्म की लगभग शूटिंग पूरी हो चुकी है लेकिन अब तक इस फिल्म का शीर्षक तय नहीं किया गया है.

डेहली बेली

फिल्म डेहली बेली का नाम पहले हिंदी में रखा जा रहा था. चूंकि कहानी हिंदी है. लेकिन फिर किसी को भी इस डेहली बेली से मेल खाता हिंदी शीर्षक समझ में नहीं आया तो फिल्म का नाम डेहबी बेली ही रख दिया गया.

जब वी मेट

इम्तियाज चाहते थे कि फिल्म का नाम मुंबई टू भटिंडा रखा जाये. लेकिन फिर सभी ने मिल कर सोचा कि फिल्म का नाम कुछ और रखा जाना चाहिए. इम्तियाज ने लोगों ने ऑनलाइन पूछा तो यह नाम जब वी मेट नाम निकल कर लोगों के सामने आया.

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