20110207

संस्कृति का करें आदान-प्रदान ः राहत फतेह अली खान


हमारे मूल्क के सिनेमा या टेलीविजन इंडस्ट्री के पास स्रोत, साधन व पैसे की कमी जरूर हो ,लेकिन टैलेंट की कमी नहीं. और अगर इन टैलेंट्स को मौका मिले तो वे बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं. कुछ ऐसा ही सोच रखते हैं सुप्रसिध्द गायक राहत फतेह अली खान. राहत फिलवक्त स्टार प्लस के नये रियलिटी शो छोटे उस्ताद सीजन-2 में बतौर जज की भूमिका निभा रहे हैं. पेश है पाकिस्तान में कला-संगीत,मनोरंजन इंडस्ट्री व इससे जुड़े कई अन्य पहलुओं पर उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश

गलतफहमियां हैं दोनों मूल्कों के बीच

दोनों मूल्कों के लोगों के बीच दोनों देशों को लेकर कई गलतफहमियां हैं. भारत पाकिस्तान कका मतलब सिर्फ आतंकवाद समझता है. यहां के लोग पाकिस्तान जाने से डरते हैं. वहीं हाल वहां के लोगों का भी है. उनका मानना है कि वहां पाकिस्तान के लोगों के साथ बुरा बर्ताव किया है. जबकि हकीकत यह है कि दोनों देशों की खामियां खूबियां हैं. पाकिस्तान में भी एक खूबसूरत संगीत, कला प्रिय पाकिस्तान बसता है. भारत में भी पाकिस्तान के लोगों व कलाकारों का मान है. इन गलतफहमियों को दूर करने का एक मात्र तरीका है कि दोनों देशों के कलाकार, प्रतिभाएं लगातार एक दूसरे से मिलते रहें और परफॉर्म करते रहें, ताकि दोनों देशों की सभ्यता-संस्कृति का आदान-प्रदान हो सके.

बच्चे-बड़े सभी सीखना चाहते हैं संगीत

पाकिस्तान में लोग संगीत की पूजा करते हैं. वहां हर व्यक्ति संगीत सीखना चाहता है. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक संगीत को गंभीरता से लेते हैं. वहां लोगों में लगन है. जब छोटे उस्ताद के बारे में वहां के लोगों को पता चला कि इसका ऑडिशन होनेवाला है. कई बच्चों के माता-पिता स्वयं बच्चों को लेकर हमारे पास आये. हम लोग आश्चर्यचकित थे. छोटे-छोटे बच्चों की इतनी सधी आवाज थी कि सुन कर कि इन्हें मौका मिलना ही चाहिए.

बंदिशें हैं मगर सिर्फ बंदिशें ही नहीं

ऐसा मानना है कि हमारे मूल्क में संगीत या कला को लेकर लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं. यह गलत है. हमारे यहां टैलेंट की कमी नहीं. बस जरूरत है उन्हें सही मंच देने की. हां, यह भी सच है कि हमारे मूल्क की बॉलीवुड इंडस्ट्री या टेलीविजन इंडस्ट्री के पास पैसे नहीं. बजट नहीं. ऐसे में अगर भारत की तरफ से इस तरह के शो की पहल की जाती है तो निश्चित तौर पर यह सराहनीय है.

सूफी संगीत है अधिक लोकप्रिय

पाकिस्तान से अब तक जितनी भी आवाजें लोकप्रिय हुई हैं, उनमें अधिकतर आवाजें सधी हुई आवाजें हैं. खासतौर से उनमें सूफियाना व पंजाबी राग अधिक सुनने को मिलता है. इसकी खास वजह यह है कि वहां के लोगों में सूफी संगीत बेहद लोकप्रिय है. साथ ही बुल्ले शाह, नुसरत फतेह अली खान जैसे सफल गायक व संगीतज्ञ शख्सियतों की वजह से भी लोग उन्हें सुनते हैं और फिर रियाज करते हैं.

घर-घर जाकर लिया था ऑडिशन

हमारा मूल्क खुद आतंकवाद से घिरा हुआ है. ऐसे में हम सार्वजनिक रूप से ऑडिशन लेने में असमर्थ है. इसलिए हमें घर घर जाकर ऑडिशन लेना पड़ा. वहां इस तरह के रियलिटी शो न के रूप में होते हैं. हां, यह भी सच है कि जितनी स्वतंत्रता से हम आये दिन भारत में शो या कांसर्ट करा सकते हैं, उतनी आजादी वहां नहीं. वहां हर वक्त एक डर बना रहता है कि कब क्या होगा. यही वजह है कि वहां के टैलेंट भारत में आकर अपनी पहचान बनाने में जुट जाते ह

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