20110515

टि्वटिंग टि्वटिंग यस फेसबुक...


एक दौर में फिल्म पतंगा का गीत मेरे पिया गये रंगून बेहद लोकप्रिय हुआ था. उस दौर में एक दूसरे से संपर्क करने के लिए लोग एक जगह पर रखे स्थिर टेलीफोन का इस्तेमाल किया करते थे. आगे चल कर नजदीकियां बढ़ी. अब इंटरनेट लोगों के सामने आया. दूरियां घटती गयीं और फिर दिल की बात कहने के लिए पेजर लोगों के सामने आया है. धीरे धीरे इस पेजर व टेलीफोन की उपयोगिता ने मोबाइल का रूप लिया. फिर आया इंटरनेट का दौर और हाल ही में इन सभी माध्यमों को मात दी है फेसबुक ने . सिनेमा में लोगों की नजदीकियां बढ़ाने के लिए प्रयोग किये गये व बदलते तकनीकी स्वरूपों पर अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट

कोटेशन ः सूरज बड़जात्या, निदर्ेशक

फेसबुक की लोकप्रियता कम नहीं होगी

जब मैंने मैंने प्यार किया फिल्म में कबूतर का इस्तेमाल किया था. तो मेरे जेहन में एक ही वाक्या था. मुझे याद था कि जब मैं किस्से-कहानियां पढ़ा करता था. खासतौर से महाराजाओंवाली. उसमें कबूतर का बहुत इस्तेमाल होता था. सो, मैंने फिल्म में कबूतर को प्रेम का प्रतीक बना कर प्रस्तुत किया. यह सच है कि सिनेमा ने तकनीक के दृष्टिकोण से कई चीजें समाज में उसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए किया है. आज सबसे अधिक फेसबुक पॉपुलर है. चूंकि यह पूरे विश्व को बिना किसी खास इमेल आइडी के भी एक दूसरे से जोड़ने में कामयाब हुआ है. सो, इसकी लोकप्रियता को देखते हुए अब इंटरनेट व जीमेल चैटिंग की बजाय फेसबुक का फिल्मों में जिक्र किया जा रहा है.

ताकि लोग खुद को फिल्म से जुड़ा पायें ः अनीस बज्मी

मैंने फिल्म रेडी के एक गीत में फेसबुक को खासरूप से तवज्जो दी है, चूंकि इन दिनों फेसबुक मोबाइल, इंटरनेट से अधिक लोकप्रिय हो चुका है. मेरे ऐसे कई दोस्त हैं, जो फेसबुक से ही जुड़े हैं. और मुझे मेरे दोस्तों ने ही यह बात कही कि मैं फेसबुक शब्द का इस्तेमाल करूं, ताकि लोगों को यह गीत अपना सा लगे.

उस वक्त इंटरनेट फ्रेंड का चलन प्रचलित था ः रेवती

जिस वक्त मैंने अपनी फिल्म मित्र माइ फ्रेंड का कंसेप्ट सोचा था. मैं उस वक्त एक फ्लाइट में थी. मेरी बगल की सीट पर बैठी एक महिला ने बातों बातों में कहा कि उसकी शादी होनेवाली है और उसका होनेवाला पति उसका इंटरनेट फ्रेंड है. दोनों की नजदीकियां इसके माध्यम से बढ़ी. तो मुझे लगा कि इस पर फिल्म बनाई जानी चाहिए.चूंकि लोग इसे खुद से जुड़ा पायेंगे. ऐसी कई कहानियां उन दिनों मेरे इर्द-गिर्द थी, जिसे देख कर लगा कि मुझे ऐसी कहानी कैमरे के माध्यम से कहनी चाहिए.

