20110503

ये शहर नहीं महफिल है....



हिंदी सिनेमा के निदर्ेशकों के दिल में दिल्ली हमेशा राज किया है. फिर चाहे वह काट कलेजा दिल्ली के रूप में हो या फिर इश्क, मोहब्बत और प्यार के रूप में. किरदारों, कहानियों व गीतों के माध्यम से हमेशा निदर्ेशकों का दिल्ली चलो अभियान जारी रहा है. कैमरे की नजर से दिल्ली के विभिन्न पहलुओं को देखने की कोशिश कर रही है अनुप्रिया अनंत

दिल्ली के जनकपुरी के रहनेवाले बिट्टू और श्रूति जब एंवी एंवी गाने के साथ दर्शकों के सामने आते हैं दर्शक बस उनके मुरीद हो जाते हैं. सबकुछ भूल कर वे भी ब्रेड पकौड़े की कसम खाने लगते हैं . यह दिल्ली का ही जादू है जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि यह शहर है क्या. क्या यह मस्तानों की दिल्ली है, जिसके बायें भी दिल है . आखिर कौन है दिल्ली. या यह काट कलेजा है. दरअसल, दिल्ली महफिल है. यह देश की राजधानी होने के साथ-साथ पूरे भारत का दिल है. यही वजह है कि यहां पूरे भारत की संस्कृति देखने को मिलती है. कभी दिल्ली मासूम शक्लवाली नजर आती है तो कभी जेसिका लाल हत्याकांड का सच बयां करती नीम की तरह कड़वी. कभी मनु शर्मा की कानपुर की चांद दिल्ली की रात में चम कर उसे जगमगा देता है तो कभी यहां की जिंदगी भी साली सी घबराली सी हो जाती है. फिल्म चांदनी में ऋषि कपूर अपनी बाइक पर बिठा कर श्रीदेवी को सैर पर ले जा रहे हैं. कुतुबमिनार से निकलते हुए गाड़ी इंडिया गेट व दिल्ली के उन सभी प्रमुख इलाके से होकर गुजरती है, जहां सिनेमा के कैमरे ने बार-बार फोकस किया है. रंग दे बसंती की कहानी का विराम आकर दिल्ली के इंडिया गेट पर होता है. तो राकेश ओम प्रकाश मेहरा की अगली ही फिल्म दिल्ली 6 में काला बंदर भी दिल्ली का ही होता है. दरअसल, हिंदी सिनेमा ने दिल्ली के किरदारों, वहां के लोकेशन व वहां की संस्कृति सभ्यता का गुणगान हमेशा गाया है.निदर्ेशकों का मानना है कि दिल्ली में कुछ तो खास बात है. वहां की फिजा में जो दर्शकों के साथ-साथ निदर्ेशकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. तभी तो अब तक इतनी बार दिल्ली के लोकेशन और उन्हीं स्थानों को बार-बार दिखाया जाता रहा है. लेकिन इसके बावजूद न दर्शक दिल्ली से बोर होते हैं और न ही सिनेमावालों का दिल दिल्ली से दूर जाने का होता है. इस क्रम में गौर करें तो अब तक कितनी फिल्मों के नाम दिल्ली पर रखे गये हैं.कितने गीतों में दिल्ली का जिक्र है. कितने लोकेशन में दिल्ली नजर आयी है और कितने किरदारों को दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर जनकपुरी तक पहुंचाया गया है. यही नहीं दिल्ली का जादू छोटे परदे पर भी हमेशा सिर चढ़ कर बोलता रहा है.

चांदनी

कई वर्षों पहले सुपरहिट हुई फिल्म चांदनी ने दर्शकों का दिल जीता था. फिल्म के सारे किरदार,लोकेशन दिल्ली के थे. फिल्म का गीत बनी तू मेरी मेहबूबा भी इंडिया गेट पर फिल्माया गया. ऋषि कपूर और श्रीदेवी पर ही फिल्माया गया एक और गीत जयपुर से निकली गाड़ी दिल्ली चले हौले हौले में भी जयपुर से दिल्ली की यात्रा दिखाई गयी है.

चांदनी चौक का जिक्र

हिंदी सिनेमा में दिल्ली के चांदनी चौक का जिक्र भी कई बार किया गया है. फिल्म चांदनी से लेकर चांदनी चौक टू चाइना में चांदनी चौक का गुणगान गाया गया है. फिल्म कभी खुशी कभी गम में भी काजोल और करीना चांदनी चौक के ही रहनेवाले होते हैं. फिल्म चांदनी चौक टू चाइना की कहानी भी चांदनी चौक से शुरू होती है.

दिल्ली-6 और चोर बाजार

जैसे जैसे वक्त बदला निदर्ेशकों ने चांदनी चौक के साथ-साथ दिल्ली के अन्य इलाकों पर भी फोकस करना शुरू किया. राकेश ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म रंग दे बसंती के बाद उनकी फिल्म दिल्ली 6 में चोर बाजार, छावड़ी बाजार और दिल्ली 6 इलाके की पूरी तसवीर निकल कर लोगों के सामने आयी. इम्तियाज अली ने तो चोर बाजारी पर गाना बना कर ही उसे लोकप्रिय बना दिया.और दर्शकों के लिए अचानक चोर बाजारी भी घूमने की एक खास जगह बन गयी.

इंडिया गेट

लगभग दिल्ली पर फिल्माई गयी हर फिल्म में इंडिया गेट को जरूर दर्शाया गया है. फिल्म नो वन किल्ड जेसिका व रंग दे बसंती में लोगों का कैेंडल मार्च यही होता है. फिल्म पा में ऑरो और उसके पिता के दिल्ली आवास के दौरान भी कैमरा जूम इन होता है.

