20110207

किरदार व कहानियां इलाहाबादवाले ...


गांव की लाली, बिंदिया, जमुनिया काशी जैसी कई किरदारों ने भारत के गांवों को तो मायानगरी की सैर करा दी. अब धीरे-धीरे टेलीवुड का कैमरा छोटे शहरों व छोटे शहर के किरदारों की आम कहानी की ओर भी जूम इन होता नजर आ रहा है. कहानी का प्लॉट तैयार करनेवाले लेखकों का मानना है कि छोटे शहर का दर्शक वर्ग बड़ा है. वह जब खुद से जुड़ी भाषा, किरदार व कहानियां देखते हैं तो उसे खुद से जोड़ते हैं. तो चीजें उन्हें वास्तविक लगती है. अनुप्रिया अनंत की पड़ताल

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म तुम मिलो तो सही के एक दृश्य में जब मासूम रेहान पहली बार मुंबई आता है तो मुंबई रेलवे स्टेशन पर आते ही उसकी मुलाकात परेशानियों से हो जाती है. गलती से टिकट गुम हो जाने के कारण उसे जुर्माना भरना पड़ जाता है. दरअसल, प्रायः छोटे शहर से आये लोगों के लिए मुंबई एक खौफ बन जाती है,ृ क्योंकि लोगों को लगता है कि मुंबई में हर कोई पैसे ऐंठने की फिराक में रहता है. मुंबई से बाहर रहनेवाले लोगों के जेहन में यह बात घर कर गयी है कि मुंबई परेशानियों व समस्याओं का शहर है. ठेठ शब्दों में कहें तो ठगों का शहर है यह. छोटे शहर की इसी मानसिकता कई बार सिल्वर स्क्रिन पर फिल्माया जा चुका है. अब यह प्रचलन टेलीवुड से में भी देखा जा सकता है. हालांकि बड़े परदे पर मुंबई और छोटे शहर से आये लोगों के खौफ को विस्तार से दर्शाया गया है, लेकिन अब कई सीरियलों में इसे ही आधार बनाया जा रहा है. शुरुआत करें तो कई सालों पहले जीटीवी पर प्रसारित होनेवाले धारावाहिक ये है मुंबई मेरी जान ये है मुंबई मेरी जान में मुंबई में गुजरनेवाली रोजमर्रा की कहानी को हास्य विधा में प्रस्तुत किया गया था. इसके बाद स्टार वन के शो इंडिया कॉलिंग में इसका विस्तार देखने को मिला.स्टिारवन के ही एक शो मिले जब हम तुम में छोटे से शहर मोरेना से आयी दो बहने नुपूर व गुंजन को मुंबई के प्रतिष्ठित कॉलेज में कई बार छोटे शहर की होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा. समय-समय पर कई सीरियल में मुंबई और मुंबई के खौफ को दर्शाया जाता रहा है. कभी किरदारों के रूप में तो, कभी लोकेशन या सेट के रूप या कभी कहानी के केंद्र बिंदू के रूप में छोटा शहर टेलीविजन का पसंदीदा विषय रहा है. सब टीवी पर हाल ही में शुरू हुए शो मिसेज एंड मिस्टर शर्मा इलाहाबादवाले इसी क्रम का विस्तार है. सीधे-साधे मध्यमवर्गीय परिवार के रहनेवाले मिस्टर शर्मा का तबादला जब मुंबई होता है तो वह सपरिवार मुंबई आ पहुंचते हैं. मिसेज शर्मा छोटे शहर में रहनेवाली किसी गृहिणी की तरह ही साज-शृंगार करती हैं. वे मेट्रो शहर के तौर तरीके नहीं जानती. लेकिन उन्हें कहां पता है कि मुंबई शहर जब अपने रंग में किसी को रंग नहीं लेती, चैन की सांस नहीं लेने दे सकती. रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ ऐसे ही घटनाएं होती रहती हैं जो छोटे शहर से मेट्रो शहर आकर बसनेवाले परिवारों की परेशानियों को दर्शाता है. परेशानी दो शहरों के रहन-सहन, रिति-रिवाज, नजरिया व संस्कृति व सभ्यता की. इन दिनों टेलीविजन पर कई सीरियल छोटे शहर को आधार मान कर बनाये जा रहे हैं.