फिल्में हमेशा समाज के रूपांतर चलती है. जिस तरह प्रतिदिन समाज में बदलाव होते हैं. उसी तरह फिल्में भी अपना स्वरूप बदलती रहती है. फिल्मों ने हमेशा आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. फिर चाहे वह किसी भी माध्यम से हो. खासतौर से अपने प्यार का इजहार करने के लिए सिनेमा में हमेशा नये-नये परिवर्तन किये जाते रहे हैं. सिनेमा में किये गये वही प्रयोग आगे चल कर उस फिल्म की खास पहचान बन जाते हैं, या फिर उस किरदार की. लोगों के जेहन में उनके द्वारा इस्तेमाल की गयी वे चीजें स्टाइल स्टेटमेंट बन जाती हैं. वे उन्हें अपने प्रतिदिन की जिंदगी में भी उतारने लगते हैं. गौर करें, तो खासतौर से युवाओं को फिल्मों में दिखाई गयी चीजों से अधिक प्रभावित करने की कोशिश की गयी है. फिर चाहे वह गीतों के माध्यम से हो, या फिर किसी खास सांकेतिक सामान के माध्यम से. दरअसल, सिनेमा ने आम दर्शकों के बीच कई ऐसी चीजों को प्रसारित किया है, लेकिन एक लिहाज में सिनेमा दर्शकों द्वारा इस्तेमाल किये गये चीजों से प्रभावित होकर दर्शकों के बीच से वे चीजें लेने की कोशिश की है. ताकि आम दर्शकों को वह चीजें अपनी सी लगें. हम बात कर रहे हैं सिनेमा में तकनीकी स्वरूपों के लगातार होनेवाले बदलाव की. खासतौर से संदेश भेजने के माध्यम का प्रयोग पहले समाज में प्रचलित हुआ. फिर सिनेमा के माध्यम से इसे फिल्मों के दृश्यों में शामिल किया. गौर करें, तो कभी प्रेमी अपनी प्रेमिका को खत लिखने के लिए कागज कलम का इस्तेमाल करते थे और फिर उसे कबूतरों के माध्यम से अपने प्रेमी-प्रेमिका तक पहुंचाने की कोशिश करते थे. खुद फिल्म के निदर्ेशक सूरज भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि सिनेमा में हमेशा इस तरह के माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी प्रासंगिकता उस दौर में रही हो. धीरे-धीरे वक्त के साथ उन तकनीकों का रूप भी बदला. और लोगों के पास आया कंप्यूटर. कंप्यूटर में इंटरनेट से जगह बनायी. उस वक्त इंटरनेट के बारे में लोगों को खास जानकारी नहीं थी. सो, सिनेमा भी उनके मिजाज के मुताबिक अपनी फिल्मों के दृश्यों में इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ इंटरनेट फ्रेंड व चैटिंग तक ही सीमित रखता. लेकिन पलक झपकते ही इंटरनेट ने इस कदर अपनी जगह बना ली कि इंटरनेट फ्रेंड पर आधारित कई फिल्मों का निर्माण होने लगा. लोग अधिक से अधिक वक्त इंटरनेट पर देने लगे. फिर दूरियां और कम होती गयी. और अब तकनीक हाथों में आ गया. अब जैसे आम जिंदगी में लोग पेजर का इस्तेमाल करने लगे. फिल्मों में भी नायक-नायिका पेजर का इस्तेमाल करते नजर आने लगे. पेजर एक ऐसा उपकरण था, जिसमें आप सामनेवाले व्यक्ति को सिर्फ मेसेज कर सकते थे. धीरे धीरे लोगों की नजदीकियां और बढ़ी और मेसेज के साथ साथ अब लोग घंटों मोबाइल पर बातें करने लगे. नतीजन फिल्मों के साथ गानों में भी मोबाइल नंबर का जिक्र होने लगा. कभी ब्लैक एंड ह्वाइट दौर में एक जगह किसी कोने में पड़े टेलीफोन के सेट पर मेरे पिया गने रंगून किया है वहां से टेलीफून जैसे गीत बेहद लोकप्रिय हुए थे. धीरे-धीरे टेलीफोन पर आधारित वे गाने फिल्मों में कम होते गये. लेकिन कुछ फिल्मों में आज भी टेलीफोन पर कई फिल्माये गये हैं. बहरहाल, फिलवक्त फेसबुक हिंदी सिनेमा का नया तकनीकी शगल है. दरअसल, हमारे जीवन में इसकी सबसे ज्यादा लोकप्रियता की वजह यह रही है कि हमारे जीवन में इन चीजों की उपस्थिति में जीवन में तनाव को बहुत हद तक कम किया है.शायद यही वजह है कि भावनाओं, दोस्ती व रिश्तों पर आधारित फिल्मों में इन चीजों का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता रहा है.

