20110207

हमेशा मान रहेगा तेरा पिताह


परिवार की कहानी उनके बिना अधूरी है. वह ममता की मूरत भी हैं. और छांव भी. अपने बच्चों का सहारा भी. और कदम-कदम पर साथ निभानेवाला साथ भी. वे कभी अपने प्यार का इजहार नहीं करते. दुखों व परेशानियों की सिकन तक चेहरे पर नहीं लाते. लेकिन बच्चों को परेशानी छूकर चली जायें ऐसा हो नहीं सकता. बात हो रही है पिता की. जिंदगी में इनका अहम स्थान है, जो न तो कोई ले सकता है और न ही कोई इसकी कमी पूरा कर सकता है. टेलीविजन पर पिता की भूमिका निभानेवाले किरदारों ने असल जिंदगी में पिता के महत्व का हमेशा ही सजीव चित्रण किया है. टेलीविजन के सफल पिता की भूमिकाओं पर अनुप्रिया अनंत की नजर

टेलीवुड ने हमेशा रिश्तों को सहेजने में अहम भूमिका निभाई है. अपने हर शोज व धारावाहिकों में लगातार ज्वाइंट फैमिली को दिखा कर दर्शकों को एकल परिवार में तब्दील होने से रोका है. अपने धारावाहिकों में अपनों से बड़ों को सम्मान दिखाने के कारण वास्तविक जिंदगी में भी बड़ों के लिए दर्शकों का सम्मान बढ़ा रहा है. रिश्तों व परिवारों को बांध कर रखने में जिस तरह वास्तविक जिंदगी में किसी परिवार के पुरुष का योगदान होता है. ठीक उसी तरह टेलीवुड के शोज में भी पिताओं की भूमिका निभानेवाले किरदारों ने पिता के रूप में अलग-अलग भूमिकाएं निभायीं. हालांकि बात जब सीरियल की आती है तो अधिकतर कैमरा का फोकस महिलाओं पर चला जाता है. महिलाओं में भी मां की ममता को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है. लेकिन इन सबके बावजूद सीरियल में पिता की भूमिका में नजर आनेवाले अभिनेताओं ने वास्तविक जिंदगी के पिता की भूमिका के अलग-अलग पहलुओं को सजीवता से दिखाया है. उन्होंने दर्शाया है कि एक बाप के लिए उसकी बेटी की शादी, व उसकी लाड़ली गुड़िया कितनी प्रिय होती है. हाल में इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सोनी टीवी ने एक और नयी पारी शुरू की है. जल्द ही सोनी टीवी पर मान रहे तेरा पिता नामक नया शो शुरू होने जा रहा है. इन शो में पिता की भूमिका को केंद्रित करने की पुरजोर कोशिश की गयी है. टेलीविजन पर पिता की छवि देखें तो वह बिल्कुल साफ-सुथरी सी है. या यूं कह लें कि मांओं से कहीं सरल व सीधे स्वभाव में पिताओं ने अपनी पारी खेली है. फिर चाहे वह विदाई में साधना व रागिनी के पिता आलोख नाथ हों या ससुराल गेंदाफूल में सुहाना के पिता महेश ठाकुर. करोलबाग के रंजीदर शेट्ठी से लेकर बालिका वधू के भैरव तक टेलीविजन पर पिता की भूमिका में एक अलग छवि नजर आयी है. सोनी टीवी के शो मान रहे तेरा पिताह में वरुण वडोला भी एक पिता के रूप में नजर आयेंगे.

सिम्मी नहीं सिम्मो है ः बनवारी तनेजा

12-24 करोलबाग में संजीदर शेट्ठी का किरदार निभानेवाले बनवारी तनेजा अपनी बेटी सिम्मो की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं. सामान्य परिवार में एक पिता की भूमिका क्या हो सकती है और वह कैसे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करता है. इसका अंदाजा रंजीदर शेट्ठी के किरदार से लगाया जा सकता है. यही वजह है कि पिता के किरदार में वह दर्शकों के पसंदीदा हो गये हैं.

सदाबाहर पिता आलोक नाथ

आलोक नाथ ने टेलीविजन के साथ-साथ फिल्मों में भी लगातार पिता की सफल भूमिका निभाई है. शायद यही वजह है कि उन्हें इंडस्ट्री फॉरएवर फादर की उपाधि मिली है. फिलवक्त स्टारप्लस के शो विदाई में वे रागिनी के पिता की भूमिका निभा रहे हैं. दर्शकों को उनका यह किरदार सबसे ज्यादा पसंद इसलिए है क्योंकि इस सीयिल में उन्होंने साधना यानी अपनी भांजी को उसके पिता की मृत्यु हो जाने के बाद भी अपनी बेटी की तरह प्यार दिया. इससे वास्तविक जिंदगी के उन पिता की छवि प्रस्तुत होती है जो जन्म देनेवाले पिता तो नहीं होते लेकिन पिता की जिम्मेदारियों का निर्वाह जरूर करते हैं.

बदमाश बेटी के शांत पापा महेश ठाकुर

महेश ठाकुर भी कई सालों से लगातार टेलीविदन पर पिता की भूमिका में नजर आ रहे हैं.फिलवक्त वह ससुराल गेंदा फूल में सुहाना जैसी बदमाश व जिद्दी लड़की के पापा का किरदार निभा रहे हैं. इसके साथ ही महेश ठाकुर इसी सीरियल में मां-पापा दोनों की भूमिका निभा रहे है, क्योंकि कई सालों पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो जाता है. महेश ठाकुर का यह किरदार उन पिताओं का परिचायक है, जो अपने बच्चों का ख्याल एक पिता होने के साथ-साथ मां बन कर भी करते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी मां का प्यार नहीं मिलता.

ससुर सा नहीं पिता सा हैं अनूप सोनी

कलर्स के शो बालिका वधू में अनूप सोनी के किरदार भैरव को दर्शकों का सबसे ज्यादा प्यार मिला है. वजह यह है कि जगिया के बेहतरीन पिता होने के साथ-साथ भैरव यानी अनूप सोनी अपनी बहू आनंदी का भी पूरा ख्याल रखते हैं. वे उस पर कोई अत्याचार या जोर जबरदस्ती नहीं करते. हर वक्त अपनी बच्ची की तरह उस पर प्यार बरसाते रहते हैं. शायद यही वजह है कि भैरव को आनंदी हमेशा प्यार से बापू सा ही बुलाती है.

इनके अलावा टेलीविजन पर पिता की भूमिकाओं में कहानी घर घर की बाबूजी, क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि बाबूजी, कसौटी जिंदगी के बाबूजी के किरदारों बेहद पसंद किया जाता रहा है.

खलनायक पिता

हालांकि टेलीविजन सोप ओपरा के माध्यम से वैसे पिताओं की छवि का भी चित्रण किया जाता रहा है, जो अय्याशी की वजह से अपने बच्चों का ध्यान नहीं रखते. पिताओं की नकारात्मक भूमिकाओं को भी टेलीविजन ने कई बार दर्शाया है. इनमें लागी तोसे लगन में नकुशा के पिता, पवित्र रिश्ता में मानव के पिता, कितनी मोहब्बत है में अर्जुन पूंज के पिता का किरदार. टेलीविजन के पहले धारावाहिक हमलोग में भी बसेसर राम की भूमिका एक अय्याश व शराब पीनेवाले पिता में दिखाई गयी थी.

No comments:

Post a Comment