गीतों में दिल्ली

फिल्म दिल्ली 6 में ये दिल्ली है मेरे यार में बदलती दिल्ली की खूबसूरत तसवीर प्रस्तुत की गयी है. नो वन के गीत ददद दिल्ली में भी दिल्ली की कड़वी और रफ एंड टफ तसवीर प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है तो वही फिल्म तनु वेड्स मनु के गीत मनु भईया का करिहें में दिल्ली की मासूमियत को दिल्ली की रात कह कर संबोधित किया गया है. गौर करें तो तनु वेड्स मनु के इस गीत में दिल्ली के मसाले, दिल्ली की लोक संस्कृति व वहां के लोगों की भाषा का खूबसूरत चित्रण किया गया है.

दिल्ली के लोकेशन

फिल्म नो वन किल्ड जेसिका, ये साली जिंदगी, दिल्ली-6, लव आज कल जैसी फिल्मों में विशेष रूप से दिल्ली को दर्शाया गया है. लोकेशन के रूप में इंडिया गेट, चांदनी चौक, छाबड़ी बाजार, नयी दिल्ली व हाल की फिल्मों में दिल्ली के मेट्रो की झलक भी फिल्मों में नजर आने लगी है. कभी लोकेशन के रूप में निदर्ेशक दिल्ली के लोकप्रिय स्थानों को ही स्थापित किया करते थे. लेकिन अब उन्होंने भी अपना कैमरा इंडिया गेट और जामा मस्जिद से दिल्ली के पराठेवाली गली में जा पहुंचायी है. फिल्म दिल्ली 6 में मुख्य रूप से दिल्ली की गलियां नजर आयी हैं. फिल्म फनां के दो गीतों में भी दिल्ली को खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया गया है.

दिल्ली के किरदार

हिंदी सिनेमा में जब जब दिल्ली की कहानी चुनी गयी है. वहां के किरदारों को चुनने में खास सतर्कता बरती गयी है. कोशिश यही रही है कि दिल्ली के मिश्रित रूप को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जाये. फिर चाहे वह बैंड बाजा बारात के बिट्टू-श्रूति के रूप में हो या तनु वेड्स मनु के मनु शर्मा के रूप में. भाषाई तौर पर भी पंजाबी और दिल्ली की भाषा का सही चित्रण प्रस्तुत किया जा रहा है. खासतौर से करलियो, बतादियो अंदाज में फिल्मी किरदार हमेशा बात करते नजर आते हैं.

चलो दिल्ली

लारा दत्ता और विनय पाठक की फिल्म में दिल्ली के अलग स्वरूप से प्रस्तुत करने की कोशिश है. दो अजनबी कैसे अजनबी होते हुए भी दिल्ली पहुंचने के रास्ते ढ़ूंढ़ते हैं. फिल्म की कहानी में यही दर्शाने की कोशिश की गयी है.

छोटे परदे पर दिल्ली

हिंदी सिनेमा के साथ साथ छोटे परदे पर भी हमेशा दिल्ली के छत, कुतुबमिनार, छाबड़ी बाजार नजर आता रहा है. स्टार प्लस का सुपरहिट शो ससुराल गेंदा फुल छाबड़ी बाजार की कहानी है. तो वही सोनी टीवी का शो छज्जे छज्जे का प्यार नयी दिल्ली की. करोलबाग की सिम्मी भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही. यशराज का शो माही वे की माही भी दिल्ली में ही शरारतें करती नजर आती थीं.

तनु वेड्स मनु के गीतकार राज शेखर की नजर में दिल्ली

मेरे घर की एक बालकनी अभी भी दिल्ली में खुलती है.जब भी मेरे पन्ने सीलने लगते हैं. मैं वहां जाता हूं. सिविल लाइन, यूनिवर्सिटी की खाली सड़कों पर हमेशा एक रुमानी होने का आग्रह होता है. एक लाइफ होती है. कह रहे रात जगे.

उलझी सी है दिल्ली ः राजकुमार गुप्ता, निदर्ेशक

मेरा मानना है कि दिल्ली बहुत ही उलझा शहर है. वह कभी एकरूप में नहीं रहती. वहां की जिंदगी और रफ्तार बाकी सभी शहरों की तुलना में अलग है. उसका मिजाज हमेशा बदलता रहता है. मैं मानता हूं कि दिल्ली को जितनी बार देखो वह अलग एंगल से नजर आती है. शायद यही वजह है कि निदर्ेशकों की नजर से हमेशा दिल्ली को अलग-अलग स्वरूपों में प्रस्तुत किया गया है. हालांकि मैंने भी अपनी फिल्म नो किल्ड जेसिका वास्तविक कहानी पर आधारित थी. वह दिल्ली पर ही आधारित थी. इसलिए दिल्ली को ही चुना. फिल्म में मेरे लिए सबसे खास यादगार लम्हा था जब हमने इंडिया गेट पर फिल्म में दिखाया गया मार्च शूट किया था. बहुत मेहनत हुई थी. भीड़ को एकत्रित करने में. मेरा मानना है कि सिनेमा में जब जब दिल्ली दिखाई गयी है, इंडिया गेट जरूर नजर आया है, क्योंकि यह दिल्ली की नहीं पूरे भारत की शान है.

जिन फिल्मों में किसी न किसी रूप से दिल्ली का जिक्र रहा.

कभी खुशी कभी गम, अमु, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, सरफरोश, रंग दे बसंती, चलो दिल्ली, नो वन किल्ड जेसिका, तनु वेड्स मनु, चांदनी, चांदनी चौक टू चाइना, दिल्ली 6. ये साली जिंदगी, लव आज कल, कुर्बान, फनां, बैंड बाजा बारात, रॉकस्टार, जब वी मेट.

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