टेलीफोन का प्रयोग फिल्मों में

राजकपूर की अधिकतर फिल्मों में किसी खास स्थान पर स्थिर रखे गये टेलीफोन का इस्तेमाल बेहद किया गया है. ब्लैक एंड ह्वाइट दौर में खासतौर से दो टेलीफोन पर कई सीन व गाने फिल्माये जाते थे. इनमें फिल्म पतंगा का गीत मेरे पिया गये रंगून प्रमुख है. जिसे सुनना आज भी लोग पसंद करते हैं. बाद की फिल्मों में सूरज बड़जात्या ने अपनी फिल्में हम आपके हैं कौन में नायक-नायिका के कई संवाद फोन पर फिल्माये. साथ ही एक गीत मुझसे जुदा होकर...व मैंने प्यार किया का गीत अब तो शाम होने आयी...टेलीफोन पर फिल्माया गया. फिल्म हिंदुस्तानी में तो टेलीफोन पर आधारित एक गाना भी तैयार किया गया. इस फिल्म में कमल व उर्मिला ने खास भूमिका निभायी थी. गीत था टेलीफोन धुन पर हंसनेवाली....फिल्म बागवां के एक बेहतरीन गीत में टेलीफोन नजर आया है. गीत है मैं यहां तू वहां...फिल्म कुछ कुछ होता है में भी कई दृश्य टेलीफोन पर ही फिल्माये गये हैं. हाल में फिल्म झूठा ही सही की कहानी भी फोनफ्रेंड पर आधारित है.

पेजर से मोबाइल

फिल्म जब प्यार किसी से होता है देखते वक्त पहली बार जब दर्शकों के सामने पेजर आया तो दर्शक इस उपकरण को समझ नहीं पाये थे. लोगों को समझ में नहीं आया कि यह क्या है, जिसमें आसानी से एक दूसरे को मेसेज किया जा सकता है. बाद में पेजर दर्शकों में लोकप्रिय हुआ. लेकिन अधिक दिनों तक पेजर लोकप्रिय न रहा. उसकी जगह मोबाइल ने ले ली. फिल्म हसीना मान जायेगी का गीत ह्वाइट योर मोबाइल नंबर बेहद लोकप्रिय हुआ. उस दौर में मोबाइल का उपयोग बिल्कुल नया था. लेकिन इस गाने के बाद अचानक सबकी हाथों में मोबाइल नजर आने लगा.

इंटरनेट

इंटरनेट ने फिल्मों में सबसे अधिक व मजबूत पकड़ बनायी. फिल्मों में इंटरनेट का इस्तेमाल सबसे अधिक वक्त तक हुआ. एक दौर में लगभग सभी निदर्ेशकों ने किसी न किसी दृश्य में इसका इस्तेमाल दिखाया. फिल्म सिर्फ तुम व मित्र माइ फ्रेंड जैसी फिल्में इंटरनेट फ्रेंड पर आधारित विषयों पर बनी. फिल्म देव डी, मिर्च, मुंबई कटिंग, भेजा फ्राइ, मुझसे दोस्ती करोगे, यादें, मोहब्बते, जाने तू या जाने न, मैं हूं न..., इश्क-विश्क, कभी खुशी कभी गम, मिलेंगे-मिलेंगे , लव सेक्स और धोखा में भी इंटरनेट का इस्तेमाल दिखाया गया.

फेसबुक

फेसबुक पर यूं तो हॉलीवुड पर पूरी एक फीचर फिल्म का निर्माण किया गया है. लेकिन भारत में भी इसकी लोकप्रियता को देखते हुए पिछली कई फिल्मों में अब फेसबुक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें दिल तो बच्चा है जी, लव का द एंड, दो दूनी चार, बैंड बाजा बारात, फालतू, टर्निंग 30, मिर्च, तनु वेड्स मनु, इसी लाइफ में, रोबोट व हाल ही में फिल्म रेडी में एक गीत में फेसबुक का खासतौर से जिक्र किया है. आनेवाली फिल्मों में लव का पंचनामा, कुछ लव सा, रेडी, एक था टाइगर व यशराज की फिल्मों में फेसबुक विशेष रूप से नजर आयेगा.

टि्वटर

फेसबुक के साथ साथ इन दिनों टि्वटर की लोकप्रियता भी बेहद बढ़ी है. खासतौर से सेलिब्रिटी टि्वटर का सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं. 140 शब्दों में वे अपने फैन्स को पल पल की खबर देते रहते हैं. गौरतलब है कि यह खबर आ रही है जल्द ही टि्वट्र की लोकप्रियता को देखते हुए एक बड़ा बैनर एक थ्रीलर फिल्म बनाने जा रहा है, जिसकी पूरी कहानी टि्वटर पर किये गये एक टि्वट से शुरू होती है.

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