इलाहाबाद शहर सबसे लोकप्रिय

सब टीवी के इस नये शो मिसेज एंड मिस्टर शर्मा इलाहाबादवाले के अलावा स्टार प्लस का शो प्रतिज्ञा की कहानी भी इलाहाबाद के सक्सेना परिवार पर आधारित है. वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास केशव पंडित पर आधारित जीटीवी का नया शो केशव पंडित का किरदार भी इलाहालाबाद का ही रहनेवाला है. इस बारे में इसके लेखक वेद प्रकाश शर्मा बताते हैं कि कोई भी लेखक लिखते वक्त उन शहरों को तवज्जो अधिक देता है, जिसे लोग पसंद करते हों या फिर जिस शहर में उसका बचपन या जिंदगी का अधिकतर समय बीता हो. इलाहाबाद के लोकप्रिय होने की यह भी वजह है कि यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति का केंद्र माना जाता रहा है. खासतौर से संगम की वजह से. इसके अलावा यहां की मीठी भाषा लोगों को आकर्षित करती है.

सहज होते हैं छोटे शहर के लोग

इलाहाबादवाले में मिसेज शर्मा का किरदार निभा रही दिव्यांका बताती हैं कि उन्होंने मिसेज शर्मा का गेटअप अपनी चाची को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है. वह इलाहाबाद की रहनेवाली हैं. दिव्यांका ने बताया कि जैसे उनकी चाची बात करती हैं उसी तरह मासूमियत से भरी बातें होती हैं मिसेज शर्मा की. दिव्यांका खुद एक सामान्य से शहर भोपाल की रहनेवाली हैं. वे मानती हैं कि छोटा शहर सरोकारों में भी बड़े शहरों से जुदा होता है. मिसेज शर्मा के माध्यम से कुछ ऐसी ही चीजों को हास्य रूप देकर दर्शाने की कोशिश की गयी है. मिस्टर शर्मा की भूमिका निभानेवाले राजेश पटना के रहनेवाले हैं. वे बताते हैं कि शुरुआती दौर में जब वे इस बड़े शहर में आये तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था. उन्हें यहां एडजस्ट होने में वक्त लगा, क्योंकि दोनों शहरों की लाइफस्टाइल में जमीन आसमान का फर्क होता है. छोटे शहर के लोग सहज होते हैं. वे किसी भी बात को दो पहलुओं से नहीं देखते या सोचते. बड़े शहर के लोगों के साथ ऐसा नहीं होता.

उत्तर भारत के किरदार व शहर

कलर्स के शो ये प्यार न होगा कम में लखनऊ का गणेशगंज मोहल्ला लाइमलाइट में है.

जीटीवी के शो करोल बाग की कहानी दिल्ली के करोलबाग मोहल्ला पर आधारित.

छोटे शहर से मुंबई आकर बसने की कहानी पर आधारित धारावाहिक

तेरे मेरे सपने

ये है मुंबई मेरी जान

मिले जब हम तुम में मोरेना से आती हैं गुंजन व नुपूर.

इंडिया कॉलिंग -स्टार वन

फिल्में

बंटी और बबली

कुछ करिए

मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं.

इसके अलावा कई फिल्मों के कुछेक दृश्यों में इस विषय पर फिल्मांकन किया गया है.

राजकपूर की फिल्म श्री 420 में छोटे से शहर से डिग्री लेकर आये सीधे साधे राजू के लिए मुंबई शहर तकलीफों का दरवाजा खोल कर रखती है.

किशोर कुमार की कई फिल्मों में मुंबई आये छोटे शहर के लोगों की परेशानियों को दिखाया गया है.

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